गुरु गोबिद सिंह जी के प्रकाशोत्सव पर सजाया कीर्तन दरबार
सिखों के दसवें गुरु श्री गुरु गोबिद सिंह जी के प्रकाश उत्सव को समर्पित कीर्तन दरबार में रागी जत्थों ने गुरुजी के जीवन का विस्तार से गुणगान करते उनके बताए आदर्शो को अपनाने के लिए प्रेरित किया।
सहारनपुर जेएनएन। सिखों के दसवें गुरु श्री गुरु गोबिद सिंह जी के प्रकाश उत्सव को समर्पित कीर्तन दरबार में रागी जत्थों ने गुरुजी के जीवन का विस्तार से गुणगान करते उनके बताए आदर्शो को अपनाने के लिए प्रेरित किया।
रविवार को अंबाला रोड स्थित भव्य रूप से सजाए गए गुरुद्वारा साहिब में श्री गुरु सिंह सभा के तत्वावधान में श्री गुरु गोबिद सिंह जी का प्रकाश पर्व मनाया गया। सबसे पहले गुरुद्वारा साहिब में प्रभातफेरियां निकाली गईं। इसके उपरांत श्री अखंड पाठ साहिब का पाठ किया गया। इस अवसर पर सजाए गए कीर्तन दरबार में जगाधरी से आए रागी जत्थे भाई त्रिलोक सिंह ने कीर्तन के माध्यम से संगत को निहाल किया। उन्होंने बताया कि श्री गुरु गोबिद सिंह जी एक महान संत होने में साथ एक महान योद्धा भी थे। उन्होंने स्वयं को परमात्मा का दास बताया था। उन्होंने कहा था कि परमात्मा की न कोई जाति है, न कोई वर्ण, न कोई रंग, न कोई रूप और न ही कोई आकार है। गुरुजी अनेक भाषाओं के ज्ञाता, विद्वान और महान कवि भी थे। जिस समय बादशाह औरंगजेब का हिदुओं के प्रति अत्याचार चरम पर था। वह हिन्दू धर्म को खत्म कर एक ही धर्म बनाना चाहता था, तब गुरु जी ने सन 1699 ई में आनन्दपुर साहिब में एक और पंथ खालसा पंथ की स्थापना की थी। भाई दलजीत सिंह तथा हजूरी रागी ज्ञानी अमरजीत सिंह ने भी गुरुजी के जीवन के बारे में बताया। साथ ही उनके दिखाए मार्ग पर चलने का आह्वान किया। प्रकाश पर्व के अवसर पर गुरुजी का अटूट लंगर भी आयोजित किया गया। कार्यक्रम में सिख समाज के साथ अन्य समाज के भी श्रद्धालु मौजूद रहे।