कच्चा मकान, डर से नहीं आती रातों में नीद
आसमान में उमढ़ती काली घटाओं को देखकर भले ही किसान और मोर का मन खुशी से नाच उठता हो लेकिन इस नजारे को देखकर साखन कला के गरीब व मजबूर तीन भाइयों सुशील शर्मा सुनील शर्मा और प्रमील शर्मा भयभीत हो जाते हैं। इस सबकी वजह है उनके कच्चे मकान और उनसे टपकता बारिश का पानी।
सहारनपुर जेएनएन। आसमान में उमढ़ती काली घटाओं को देखकर भले ही किसान और मोर का मन खुशी से नाच उठता हो, लेकिन इस नजारे को देखकर साखन कला के गरीब व मजबूर तीन भाइयों सुशील शर्मा, सुनील शर्मा और प्रमील शर्मा भयभीत हो जाते हैं। इस सबकी वजह है उनके कच्चे मकान और उनसे टपकता बारिश का पानी।
सुनील शर्मा अखबार बेचकर मुश्किल से अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं। गो सेवा के लिए एक गाय पाल रखी है। विरासत में मिला दो कमरों का एक पुश्तैनी कच्चा मकान है। बड़ी मुश्किल से जिदगी गुजर-बसर करने वाले सुनील के पास आज तक इतने पैसे नहीं जुट पाए कि वह अपना पक्का मकान बना सकें। भ्रष्टाचार व पक्षपाती रवैये के चलते प्रधानमंत्री आवास जैसी सरकारी योजनाएं भी उसकी चौखट तक नहीं पहुंच पाई। यही वजह है कि सुनील का तीन सदस्यों का परिवार बारिश के मौसम में जागकर रात काटता है। पास में ही दूसरे भाई प्रमील शर्मा का मकान था, जो सरकारी प्रधानमंत्री आवास योजना की बाट जोहता-जोहता पिछली बारिश में धराशायी हो गया और घरेलू सामान इसके मलबे में दबकर नष्ट हो गया। जो शेष सामान बचा उसे पड़ोसियों के यहां डाला हुआ है। प्रमील शर्मा स्थानीय बस स्टैंड स्थित एक प्राइवेट विद्यालय में टीचर हैं। मजदूरी करके अपने परिवार का पालन करने वाले तीसरे भाई सुशील शर्मा के कच्चे मकान की भी इसी तरह की कहानी है। भले ही देश और प्रदेश की राजनीति गरीब के घर तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने का ढिढोरा पीट रही हो, लेकिन साखन कलां में इन गरीब परिवारों के लिए यह सब बेमानी साबित हो रहा है।
इन्होंने कहा..
अभी शासन की ओर से पैसा जारी नहीं होने के कारण नए आवासों के निर्माण का कार्य अधर में लटका है।
हरिहर शर्मा, एडीओ पंचायत देवबंद।
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सी-103, एक वर्ष में भी गरीबों को नहीं मिल सका आशियाना
संवाद सूत्र, सड़क दूधली: सरकार द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना इसलिए चलाई गई थी कि इसका लाभ उन गरीबों तक पहुंचे जिनके पास रहने के लिए छत नहीं है, या उनका कच्चा मकान है, लेकिन योजना का लाभ पात्रों तक नहीं पहुंच पा रहा है।
ऐसा ही एक मामला नगर निगम के गांव चकहरेटी में देखने को मिला। ईंटों के ऊपर टिन शेड डालकर रह रहे दो बुजुर्ग भाइयों प्रेम व रामकुमार पुत्रगण बुद्धू को एक साल पूर्व आवेदन करने के बाद भी घर नसीब नहीं हो सका। दोनों भाई मजदूरी कर अपने पांच बच्चों व पत्नी का पेट पालते हैं। बुधवार को प्रेम की 16 वर्षीय पुत्री शिवानी बारिश में टपकती छत के नीचे चूल्हा जलाकर रोटी बनाती मिली। आंगन में कीचड़ में खड़े दोनों भाइयों ने बताया कि ये सोचकर प्रधानमंत्री आवास योजना में आवेदन किया था कि बीवी बच्चों को सिर छुपाने के लिए छत मिल जाएगी। सूची में नाम भी आ गया था। विभाग द्वारा चूना डलवाकर मार्किंग की गई थी व फोटो भी खींचा गया था, लेकिन आज तक खाते में कोई पैसा नहीं आया। वह इस मामले में कई बार नुमाइश कैंप स्थित डूडा कार्यालय में मालूम कर चुके हैं। आधार कार्ड दिखाकर स्थिति मालूम की तो बताया गया कि नगर निगम द्वारा जांच करने पर उसका घर नहीं मिला। रिकार्ड में घर नहीं मिला लिखा हुआ है। जबकि उसका कहना है कि चकहरेटी एक गांव है यदि निगम कर्मी किसी से मालूम कर लेते तो उसके घर का पता मिल जाता। एक साल से अधिक बीतने पर भी उनको घर नसीब हो सका।
जिला नगरीय विकास अभिकरण अधिकारी डॉ. अनुज प्रताप सिंह का कहना है कि दोनों भाई आधार कार्ड के साथ उनके कार्यालय में आकर उनसे मिल सकते हैं। इतना समय क्यूं लग रहा है वह जांच कराएंगे।
जबकि पार्षद प्रमोद चौधरी का कहना है कि रामकुमार ने उनको बताया ही नहीं वरना उसका शौचालय बनवा देते। उन्होंने चकहरेटी में बहुत से शौचालय बनवाए हैं। अगले बजट में रामकुमार का शौचालय बनवा दिया जाएगा।