छठ पूजा को उमड़ा आस्था का सैलाब
सहारनपुर: सूर्य की उपासना का महापर्व छठ परम हर्षोल्लास व धूमधाम से मनाया गया। श्रद्धालुओं ने बै
सहारनपुर: सूर्य की उपासना का महापर्व छठ परम हर्षोल्लास व धूमधाम से मनाया गया। श्रद्धालुओं ने बैंडबाजों संग छठ माता की भव्य शोभायात्रा निकाली। हजारों श्रद्धालु जोड़ों ने सूर्य देव को अर्घ्य देकर छठ मैया की उपासना की। बड़ी नहर व पांवधोई पर मेले का आलम था। ढोल की थाप व डीजे की धमक पर चले भक्ति गीतों पर श्रद्धालु व युवा जमकर झूमे। मंगलवार को छठ पर्व को लेकर पूर्वाचल वासियों में जबरदस्त उल्लास था। सुबह से ही विवाहित जोड़ों ने पूरे विधि विधान से व्रत रखा और पूजा अर्चना की।
दोपहर से ही मानकमऊ स्थित बड़ी नहर और लालदासबाड़ा स्थित पांवधोई नदी घाट पर श्रद्धालुओं का पहुंचने लगे। महिलाएं अपनी-अपनी टोली के साथ केले के पेड़ से सजे छठ पूजा स्थलों पर श्रद्धाभाव से पूजा अर्चना की। अनेक महिलाओं ने मनोकामना पूरी होने पर छठ मैया की कोसी भरकर आभार जताया जबकि अनेक ने छठ मैया से मन्नत मांगी। नहर में खड़े होकर पूजा अर्चना की। अस्त होते सूर्य को अर्घ्य देकर अपना आधा व्रत पूरा किया जो बुधवार की सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर पूरा किया जायेगा। देर शाम तक चले व्रत और महापर्व को लोगों ने पूरी श्रद्धा के साथ मनाया। इससे पूर्व बड़ी नहर पर पूर्वाचल जनकल्याण समिति व पूर्वाचल महासभा द्वारा आयोजित छठ पूजा महोत्सव का देवबंद विधायक कुंवर ब्रिजेश, पूर्व विधायक राजीव गुंबर, मेयर संजीव वालिया, नगर विधायक संजय गर्ग ने रिबन काट उद्घाटन किया। उधर, पांवधोई नदी घाट पर मंडलायुक्त सीपी त्रिपाठी, एसएसपी उपेंद्र अग्रवाल पांवधोई नदी में दीप प्रवाहित कर श्रद्धालुओं को छठ पूजा की शुभकामनाएं दी।
प्रकाश लोक कालोनी से पूर्वांचल जन कल्याण समिति द्वारा छठ माता की भव्य शोभायात्रा निकाली गई। शोभायात्रा में डीजे पर बज रहे भक्ति गीतों पर श्रद्धालु जमकर झूम रहे थे। छठ पूजा स्थल की झांकी आकर्षण का केन्द्र बनी रही। बड़ी नहर पर पहुंचकर विधिवत पूजा अर्चना की गई। यात्रा में अवधेश गिरि, हरे कृष्णा भारती, संदीप रावत, राकेश राणा, रामा शंकर, सुरेश ¨सह, अनिल गिरि, संजय कुशवाहा, संतोष चौहान, अखिलेश यादव, बलराम यादव, अर्जुन यादव व पूर्वाचल कल्याण सभा के संयोजक दानिश आजम, पूर्वाचल सांस्कृतिक सभा के अध्यक्ष आरपी यादव, राम समुझ प्रजापति, अखिलेश यादव, दयाराम प्रजापति, जगमोहन प्रजापति, जयराम प्रजापति, राम मूरत यादव, रामशरण तिवारी व रामाशीष तिवारी आदि शामिल रहे। छठ माता के व्रत की महत्ता
यह व्रत विवाहित जोड़ों के लिए खास महत्व रखता है। विधि विधान से उपवास रखता है, जो छठ के तीन दिन पूर्व चतुर्थी को सूर्य को अर्ध्य देकर प्रारंभ होता है। पंचमी को दिनभर उपवास के बाद सूर्यास्त पर पूजन हवन के पश्चात प्रसाद वितरण होता है और पुन: व्रत प्रारंभ हो जाता है। इस दिन को लोहांडा कहा जाता है। छठ यानि षष्ठी को युगल दिनभर उपवास के बाद सूर्यास्त के समय नदी, तालाब आदि में सामूहिक रुप से खड़े होकर भगवान भास्कर को अर्घ्य देते हैं। छठ पूजन का यह व्रत सप्तमी की सुबह सूर्योदय के समय घाट पर पूजा अर्चना से पूर्ण होता है। मान्यता यह है कि पुत्र की चाह रखने वाले इस व्रत को पवित्रता व सहयोग की मंशा से करते हैं। युवाओं ने की जमकर आतिशबाजी
छठ पूजा स्थल पर युवाओं व बच्चों ने जमकर की। दीपावली के ठीक बाद षष्ठी को आने वाले इस पर्व पर दीवाली सा ही माहौल दिखाई दिया। मानकमऊ स्थित बड़ी नहर पर बच्चों ने जहां पानी में अठखेलियां की वहीं आतिशबाजी के नजारे भी देखते ही बन रहे थे।