शब्बेदारी कर ह•ारत इमाम हुसैन की शहादत को याद किया
म•ालूमे •ामाना ह•ारत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम व करबला के 72 शहीदों की शहादत की याद में रात भर शब्बेदारी की गयी। रात के अंतिम पड़ाव में अंगारों पर चल कर आग का मातम कोविड 19 की वजह से नहीं किया गया बल्कि नौहाखानी कर मातम किया गया।
सहारनपुर जेएनएन। म•ालूमे •ामाना ह•ारत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम व करबला के 72 शहीदों की शहादत की याद में रात भर शब्बेदारी की गयी। रात के अंतिम पड़ाव में अंगारों पर चल कर आग का मातम कोविड 19 की वजह से नहीं किया गया बल्कि नौहाखानी कर मातम किया गया। रविवार की सुबह अ•ाखानो मे अलविदा पढ़ी गयी। अ•ादारों ने अपने घरों पर आमाले रोजे आशुरा करे। आज के दिन सोगवार फाका रखते हैं, तथा काले कपडे़ पहनते हैं। नंगे पैर, गरेबान चाक रखते हुए ह•ारत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम का सोग मनाते हैं और आमाले आशूरा अदा करते हैं। इन्ना लिल्लाहे व इन्ना इलैहि राजे उन र•ान बेक•ाए तस्लीमन ले अमरे। यह वह शब्द है शबे आशूरा ह•ारत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने शहादत देने से पहले करबला के मैदान में दोहराये थे।
म•ालूमे •ामाना ह•ारत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम व करबला के 72 साथियों की शहादत के बाद करबला में ह•ारत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की बहन ह•ारत जैनब स.अ. बेटे ह•ारत इमाम जैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम व कुछ औरतें बच्चे बाकी रह गये थे। शहादत के बाद की रात उन म•ालूमो पर कयामत की रात थी, सब कुछ उजड़ चुका था। उसी रात की याद में मजलिसे शामे गरीबा का आयोजन किया गया (यह मजलिस लाईट बन्द कर अंधेरे मे होती है)। इसको सालिम का•ामी ने खिताब फरमाया, मजलिस में जैसे ही करबला उजड़ने का बयान हुआ, मजलिस में मौजूद सभी सोगवार फूट-फूट कर रोने लगे। बयान के तुरन्त बाद सोगवारों ने हाथों से अपनी छातियों पर मातम किया और अलविदा पढ़ी गयी। मातम इतना ज्यादा था कि हाथों से सोगवारों की छातियां फट गयी और खून रिसने लगा। मजलिस में सो•ा खानी अनवर अब्बास, फिरोज हैदर ने की तथा सलीस हैदर का•ामी, अनवर अब्बास •ौदी ने अलविदा पढ़ी। यह मजलिस शारीरिक दूरी के साथ चन्द सोगवारो के बीच हुई। सरकार की गाइड लाइन व कोविड 19 की वजह से आज नगर में यौमे आशुरा का जूलुस नहीं निकला गया। सोगवारों ने फाका शाम 4 बजे ता•िाया दफन की ओपचारिकताऐं पूरी कर खोला।