सहारनपुर जेल की जैविक गाजर का कोई नहीं सानी
सलाखों के पीछे रह रहे बंदी और कैदी भी हुनर के मामले में किसी से कमतर नहीं। जेल परिसर में उन्होंने पसीना बहाकर उम्दा किस्म की सब्जियां पैदा कर दीं।
सहारनपुर, जेएनएन। सलाखों के पीछे रह रहे बंदी और कैदी भी हुनर के मामले में किसी से कमतर नहीं। जेल परिसर में उन्होंने पसीना बहाकर उम्दा किस्म की सब्जियां पैदा कर दीं। लखनऊ में आयोजित प्रदर्शनी में यहां पैदा हुई जैविक गाजर को प्रथम स्थान मिला। सहारनपुर जिला कारागार को सब्जी उत्पादन में कुल पांच पुरस्कार मिले।
प्रदेश की जेलों में जैविक साग-सब्जियां पैदा हो रही हैं। राजभवन लखनऊ में 22 व 23 फरवरी को फल व शाक-भाजी प्रदर्शनी लगाई गई। जिला कारागार के कृषि प्रभारी केके दीक्षित के नेतृत्व में विजय त्यागी, मेघ सिंह व कमलेश मिश्रा की टीम ने प्रतियोगिता में प्रतिभाग किया।
इसमें सहारनपुर जेल के कृषि फार्म परिसर में तैयार जैविक गाजर को प्रथम पुरस्कार मिला। इसके अलावा यहीं पैदा हुई जौनपुरी मूली व फूल गोभी को द्वितीय, जबकि शिमला मिर्च व गांठ गोभी को तृतीय पुरस्कार प्राप्त हुआ।
जेल अधीक्षक डा. वीरेश राज व जेलर राजेश पांडेय ने बताया, पिछली बार सहारनपुर जिला जेल ने तीन पुरस्कार जीते थे। इस बार पांच पुरस्कार मिलना खुशी की बात है। उन्होंने बताया कि केके दीक्षित के नेतृत्व में जेल परिसर में बंदी व कैदी उम्दा किस्म की सब्जी की खेती करते हैं। बताया, यहां सभी पैदा होने वाली सभी सब्जियां जैविक हैं।