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कोरोना संकट में मजदूरों का सहारा बनी मनरेगा योजना

कोरोना के संकट काल में आज जब हर कोई आर्थिक संकट से जूझ रहा है तो ऐसे में मनरेगा योजना ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति देने का काम कर रही है। इस योजना के चलते अब मजदूर बाहर काम पर जाने के बजाय अपने ही गांवों में रहकर काम करना पसंद कर रहे हैं। इससे न केवल अधिक लोगों को रोजगार मिल रहा है बल्कि सरकारी कार्यों को भी गति मिल रही है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 22 May 2020 10:31 PM (IST)Updated: Sat, 23 May 2020 06:04 AM (IST)
कोरोना संकट में मजदूरों का सहारा बनी मनरेगा योजना
कोरोना संकट में मजदूरों का सहारा बनी मनरेगा योजना

सहारनपुर, जेएनएन। कोरोना के संकट काल में आज जब हर कोई आर्थिक संकट से जूझ रहा है तो ऐसे में मनरेगा योजना ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति देने का काम कर रही है। इस योजना के चलते अब मजदूर बाहर काम पर जाने के बजाय अपने ही गांवों में रहकर काम करना पसंद कर रहे हैं। इससे न केवल अधिक लोगों को रोजगार मिल रहा है बल्कि सरकारी कार्यों को भी गति मिल रही है।

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महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना 2006 में आरंभ की गई। इस योजना ने वास्तव में ग्रामीण क्षेत्रों की तस्वीर बदल डाली है। आंकड़ों के मुताबिक प्रति वर्ष औसतन एक-चौथाई परिवारों ने इस योजना का लाभ उठाया है। यह योजना सामाजिक समावेशन की दिशा में बेहतर सिद्ध हुई है। मनरेगा के द्वारा कुल काम के 51 प्रतिशत काम में अनुसूचित जाति व जनजाति तथा 47 प्रतिशत महिलाओं को शामिल किया जाता है। निश्चित रूप से मनरेगा न केवल ग्रामीण रोजगार के लिए लाभकारी सिद्ध हुआ है बल्कि इसने ग्रामीणों की सामाजिक आर्थिक स्थिति को सुधारने का मौका भी प्रदान किया है।

जनपद में इन दिनों 742 गांवों में चकरौड पर मिट्टी डालने, नाला सफाई व खुदाई, तालाब खुदाई एवं कच्ची गुलों की सफाई के कार्य मनरेगा के तहत चल रहे हैं। इन कार्यों में 23 हजार मजदूर काम कर रहे हैं। हर हफ्ते इन मजदूरों का मस्टरोल समाप्त होते ही भुगतान कर दिया जाता है। यही कारण है कि कोरोना के दौर में जब ज्यादातर उद्योग बंद हैं तो लोग गांवों में काम कर रहे हैं।

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इनका कहना है..

परियोजना निदेशक मनरेगा दुष्यंत सिंह ने बताया कि मनरेगा योजना के तहत एक मजदूर को सौ दिन रोजगार मिलता है। कोरोना संकट काल में हर कोई गांव में है। इसलिए इस साल मई माह में 23 हजार मजदूर मनरेगा योजना के तहत काम कर रहे हैं। जबकि पिछले साल मई माह में मजदूरों ने ही काम किया था। उन्होंने बताया कि अभी तक मनरेगा के तहत काम करने वाले सभी मजदूरों का भुगतान कर दिया गया है। शुक्रवार तक किसी भी मजदूर का भुगतान लंबित नहीं है। उन्होंने बताया कि नल्हेडा गुर्जर में व्यक्तिगत तालाब की खुदाई का काम चल रहा है तो देवबंद के साधारणसिर में नाला सफाई काम चल रहा है। सभी जगह सोशल डिस्टेंसिग का पालन कराया जा रहा है।


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