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अब सरकारी महकमों में मिलेगी कुल्हड़ में चाय

अब सरकारी विभागों में भी मिट्टी के कुल्हड़ का प्रयोग होगा। इससे जिले में मिट्टी का काम करने वाले परिवारों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। जिले में कुल्हड़ बनाने के पारंपरिक पेशे से जुड़े कामगारों को आधुनिक मिट्टी-चाक कला का प्रशिक्षण देकर पारंगत किया जाएगा।

By JagranEdited By: Published: Tue, 27 Aug 2019 10:45 PM (IST)Updated: Wed, 28 Aug 2019 08:14 AM (IST)
अब सरकारी महकमों में मिलेगी कुल्हड़ में चाय
अब सरकारी महकमों में मिलेगी कुल्हड़ में चाय

सहारनपुर, जेएनएन। अब सरकारी विभागों में भी मिट्टी के कुल्हड़ का प्रयोग होगा। इससे जिले में मिट्टी का काम करने वाले परिवारों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। जिले में कुल्हड़ बनाने के पारंपरिक पेशे से जुड़े कामगारों को आधुनिक मिट्टी-चाक कला का प्रशिक्षण देकर पारंगत किया जाएगा, ताकि वह आधुनिक तथा खूबसूरती से कुल्हड़ बना सकें। इन्हें राज्य व केंद्र सरकार से अनुदान दिलाया जाएगा, ताकि ये बर्तन बनाने वाले उपकरण (चाक) आदि लगाकर अपना काम शुरू कर सकें। जनपद की पांच तहसीलों में 794 लोगों का चयन किया गया है।

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यह जानकारी देते हुये माटी कला बोर्ड के अध्यक्ष धर्मवीर प्रजापति ने कहा कि जब से लोगों ने मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल बंद किया, तब से लोग गंभीर बीमारियों से जकड़ रहे हैं। इतना ही नहीं कुम्हारों पर भी संकट आ खड़ा हुआ है। इसे ध्यान में रखकर इसलिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने माटी कला बोर्ड का गठन किया है, ताकि मिट्टी के बर्तनों को बढ़ावा और कुम्हारों को रोजगार मिल सके। धर्मवीर प्रजापति मंगलवार को कलक्ट्रेट सभागार में पत्रकारों से वार्ता कर रहे थे।

उन्होंने बताया कि बोर्ड का गठन होने के बाद मिट्टी के 150 से अधिक आइटम बनाए जा रहे हैं। इनमें कप-प्लेट सैट, जग-गिलास सैट, मिट्टी के कुकर तथा फ्रिज तक बनाए जा रहे हैं। सरकारी विभागों में भी मिट्टी के कुल्हड़ के प्रयोग के आदेश दिये गए हैं। जनपद में मिट्टी का काम करने वाले परिवारों को चिन्हीकरण किया गया है। इनमें से सूबे के 2300 लोगों को आधुनिकता का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके बाद इन्हें राज्य व केंद्र सरकार से अनुदान दिलाया जाएगा, ताकि ये बर्तन बनाने वाले उपकरण (चाक) आदि लगाकर अपना काम शुरू कर सकें। उन्होंने बताया कि जनपद की पांच तहसीलों में ऐसे 794 लोगों का चयन किया गया है। इन्हें मिट्टी के पट्टे आवंटित किये गए हैं। इससे तालाबों की सफाई तो होगी ही पानी का संचय भी होगा। उन्होंने बताया कि मिट्टी के बर्तनों को बढ़ावा देने के लिए सरकारी विभागों में मिट्टी के कुल्हड़ का प्रयोग करने के आदेश दिये गए हैं। रोडवेज बस अड्डों पर इस तरह की एक दुकान खोलने का प्रयास खादी बोर्ड के माध्यम से किया जा रहा है। कहा कि कई बड़े फाइव स्टार होटलों में मिट्टी से बने बर्तनों में खाना परोसकर दिया जा रहा है। केंद्रीय मंत्री से बात की गयी है कि हवाई अड्डों पर भी मिट्टी के आधुनिक बर्तनों की दुकान के माध्यम से इनकी बिक्री कराई जाए। इस मौके पर एडीएमएफ विनोद कुमार व एडीएमई एसबी सिंह भी मौजूद रहे।

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कुल्हड़ के फायदे

डा. संजीव मिगलानी के अनुसार कुल्हड़ पूरी तरह प्राकृतिक होता है, मिट्टी के पात्र में मौजूद आयरन, कैल्शियम और मैग्नीशियम जैसे मिनरल्स उसमें रखी चीज को बेहतर बनाते हैं। मिट्टी क्षारीय होती है, चूंकि पेट में पहले से एसिड होता है, ऐसे में ये क्षारीयता पाचन में सहायता करती है। कुल्हड़ इको-फ्रेंडली और हेल्थ के लिए फायदेमंद होने के साथ ही कुल्हड़ पेय पदार्थों का स्वाद भी बढ़ाते हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक मिट्टी में मौजूद क्षार चाय या कॉफी में मौजूद एसिड के साथ रिएक्शन कर उसे संतुलित और हेल्दी बना देता है।


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