..और अब 'भीम व मीम' को साथ करने की कवायद!
राव ताहिर पुंडीर, छुटमलपुर(सहारनपुर) भीम आर्मी की जन्मस्थली अब दलित मुस्लिम गठजोड़ की नई
राव ताहिर पुंडीर, छुटमलपुर(सहारनपुर)
भीम आर्मी की जन्मस्थली अब दलित मुस्लिम गठजोड़ की नई पटकथा लिखने जा रही है। भीम आर्मी दलितों पर होने वाले अत्याचारों के खिलाफ आवाज बुलंद करने और आर्थिक रूप से पिछडे़ इस समाज के लोगों के उत्थान के लिए वजूद में आई थी। इसके संस्थापक चंद्रशेखर की जेल से रिहाई के बाद से जो नजारा आर्मी की जन्मस्थली शब्बीरपुर में है, उससे लगता है कि अब भीम व मीम को साथ लाने की कवायद चल रही है। चंद्रशेखर स्वयं भी कह रहे हैं कि भाजपा शासनकाल में दलितों व मुस्लिमों पर अत्याचार हो रहे हैं। यह भी कहना है कि जहां मुसलमानों का पसीना बहेगा, वहां वे अपना खून बहाने के लिए भी तैयार हैं।
कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष इमरान मसूद, चौधरी मेहरबान आलम, बेहट विधायक नरेश सैनी व देहात विधायक मसूद अख्तर मिलने के लिए शब्बीरपुर पहुंचे तो चंद्रशेखर ने इमरान की तरफ इशारा करते हुए आर्मी के लोगों से कहा था कि इस चेहरे को अच्छी तरह से पहचान लो। बुरे वक्त में इन्होंने मेरा साथ दिया है। जहां इनका पसीना बहेगा मैं वहां अपना खून बहाने के लिए तैयार हूं। इन नेताओं के अलावा दूर दराज से भी बड़ी संख्या में मुस्लिम समाज के लोग चंद्रशेखर से मिलने के लिए आ रहे हैं। लगातार राजनीति में आने से इन्कार कर रहे चंद्रशेखर का मिलने का अंदाज राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ियों की तरह है। सोमवार को मुजफ्फरनगर से आए खलीलुर्रहमान, मुकीम अहमद व सिराज हुसैन से भी चंद्रशेखर ने कहा कि मुस्लिम भाई मेरी रिहाई के लिए लगातार दुआएं करते थे। हम एक साथ खड़े हो जाएंगे तो अत्याचार से मुक्ति मिल जाएगी। चंद्रशेखर के इस अंदाज से लग रहा है कि भीम आर्मी का नजरिया कुछ बदल रहा है। उसने मुस्लिम समाज को साथ जोड़ने की कवायद शुरू कर दी है। यही नहीं सपा युवजन सभा के जिला उपाध्यक्ष रहे फिरोज खान, फैजान मिर्जा, हाजी जुल्फान छोटा, राव असलम व कई अन्य मुस्लिम चेहरे अपना अधिकांश समय जेल से बाहर आए चंद्रशेखर के साथ ही गुजार रहे हैं।