ग्रामीण आवासीय अभिलेख से मिलेगा अपने घर का स्वामित्व
ग्रामीण क्षेत्रों में मकानों के स्वामित्व को लेकर अक्सर झगड़े होते रहते हैं। इसका एक कारण यह है कि इन मकानों में रहने वालों के पास पुराने पुश्तैनी मकान होने के कारण उनके पास उसके स्वामित्व के अभिलेख नहीं होते। ऐसे ही वादों का निस्तारण करने के लिए प्रदेश सरकार ने भारत सरकार की स्वामित्व योजना के तहत ग्रामीण आबादी सर्वेक्षण एवं अभिलेख संक्रिया विनियामली तैयार की है।
सहारनपुर, जेएनएन। ग्रामीण क्षेत्रों में मकानों के स्वामित्व को लेकर अक्सर झगड़े होते रहते हैं। इसका एक कारण यह है कि इन मकानों में रहने वालों के पास पुराने पुश्तैनी मकान होने के कारण उनके पास उसके स्वामित्व के अभिलेख नहीं होते। ऐसे ही वादों का निस्तारण करने के लिए प्रदेश सरकार ने भारत सरकार की स्वामित्व योजना के तहत ग्रामीण आबादी सर्वेक्षण एवं अभिलेख संक्रिया विनियामली तैयार की है।
जिसके अंर्तगत ग्रामीण आबादी क्षेत्रों में अवस्थित भूमि, भवन एवं संपत्तियों का सर्वेक्षण कराकर ग्रामीण आवासीय अभिलेख तैयार कर संबंधित गृह स्वामियों को उपलब्ध कराना है। राज्य सरकार द्वारा अधिसूचना जारी कर ग्रामीण आबादी क्षेत्र के सर्वेक्षण का कार्य डीएम एवं जिला अभिलेख अधिकारियों द्वारा प्रसारित कर कराया जाएगा। इसके पश्चात आबादी क्षेत्र का ड्रोन से सर्वेक्षण करा फोटो लिए जाएंगे। जिसके आधार पर आबादी क्षेत्र का मानचित्र तैयार किया जाएगा। मानचित्र के आधार पर आबादी भूखंडों पर नंबर डालक सभी गृह स्वामियों एवं सरकारी संपत्तियों की सूची बनाकर ग्राम पंचायत की बैठक में प्रकाशित किया जाएगा। इसके उपरांत उप जिलाधिकारी द्वारा आपत्तियां आमंत्रित कर उनका निस्तारण सुलह समझौते के आधार पर किया जाएगा। उप जिलाधिकारी/ सहायक अभिलेख अधिकारी के निस्तारण के विरूद्ध जिलाधिकारी/ जिला अभिलेख के समक्ष आपत्तियां दाखिल की जा सकती है।
प्रदेश सरकार के इस आदेश के क्रम में जिले की सभी 884 ग्राम पंचायतों में भी सर्वेक्षण का कार्य किया जा रहा है। उप जिलाधिकारी सदर अनिल कुमार सिंह ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में मकान, दुकान आदि जमीनों के वाद सबसे ज्यादा होते हैं। स्वामित्व योजना से ऐसे अधिकांश विवाद स्वत: ही समाप्त हो जाएंगे और लोगों को अपने मकान दुकान आदि के स्वामित्व मिलेंगे।