दारुलउलूम छात्र: समान नागरिक संहिता किसी कीमत पर कबूल नहीं
समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर उलमा के बाद अब दारुल उलूम और इस्लामिक शिक्षण संस्थाओं के छात्र भी मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की हिमायत में खड़े हो गए हैं।
सहारनपुर (जेएनएन)। समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर उलमा के बाद अब दारुल उलूम और इस्लामिक शिक्षण संस्थाओं के छात्र भी मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की हिमायत में खड़े हो गए हैं। सबने कहा है कि समान नागरिक संहिता किसी भी कीमत पर कबूल नहीं होगी।
सरकार और विधि आयोग की मुखालफत में उलेमा लामबंद
बुधवार रात शेखुल ङ्क्षहद हाल में मदरसा छात्रों की संस्था तंजीम अब्ना-ए-मदारिस इस्लामिया की 'मुस्लिम पर्सनल लॉ और कॉमन सिविल कोड विषय पर सेमिनार में तलबा ने एक सुर में कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ से छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सभी ने बोर्ड के हस्ताक्षर अभियान को सफल बनाने का संकल्प भी लिया।
दारुल उलूम देवबंद के वरिष्ठ उस्ताद मौलाना सलमान बिजनौरी ने कहा कि मुसलमानों की धार्मिक आजादी खत्म करने की साजिश रची जा रही है। मुस्लिम पर्सनल लॉ कुरान व सुन्नत से जुड़ा है। इसलिए इस मामले में हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं होगा। दारुल उलूम के उस्ताद मौलाना अशरफ अब्बास कासमी, दारुल उलूम जकरिया के वरिष्ठ उस्ताद मुफ्ती अरशद फारूकी, जामिया इमाम अनवर शाह के शेखुल हदीस मौलाना अब्दुल रशीद कासमी ने कहा कि तलाक के मामले में सरकार कुछ देशों का हवाला देकर शरई मामलों में हस्तक्षेप करने का प्रयास कर रही है। ऐसी साजिश करने वाले कान खोलकर सुन लें कि मुसलमान किसी देश के अनुयायी नहीं है, बल्कि व्यवस्था व धर्म के मानने वाले हैं जो पैगंबर मोहम्मद साहब लेकर आए हैं। उलेमा ने कहा कि समान नागरिक संहिता किसी कीमत पर कबूल नहीं किया जाएगा।
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मुस्लिमों से दुश्मनी का परिचायक हलफनामा
मदरसा मजाहिर उलूम वक्फ के नाजिम हजरत मौलाना मोहम्मद सईदी ने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ अपनी सुरक्षा के लिए आजाद भारत के इतिहास में सबसे ज्यादा नाजुक हालात से गुजर रहा है। केंद्र सरकार द्वारा उच्चतम न्यायालय में दाखिल किया गया हलफनामा मुस्लिम पर्सनल लॉ के खिलाफ है, और मुस्लिमों से दुश्मनी का परिचायक है। इसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
समान नागरिक संहिता दलितों, ईसाइयों और मुस्लिमों के खिलाफ
हजरत मौलाना मोहम्मद सईदी मजाहिर उलूम वक्फ की शूरा के अधिवेशन में बोल रहे थे। कहा कि केंद्र सरकार द्वारा ऐसा हलफनामा दाखिल करना न सिर्फ भारतीय संविधान के विपरीत है, बल्कि धार्मिक स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों का हनन करने की एक साजिश है। कहा कि आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की कोशिश और समान नागरिक संहिता के विरुद्ध हस्ताक्षर अभियान में सेक्यूलर सोच वाले ङ्क्षहदू भी एक साथ मिलकर इस साजिश का मुकाबला करें। उन्होंने मस्जिदों के इमामों से भी अपील की है कि वह जुमे की नमाज में तीन तलाक व बहुविवाह के संबंध में फैलाई जा रही गलतफहमियों को दूर करने में अहम भूमिका निभाएं। उन्होंने लॉ कमीशन द्वारा जारी किए गए सवालनामा का भी बहिष्कार करने का आह्वान किया। इससे पूर्व शूरा के अधिवेशन में मासिक वेतन में 30 प्रतिशत की वृद्धि का प्रस्ताव पारित किया गया। 16 सूत्रीय एजेंडे के विभिन्न मुद्दों पर विचार विमर्श किया गया।
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