सीएचसी का मिला दर्जा, सुविधाएं पीएचसी से बदतर
त्र के साढ़ौली कदीम में पांच वर्ष पूर्व पीएचसी को सीएचसी का दर्जा मिला था। इसके लिये स्वास्थ्य विभाग ने करोड़ों की लागत से नए भवन का निर्माण भी कराया था लेकिन यह
सहारनपुर जेएनएन। तहसील क्षेत्र के साढ़ौली कदीम में पांच वर्ष पूर्व पीएचसी को सीएचसी का दर्जा मिला था। इसके लिये स्वास्थ्य विभाग ने करोड़ों की लागत से नए भवन का निर्माण भी कराया था, लेकिन यह सीएचसी क्षेत्रवासियों को स्वास्थ्य सेवाएं देने में नाकाम साबित हो रही है। इस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में हमेशा से ही स्टाफ की कमी के चलते स्वास्थ्य सेवाएं कसौटी पर खरी नहीं उतर रही है।
जब भी कोई प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के तौर पर उच्चीकृत होता है तो उसमें उन्हीं मानकों के अनुसार चिकित्सक, टैक्नीशियन, स्टाफ व उपकरण उपलब्ध कराये जाते हैं। लेकिन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र साढ़ौली कदीम की बात करें तो भवन पर तो करोड़ों रूपये खर्च हो गये थे, लेकिन अन्य किसी भी स्तर पर कहीं भी मानक पूरे नहीं हो रहे हैं। जिसका खामियाजा क्षेत्रवासियों को झोलाछाप डाक्टरों से जान जोखिम में डालकर महंगा इलाज कराकर भुगतना पड़ रहा है। ऐसी हालत में देखा जाये तो यहां अस्पताल ही खुद बीमार है। फिलहाल इस सीएचसी पर मानक के अनुसार उपकरणों की कमी तो है ही है। यहां चिकित्सक व स्टाफ भी पूरा नहीं है। यह स्थिति अकेले साढ़ौली कदीम सीएचसी की ही नहीं है। तहसील मुख्यालय बेहट की सीएचसी के भी यहीं हालात है।
सीएचसी के मानक साढ़ौली कदीम सीएचसी में वर्तमान में तैनाती
डॉक्टर एलोपैथिक 6 1
आयुष चिकित्सक 1 1
फार्मासिस्ट 3 3
महिला चिकित्सक 1 0 एक्स रे टेक्नीशियन 1 0 स्वीपर 3 0 वार्ड बॉ 2 0 स्टॉफ नर्स 4 2 वार्ड आया 1 0
माली 1 0
क्लर्क 1 0 चौकीदार 1 1 --------
दोनों सीएचसी के चिकित्सा अधीक्षक डा. नितिन कंदवाल का कहना है कि सीएचसी में चिकित्सक व स्टाफ की कमी के बारे में उच्चाधिकारियों को वह समय-समय पर अवगत कराते हैं। इन सबके बावजूद उपलब्ध स्टाफ से ही क्षेत्र की स्वास्थ्य सेवाओं को दुरूस्त रखा जा रहा है।