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क्या खबर कौन कब लूट ले राह में, काफिले से अलग मत रहा कीजिए

देवबंद में अदबी समाज संस्था जहान-ए-अदब एकेडमी ने मशहूर शायर डा. ताबिश मेहंदी और विख्यात सूफी सिगर जीशान-फैजान साबरी के सम्मान में मुशायरे का आयोजन किया गया। इसमें शायरों ने सुंदर कलाम सुनाकर श्रोताओं की खूब वाहवाही लूटी।

By JagranEdited By: Published: Sun, 25 Oct 2020 06:02 PM (IST)Updated: Sun, 25 Oct 2020 06:02 PM (IST)
क्या खबर कौन कब लूट ले राह में, काफिले से अलग मत रहा कीजिए
क्या खबर कौन कब लूट ले राह में, काफिले से अलग मत रहा कीजिए

सहारनपुर, जेएनएन। देवबंद में अदबी समाज संस्था जहान-ए-अदब एकेडमी ने मशहूर शायर डा. ताबिश मेहंदी और विख्यात सूफी सिगर जीशान-फैजान साबरी के सम्मान में मुशायरे का आयोजन किया गया। इसमें शायरों ने सुंदर कलाम सुनाकर श्रोताओं की खूब वाहवाही लूटी।

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मोहल्ला किला पर आयोजित मुशायरे का उद्घाटन मेहमान शायर डा. ताबिश मेहंदी और जहान-ए-अदब एकेडमी के चेयरमैन तनवीर अजमल ने किया। शमा रोशन जीशान साबरी ने की। मुशायरे में डा. ताबिश मेहंदी ने अपने अंदाज में कुछ यूं कहा, क्या खबर कौन कब लूट ले राह में, काफिले से अलग मत रहा कीजिए दिल्ली से आए फैजान साबरी ने पढ़ा, मुझको गिरते हुए पत्तों ने ये समझाया है, बोझ बन जाए तो अपने भी गिरा देते हैं। उस्ताद शायर शमीम किरतपुरी ने पढ़ा, अपने ही पाव पे खुद हमने कुल्हाड़ी मारी, राज की बात पड़ोसी को बता दी हमने। तनवीर अजमल ने कहा मैं तन्हा होकर भी तन्हा नहीं हुआ, अजमल, वो साया बन के मेरे साथ चलता रहता है। दिलशाद खुश्तर के, हाथ से हाथ मिलाने वालों, दिल मिलाओ तो बात बन जाए, शोर ने खूब दाद बटोरी। इनके अलावा अदनान अनवर, फैसल उस्मानी, नफीस अहमद नफीस, डा. काशिफ अख्तर, सुहेल अकमल, नवाब अख्तर, नौशाद साबरी, फिरोज साबरी, आजम साबरी, मोहम्मद यूसुफ ने भी अपने कलाम पेश किए।


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