फसलों की लागत के अनुसार दाम तक करे सरकार
केंद्र सरकार द्वारा किसानों के लिए अनेक योजनाएं शुरु किये जाने के बावजूद किसान गन्ना मूल्य ब्याज सहित भुगतान न होने तथा डीजल पेट्रोल और बिजली के बढ़ते दामों आदि को लेकर परेशान हैं।
सहारनपुर, जेएनएन। केंद्र सरकार द्वारा किसानों के लिए अनेक योजनाएं शुरु किये जाने के बावजूद किसान गन्ना मूल्य, ब्याज सहित भुगतान न होने तथा डीजल पेट्रोल और बिजली के बढ़ते दामों आदि को लेकर परेशान हैं। केंद्र सरकार द्वारा फरवरी माह में संसद के अंदर पेश किए जा रहे वित्तीय बजट पर सरकार किसानों की नजर लगी हुई है। किसान नेताओं ने केंद्र सरकार से गन्ना किसानों के साथ साथ अन्य फसलों के दाम लागत के अनुसार करने की मांग की है। किसानों को उम्मीद है कि आने वाले बजट में वित्तमंत्री किसानों को ध्यान में रखकर खाद, बीज, डीजल आदि की समस्याओं पर गौर करेंगी।
साथ ही सरकार के बजट से अनेक अपेक्षाएं जता रहे है। ऐसे में सरकार के समक्ष भी समाज के सभी व वर्गों को बजट के माध्यम से सहूलियत व राहत प्रदान करना बड़ी चुनौती बना है।
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सी-20, डीजल व पेट्रोल जीएसटी के दायरे में हो
डीजल और पेट्रोल को जीएसटी के दायरे में हर हाल में लाया जाए। बजट में महिला किसानों की खुशहाली के लिए कल्याणकारी कृषि नीति बने। हर वर्ष होने वाली प्राकृतिक आपदा, बाढ़ बारिश, ओलावृष्टि व सूखे के लिए कोई ठोस नीति को अमल में लाने का प्रावधान हो। साथ ही इनका कहना है कि बढ़ती महंगाई पर काबू पाया जाए और डीजल, बिजली तथा खाद बीज सस्ते किये जाएं।
..चौधरी अशोक कुमार
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सी-21, एक समान चीनी नीति लागू हो
भारतीय किसान संघ के प्रदेश संयोजक श्यामवीर त्यागी ने कहा कि केंद्र सरकार देश के अंदर एक सामान चीनी नीति लागू करें क्योंकि देश के अलग-अलग राज्यों में चीनी और गन्ने के भाव अलग-अलग हैं। जब सरकार देश में एक समान चीनी नीति लागू कर देगी तो उससे किसानों को अच्छा खासा लाभ पहुंचेगा। चीनी मिलों में एथेनाल बनाने की मात्रा बढ़ाएं। सरकार इस बार अगर किसानों को खाद बीज के अलावा बिजली पर भी सब्सिडी देती है तो यह और अच्छा हो कदम होगा।
..श्यामबीर त्यागी, प्रदेश संयोजक भाकिसं।
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सी-22, बंद चीनी मिले हों चालू
केंद्र सरकार व प्रदेश सरकार किसानों को सिर्फ लॉलीपॉप देने का कार्य कर रही है। किसानों के बकाया गन्ना भुगतान के आदेश को सुप्रीम कोर्ट व प्रदेश सरकार चीनी मिल मालिकों को दे चुकी है, लेकिन चीनी मिल मालिक किसानों का भुगतान नहीं कर रहे। इससे साफ है कि चीनी मिल मालिकों व सरकार की मिलीभगत है। किसान निधि के नाम पर किसानों के साथ धोखा हो रहा है। वित्तमंत्री को चाहिए कि बजट में ऐसी व्यवस्था करें कि चीनी मिलों पर बकाया ब्याज किसानों को दिलाया जाए। उनके गन्ने का भुगतान 14 दिन के भीतर हो। खाद, बीज की कालाबाजारी पर अंकुश के साथ कृषि क्षेत्र में बेहतरी के लिए किसानों के लिए राहत पहुंचाने वाला बजट की जरूरत है।
...चौधरी जगपाल सिंह
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सी-कृषि यंत्र हो सस्ते व मिले सब्सिडी
बजट में बाढ़ व सूखे तथा आपदा के अलावा किसानों को कर्ज से राहत के बेहतर विकल्प प्रदान किया जाए। कृषि को व्यापार का रूप देकर किसानों को रोजगार से जोड़ने का प्रयास तथा असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की मौत पर 10 लाख रुपए मुआवजा, स्थानीय स्तर पर बड़े सरकारी कोल्ड स्टोरेज की स्थापना, कृषि में प्रयोग होने वाले यंत्रों व खाद आदि सस्ती तथा इनपर सब्सिडी की व्यवस्था और किसानों को फसलों का वाजिब दाम व गन्ना भुगतान समय से कराने की व्यवस्था हो। इस देश की आर्थिक विकास दर किसानों की आर्थिक स्थिति और उनकी विकास पर निर्भर करती है।
..मुकेश तोमर, भाकियू नेता