जाति और धर्म देखकर अखिलेश सरकार दर्ज करा रही मुकदमा
भाजपा की परिवर्तन के दौरान मंत्री संजीव बालियान कैराना मुद्दा उठाया और कहा कि अखिलेश यादव सरकार में जाति और धर्म देखकर मुकदमे दर्ज हो रहे हैं।
सहारनपुर (जेएनएन)। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की अगुआई में भाजपा की परिवर्तन यात्रा गांव-गांव मथ रही है। बड़ी संख्या में पश्चिम उत्तर प्रदेश के भाजपा पदाधिकारी और जनप्रतिनिधि यात्रा के साथ हैं। साथ चलते-चलते सरसावा के करीब केन्द्रीय मंत्री संजीव बालियान कैराना मुद्दा उठा दिया और कहा कि अखिलेश यादव सरकार में जाति और धर्म देखकर मुकदमे दर्ज हो रहे हैं। गुंडों को खुली छूट होने से कैराना से पलायन हो रहा है। उसका असर आसपास के क्षेत्रों में भी है, इसके बाद भी प्रदेश सरकार कोई ध्यान नही दे रही है। सांसद राघव लखन पाल शर्मा ने पश्चिम की उपेक्षा पर नाराजगी जाहिर की।
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हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि पश्चिम उप्र व हरियाणा की विरासत व हवा एक सी है। हरियाणा की रागिनी व उत्तर प्रदेश का रास भी एक जैसा ही है, फिर किसानों की समस्याओं के निस्तारण, इन्फ्रास्ट्रक्चर आदि मामलों में उप्र हरियाणा से पिछड़ा हुआ है। फिलहाल पश्चिमी उप्र के गन्ना व धान किसानों के लिए हरियाणा के द्वार खोल दिए गए है। हरियाणा की सभी 14 चीनी मिलों को हिदायत है कि वह उप्र के किसानों का भी गन्ना खरीदे और 14 दिन के अंदर उसका भुगतान करे।
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1500 करोड़ का गंन्ना बकाया भुगतान नहीं
भाजपा परिवर्तन यात्रा का नेतृत्व कर रहे मनोहर लाल खट्टर ने आज सहारनपुर के सरसावा में पत्रकारों से वार्ता में अखिलेश यादव सरकार पर जमकर प्रहार किए। उन्होंने कहा कि गर्मी से ठंड भी आ गई, इसके बाद भी उप्र के गन्ना किसानों का 1500 करोड़ का बकाया भुगतान अभी तक नहीं हुआ है। उप्र में गन्ने का रेट 280 रुपये प्रति क्विंटल घोषित है, इसके बाद भी मिल मालिक 230 रुपये प्रति क्विंटल का भुगतान कर रहे है। अखिलेश सरकार कह रही है कि बाकी का 50 रुपये प्रति क्विंटल का भुगतान बाद में होगा। सवाल है कि जब गन्ने से चीनी आदि बनकर बाजार में बिक गई तो बकाया भुगतान बाद में क्यों। हरियाणा 310 रुपये प्रति क्विंटल का भुगतान कर रहा है, वह भी 14 दिन के अंदर। धान खरीद में भी यही स्थिति है।
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इंडस्ट्री लगाने में यूपी सरकार का सहयोग नहीं
खट्टर ने कहा कि यदि उप्र सरकार वुड बेस इंडस्ट्री की स्थापना पर पिछले कई साल से लगा बैरियर हटा ले तो हरियाणा के सैकड़ों उद्यमी सहारनपुर व उसके आसपास अपनी इकाई स्थापित करने के लिए तैयार है। उन्होंने बताया कि उप्र से उत्तराखंड अलग राज्य होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इमारती लकडिय़ों के कटान व आरा मशीनों को नए आरा लाइसेंस जारी करने पर रोक लगा दी थी, जिस कारण यहां नई प्लाईवुड इंडस्ट्री भी नही खुल सकती थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में 11 फरवरी 2016 को अपना फैसला सुना दिया है। अपने आदेश में कोर्ट ने उप्र प्रमुख वन संरक्षक की अध्यक्षता में 6 सदस्यीय कमेटी के गठन का आदेश दिया जो पश्चिमी उत्तर प्रदेश में घूमकर यह देखेगी की कहां पर लकड़ी है और कहां वुड बेस्ड इंडस्ट्री लगाई जा सकती है ताकि सरकार उसके लाइसेंस जारी कर सके। उन्होंने कहा कि यदि सहारनपुर या उसके आसपास वुड बेस्ड इंडस्ट्री लगी तो न केवल यहां के लोगों को रोजगार मिलेगा, बल्कि किसानों को भी उनकी फसल का वाजिब दाम मिलेगा।
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