ईद उल अजहा पर घरों में अदा की गई नमाज
कोरोना संक्रमण के चलते लागू लॉक डाउन के कारण इस बार ईद-उल-अजहा पर अकीदतमंदों ने घरों में ईद की नमाज अदा कर कोरोना संकट से मुक्ति और दुनियां व मुल्क में अमनो की दुआ की। कहीं पर भी ईद की रौनक नहीं रही।
सहारनपुर, जेएनएन। कोरोना संक्रमण के चलते लागू लॉक डाउन के कारण इस बार ईद-उल-अजहा पर अकीदतमंदों ने घरों में ईद की नमाज अदा कर कोरोना संकट से मुक्ति और दुनियां व मुल्क में अमनो की दुआ की। कहीं पर भी ईद की रौनक नहीं रही। न ही कहीं मेला नजर आया। इस बात की घोषणा कर दी गई थी कि ईद की नमाज घरों में अदा की जाएगी। इसके चलते इक्का दुक्का को छोड़ कोई भी ईदगाह नहीं पहुंचा, मगर पुलिस सुबह ही ईदगाह व जामा मस्जिद के आसपास मुस्तैद हो गई थी। डीएम-एसएसपी घूम-घूम कर जिले की स्थिति का जायजा लेते रहे।
शनिवार को ईद उल अजहा पर सुबह करीब 8 बजे से लोगों ने अपने घरों में ही नमाज अदा कर कुर्बानी देनी शुरू की। कोरोना के कारण लागू 55 घंटे के लॉक डाउन के कारण ईद के लिए घरों में अलसुबह से तैयारियां शुरू हो गई थी। नमाज के लिए लोग जहां नए वस्त्र पहनकर व इत्र की खुशबू से लबरेज होकर घरों में ही रहे। घरों में तरह तरह के पकवान बनाने की तैयारियां शुरू हो गई थी। कुर्बानी के लिए लोग व्यवस्था में लगे थे, जबकि महिलाएं पकवान बनाने में लगी थी। नमाज के बाद से घरों में कुर्बानियों का दौर शुरू हुआ। लॉक डाउन के कारण बड़ों में भले ही उत्साह नजर नहीं आया। मगर छोटे बच्चे सुबह ही सुंदर वस्त्रों में सजधज कर अपने घरों में नजर आए। कुछ बच्चे अपने घरों के छज्जों पर खड़े होकर ऊपर से ही आने जाने वालों को ईद की मुबारकबाद दे रहे थे।
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मोहल्लों में नहीं रहा उत्सव जैसा माहौल
लॉक डाउन के कारण इस बार ईद के अवसर पर मुस्लिम क्षेत्रों में उत्सव का माहौल नहीं रहा। न ही इस बार कहीं खाने पीने की दुकानें लग पाई। आजाद कालोनी, इंद्रा चौक, गाढ़ों का चौक लक्खी गेट, पुरानी मंडी, मछियारान, हबीबगढ़, खाताखेड़ी, नूर बस्ती सहित अनेक क्षेत्रों में जिन दुकानों पर भारतीय व चायनीज व्यंजन के लिए भीड़ रहती थी इस बार वह सभी बंद थी। चाक-चौबंद रही सफाई व्यवस्था
नगर निगम द्वारा ईद से पूर्व तमाम क्षेत्रों में व्यापक सफाई अभियान चलाया। यही नहीं तमाम मस्जिदों व ईदगाह के आसपास न केवल चूने आदि का छिड़काव कराया गया, बल्कि कीटनाशक दवाओं का भी छिड़काव किया गया। यही नहीं गंदगी में विचरण करने वाले पशुओं को रात्रि में ही उनके बाड़ों में कैद कर दिया गया था। इसके अलावा तमाम क्षेत्रों में कूड़ा व गंदगी उठान का सिलसिला निरंतर जारी है।