नशामुक्त है मिरगपुर, प्रशासन ने लगाई मुहर
देवबंद (सहारनपुर): जनपद के गांव मिरगपुर पर अब प्रशासन ने भी नशामुक्त गांव होने की मोहर लगा द
देवबंद (सहारनपुर): जनपद के गांव मिरगपुर पर अब प्रशासन ने भी नशामुक्त गांव होने की मोहर लगा दी है। दरअसल, यहां के ग्रामीण मादक व तामसिक पदार्थो से कोसों दूर है। पीढि़यां बदलती रहीं लेकिन गांव में सैकड़ों वर्ष से कायम यह परंपरा आज तक कायम है। इस अच्छाई पर सरकारी मोहर लगने से ग्रामीण गदगद हैं। प्रमाण पत्र जारी करने वाली एसडीएम ऋतु पुनिया ने ग्रामीणों से इस सिलसिले को यूं ही जारी रखने का आह्वान किया है।
यहां से महज पांच किमी. दूर स्थित गांव मिरगपुर सैकड़ों साल से अनोखे गांव के रूप में पहचान बनाए है। यहां के लोग मांसाहार, लहसुन, प्याज समेत अन्य सभी तामसिक भोजन से परहेज करते हैं। गांव के लोग शराब, धूम्रपान आदि से भी दूर हैं।
ये है मान्यता
मान्यता है कि करीब 500 साल पहले पंजाब के संगरूर से गांव मिरगपुर पहुंचे बाबा फकीरादास ने यहीं पर अपना ठिकाना बना लिया। मुगल शासक जहांगीर के शासनकाल में मिरगपुर मे रहकर ही उन्होंने कठिन तपस्या की। उस दौरान बाबा ने खुशहाल जीवन के लिए यहां के लोगों से मादक व तामसिक पदार्थों का सेवन न करने की प्रतिज्ञा कराई थी। गांव के सभी जातियों के लोग आज तक उसी प्रतिज्ञा का पालन कर रहे हैं। ऐसा माना जाता है कि यदि गांव का कोई व्यक्ति बाबा को दिए गए वचन को तोड़ता है तो उसके या परिवार के साथ कोई अनहोनी हो जाती है। इस खास विशेषता के चलते ही प्रशासन को भी मिरगपुर पर नशामुक्त होने की मोहर लगाने को मजबूर होना पड़ा। इसके लिए प्रशासन ने कई स्तर पर जांच कराई।
बाबा की तपोभूमि पर लगता है मेला
फाल्गुन मास कृष्ण पक्ष की दशमी पर श्री सिद्ध गुरु बाबा फकीरादास की याद में उनकी इस तपोभूमि पर भव्य मेले का आयोजन होता है। प्रभारी निरीक्षक और तहसीलदार देवबंद की जांच के बाद प्रस्तुत की गई आख्या के बाद प्रमाणित किया गया कि गांव मिरगपुर के लोग प्याज, मांसाहार, धूम्रपान, शराब समेत अन्य नशों से दूर रहते हैं। लहसुन आदि तामसिक पदार्थो का भी प्रयोग नहीं करते। उन्होंने प्रमाण-पत्र बना लिया है। इसे ग्राम प्रधान व गांव के अन्य मौअज्जिज लोगों को सौंपा जाएगा। इससे अन्य गांवों के लोगों को भी प्रेरणा मिलेगी।
ऋतु पुनिया एसडीएम, देवबंद