बेकार पड़ा करोड़ों का इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव इंजन
ट्रेनों की स्पीड बढ़ाने व समय पर संचालन के लिए रेलवे पिछले पांच वर्षों से लगातार प्रयास कर रहा है। नई तकनीकों को पटरी पर उतराने की कोशिश की जा रही हैं।
सहारनपुर : ट्रेनों की स्पीड बढ़ाने व समय पर संचालन के लिए रेलवे पिछले पांच वर्षों से लगातार प्रयास कर रहा है। नई तकनीकों को पटरी पर उतराने की कोशिश की जा रही हैं। रेलवे की साझीदारी से मधेपुरा इलेक्ट्रिक लोको मोटिव फैसिलिटी फैक्ट्री में करोड़ों की लागत से निर्मित एल्स्टाम का पहला इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव इंजन उपयोग में नहीं लाए जाने के कारण अरसे से सहारनपुर लोको यार्ड में बेकार पड़ा है।
बता दें कि रेलवे द्वारा ट्रेनों की रफ्तार बढ़ा 120 किमी प्रति घंटा करने तथा रेलवे ट्रैक में आई खराबी को लोकोमोटिव इंजन के माध्यम से चलते समय ही ठीक कर देने की गुणवत्ता के मद्देनजर एल्स्टाम का इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव इंजन बनाने की शुरूआत मधेपुरा में कराई थी। इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव इंजन से न केवल देशभर में संचालित ट्रेनों में लगाए जाने थे बल्कि 800 से अधिक लोकोमोटिव इंजनों का रखरखाव भी एल्स्टाम के माध्यम से किया जाना था। जून 2018 में एल्स्टाम का पहला इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव इंजन सहारनपुर यार्ड में परीक्षण के लिए पहुंचा था। ट्रायल के दौरान इसकी स्पीड 60 किमी प्रति घंटा रखी गई थी, जिसे बढ़ाकर 120 किमी प्रतिघंटा की जानी थी, परन्तु एल्स्टाम के पहले इंजन का संचालन तो दूर परीक्षण ही पूरा होने में नहीं आ रहा है। यह रेलवे की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान है। यह स्थिति तब है जबकि लोकोमोटिव इंजन को 50 हजार किमी संचालन के परीक्षण से गुजरना है, यह परीक्षण कब पूरा होगा इसके बारे में रेल अधिकारी कुछ कहने की स्थिति में नहीं है।
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अनेक खूबियों से युक्त होने का दावा
एल्स्टाम का इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव इंजन ट्रेन ट्रेसर एल्स्टाम की एक ट्रेडमार्क टेक्नालाजी है। कंपनी द्वारा पहली बार लोकोमोटिव की गति को रिमोट मानिटरिग सिस्टम ट्रेन ट्रेसर के माध्यम से ट्रैक किए जाने का दावा किया है। जिसके तहत ट्रैक पर चलने के दौरान ही पहले आई ट्रैक में कोई खराबी का समाधान करने की क्षमताएं है। रेलवे यार्ड में लोकोमोटिव इंजन को और परीक्षणों से गुजरना था। उसके बाद रफ्तार 120 किमी प्रति घंटे की जानी थी, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया है। बताया गया है कि दो दिन पूर्व लोकोमोटिव इंजन का सहारनपुर से बरेली के बीच इसका ट्रायल स्थानीय इंजीनियरों की देखरेख में किया गया था लेकिन स्पीड 70 किमी प्रतिघंटा से अधिक नहीं बढ़ पाने की जानकारी मिली है। ऐसे में तकनीक फेल रहने के कारण रेलवे का ट्रेनों की स्पीड बढ़ाने का सपना जल्द पूरा होने के आसार नजर नहीं आ रहे है। साथ ही करोड़ों के इंजन बर्बाद होने की संभावना से भी इन्कार नहीं किया जा सकता है।
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इनका कहना है..
एल्स्टाम के इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव इंजन का इंजीनियर्स द्वारा हाल में ही परीक्षण किया गया तथा सहारनपुर से बरेली के बीच ट्रायल्स में स्पीड मात्र 70 किमी रही थी। इंजन को अभी और परीक्षणों से गुजरना है, रेलवे व इंजीनियरों को तमाम परीक्षण करने है जोकि अपने शेडयूल से पूरा करेंगे। परीक्षण कब तक पूरे होंगे इसके बारे में कह पाना अभी संभव नहीं है।
-शिवपाल सिंह, यार्ड मास्टर खानआलमपुरा यार्ड सहारनपुर।