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बम-बम के जयकारों के साथ दौड़े डाक कांवड़िये

सहारनपुर :शिवरात्रि पर जलाभिषेक को लेकर गुरुवार देर रात तक डाक कांवड़ की धूम रही

By JagranEdited By: Published: Wed, 08 Aug 2018 08:42 PM (IST)Updated: Wed, 08 Aug 2018 08:42 PM (IST)
बम-बम के जयकारों के साथ दौड़े डाक कांवड़िये
बम-बम के जयकारों के साथ दौड़े डाक कांवड़िये

सहारनपुर :शिवरात्रि पर जलाभिषेक को लेकर गुरुवार देर रात तक डाक कांवड़ की धूम रही। वाहनों पर सवार कांवडि़यों के अनूठे अंदाज देखने के लिए कांवड़ मार्ग पर श्रद्धालु उमडे।बम-बम भोले और हर-हर महादेव की गूंज से वातावरण धर्ममय रहा। तेजी से बढ़ रहे पैदल कांवड़िये पैरों में छालों की परवाह नही कर रहे थे। कावंड़ियों के मुख में शिव का नाम अगाध आस्था का प्रतीक है। तेज धूप के बावजूद कांवड़ियों का उत्साह पूरे चरम पर था।

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कई दिन से चल रही डाक कांवड़ मेले में बुधवार को बड़ी संख्या में भोले के भक्त वाहनों पर सवार होकर हरिद्वार की ओर दौड़ते दिखाई दिए। भोलों की आमद से पूरा कांवड़ मार्ग तीर्थ स्थल बन गया। हरियाणा, पंजाब से कांवड़िये मिनी ट्रकों व दो पहिया वाहनों पर सवार होकर हरिद्वार की ओर बढ़े चले जा रहे हैं। रात में कांवड़ मार्ग उत्सव स्थल में तब्दील हो गया। दूर तक रोशनी में नहाए कांवड़ सेवा शिविर तथा मस्त होकर डीजे की धुन पर नृत्य कर रहे कांवड़ियों को देखने के लिए महिलाएं और बच्चे सभी पहुंच रहे हैं। देर रात तक शिविरों में श्रद्धा का आलम रहा है। डाक कांवड़ शुरू होने से कांवड़ मार्ग पर दूर तक कांवड़ियों का रेला ही दिखाई दे रहा था। बड़ी कांवड़ जहां आकर्षण का केन्द्र रही वहीं मुखौटा लगाए कांवडि़यों का उत्साह देखते ही बनता है। तेज धूप के कारण पैदल कांवड़ियों को परेशानी भी हुई लेकिन उनका उत्साह कम नही हुआ। शिविरों में भव्य झांकियां देखने के लिए लोग उमड़ रहे थे। मार्ग पर जगह-जगह श्रद्धालु कांवड़ियों को फल वितरित कर धर्म लाभ कमाने में लगे हुए हैं।

सड़क दूधली : डाक कांवड़ियों के टोले बिना साइलेंसर वाली बाइकों पर सवार होकर अपने गंतव्य की ओर दौड़े जा रहे थे। साइलेंसर रहित बाइकों के शोर से अन्य बाइक सवारों का चलना मुश्किल हो रहा था। पूरे कांवड़ मार्ग पर डाक कांवड़ियों के ही वाहन नजर आ रहे थे। एक बाइक पर सवार तीन-तीन चार-चार कांवड़िये सवार थे। बारी-बारी से एक-एक गंगाजल लेकर दौड़ लगाता था। उसके थक जाने पर दूसरा गंगाजल लेकर दौड़ पड़ता था। अंतिम दिन कांवड़ मार्ग के किनारे रहने वाले ग्रामीण भोले के भक्तों की सेवा में जुटे रहे। जगह-जगह लोग कांवड़ यात्रियों को फल व हलवा आदि खिलाते नजर आए। पूरे कांवड़ मार्ग पर उत्सव का सा नजारा रहा।


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