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अब स्मार्ट क्लास प्रोजेक्टर में घोटाले की दुर्गंध, कमेटी करेगी जांच

घोटाले बेसिक शिक्षा विभाग का पीछा नहीं छोड़ रहे। कस्तूरबा विद्यालय भर्ती घोटाला फर्नीचर घोटाले के बाद परिषदीय स्कूलों में स्मार्ट क्लास प्रोजेक्टर घोटाले का आरोप विभाग पर लगा है। जिले में 100 से अधिक स्कूलों में ये प्रोजेक्टर लगाए गए थे।

By JagranEdited By: Published: Wed, 14 Oct 2020 12:21 AM (IST)Updated: Wed, 14 Oct 2020 12:21 AM (IST)
अब स्मार्ट क्लास प्रोजेक्टर में घोटाले की दुर्गंध, कमेटी करेगी जांच
अब स्मार्ट क्लास प्रोजेक्टर में घोटाले की दुर्गंध, कमेटी करेगी जांच

सहारनपुर, जेएनएन। घोटाले बेसिक शिक्षा विभाग का पीछा नहीं छोड़ रहे। कस्तूरबा विद्यालय भर्ती घोटाला, फर्नीचर घोटाले के बाद परिषदीय स्कूलों में स्मार्ट क्लास प्रोजेक्टर घोटाले का आरोप विभाग पर लगा है। जिले में 100 से अधिक स्कूलों में ये प्रोजेक्टर लगाए गए थे। ज्यादातर स्थानों पर इनका संचालन सुचारू नहीं हो सका। एक स्कूल के लिए प्रोजेक्टर पर करीब 99 हजार की राशि खर्च की गई थी। मामले में की गई शिकायत को गंभीरता से लेते हुए मंडलायुक्त ने जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित की है। कमेटी विभिन्न बिदुओं पर जांच का काम जल्द शुरू करेगी।

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परिषदीय स्कूलों में घटिया फर्नीचर घोटाले के मामले में दोषियों पर कार्रवाई होने के बाद अब स्मार्ट प्रोजेक्टर में घोटाले का आरोप लगा है। दरअसल वर्ष-2019 में खनन विभाग से जिले को मिलने वाली राशि तत्कालीन जिलाधिकारी द्वारा बेसिक शिक्षा विभाग को चिन्हित स्कूलों में स्मार्ट प्रोजेक्टर लगवाने के लिए आवंटित की थी। यह राशि करीब 80 लाख थी। प्रत्येक स्कूल पर इस मद से 99 हजार की राशि खर्च किए जाने का उल्लेख है। इनके अलावा करीब 25 स्कूलों में ग्राम शिक्षा निधि से प्रोजेक्टर लगवाए गए थे। शिक्षक बताते हैं कि लगने के कुछ समय बाद अनेक प्रोजेक्टर ने काम करना बंद कर दिया। आरोप है कि खरीद करते समय गुणवता आदि का ध्यान नहीं रखा गया। मामले में उर्दू टीचर्स वेलफेयर एसोसिएशन और विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा मंडलायुक्त संजय कुमार को शिकायत की गई थी। उन्होंने संयुक्त शिक्षा निदेशक को जांच के निर्देशित किया। वहां से जांच मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक योगराज सिंह के पास पहुंची। मंडलायुक्त द्वारा मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बनाई गई। कमेटी में एडी बेसिक, एडीएम-एफ और एनआईसी के अधिकारी शामिल हैं। उधर सूत्रों का कहना है कि प्रोजेक्टर आदि के लिए टेंडर आदि की प्रक्रिया भी नहीं अपनाई गई थी, जिससे यह संभावना बलवती हो रही है कि किसी एक फर्म को लाभ पहुंचाने का काम किया गया।

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बीएसए ने एडीएम फाइनेंस के पाले में डाली गेंद

इस प्रकरण में सवाल किये जाने पर बीएसए ने गेंद एडीएम फाइनेंस के पाले में डाल दी है। बीएसए ने मामले से अनभिज्ञता जताते हुये अफसरों को जवाब दिया कि यह प्रोजेक्ट डीएम आलोक कुमार पांडेय के कार्यकाल में पूरा किया गया था, एडीएम फाइनेंस इस प्रोजेक्ट को देख रहे थे, उनका इससे कोई सरोकार नहीं है। ---

इनका कहना है-

मंडलायुक्त के आदेश के अनुपालन में स्मार्ट क्लास प्रोजेक्टर की जांच का काम कमेटी द्वारा शुरू किया जा रहा है।

-योगराज सिंह, एडी बेसिक।


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