निगम चुनाव में निर्दलीय बने हैं बड़ी समस्या
सहारनपुर: सहारनपुर नगर निगम मेयर सीट के साथ-साथ बड़ी संख्या में पार्षद की सीटों पर होन
सहारनपुर: सहारनपुर नगर निगम मेयर सीट के साथ-साथ बड़ी संख्या में पार्षद की सीटों पर होने वाले चुनाव में जहां सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने अधिकांश पर प्रत्याशी उतारे हैं, वहीं चुनाव मैदान में डटे बड़ी संख्या में निर्दलीय अपने ही दलों की ताल बिगाड़ रहे है। प्रमुख राजनीतिक दलों के लिए ये निर्दलीय समस्या बनते जा रहे हैं।
सहारनपुर नगर निगम चुनाव में मेयर सीट पर जहां भाजपा, कांग्रेस, सपा व बसपा ने अपने प्रत्याशी उतारे है। वहीं निर्दलीय के रुप मे 8 प्रत्याशी चुनाव मैदान में डटकर अपने ही दलों को चुनौती देने में लगे है। इसी प्रकार पार्षद की 70 सीटों पर चुनाव होना है, कांग्रेस व सपा को छोड़कर किसी भी दल ने तमाम सीटों पर प्रत्याशी व समर्थित प्रत्याशी नहीं उतारे है। ये अलग बात है कि कई सपा व कांग्रेस से जुड़े रहे लोग व नेता चुनाव मैदान में निर्दलीय उतर कर चुनौती देने में लगे हैं। भाजपा के वार्डों में पार्टी के प्रत्याशियों की संख्या 55 से अधिक बताई जाती है, जबकि बसपा ने 35 के करीब पार्षद प्रत्याशी उतारे हैं। पार्टी प्रत्याशी जहां पार्टी ¨सबल पर चुनाव लड़ रहे है वहीं इन्हीं दलों के अनेक समर्थक रहे अनेक लोग निर्दलीय ताल ठोक रहे है, जो पार्टी प्रत्याशियों के लिए बड़ी चुनौती साबित हो रहे है। सबसे बुरा हाल तो भाजपा का है। वार्डों में प्रत्याशी घोषित करने के बावजूद पार्टी के ही कई वरिष्ठ नेता तक निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर कर पार्टी प्रत्याशियों से ही दो-दो हाथ करने को तैयार है। कई वार्डों में तो भाजपा के बागी निर्दलीय प्रत्याशियों की संख्या कई कई होने से पार्टी को सीट खोने का खतरा बढ़ता जा रहा है।
कांग्रेस सपा में भी बुरा हाल
सपा व कांग्रेस द्वारा अधिकांश वार्डों पार्षद पद के पार्टी प्रत्याशी उतारे जरूर है, लेकिन विधिवत घोषणा नहीं की थी। इसका कारण टिकट को लेकर मारमारी मचना रहा है। नामांकन के दौरान अनेक प्रत्याशियों को पार्टी का ¨सबल देने के बाद विद्रोह होना शुरू हुआ तथा दोनों दलों के अनेक कार्यकर्ता निर्दलीय चुनाव मैदान में डटे हैं, जो पार्टी प्रत्याशियों के लिए बड़ा सिरदर्द साबित हो रहे है। कुल मिलाकर जिस प्रकार पार्षद प्रत्याशियों को लेकर घमासान मचा है तथा 700 के करीब चुनावी जंग लड़ रहे है उससे इतना तय माना जा रहा है कि इससे राजनैतिक दलों को खासा नुकसान उठाना पड़ेगा? देखना अब यह है कि निर्दलीयों की यह भीड़ निगम चुनाव में क्या गुल खिलाती है।