जमीयत की याचिका पर एससी ने केंद्र से किया जवाब तलब
सीएए को लेकर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट की कार्रवाई के बाद जमीयत उलेमा-ए-हिद के राष्ट्रीय महासचिव मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि सीएए के खिलाफ जमीयत ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसमें इसे भारतीय संविधान की धारा 14 और 21 के खिलाफ बताते हुए समाप्त करने की मांग की गई थी।
सहारनपुर जेएनएन सीएए को लेकर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट की कार्रवाई के बाद जमीयत उलेमा-ए-हिद के राष्ट्रीय महासचिव मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि सीएए के खिलाफ जमीयत ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें इसे भारतीय संविधान की धारा 14 और 21 के खिलाफ बताते हुए समाप्त करने की मांग की गई थी।
बुधवार को मौलाना मदनी ने जारी बयान में बताया कि जमीयत ने सुप्रीम कोर्ट में 16 दिसंबर को याचिका दायर की थी, जिसमें उनके अधिवक्ताओं ने कोर्ट से उक्त मामले को संवैधानिक पीठ को सौंपने की मांग की थी। याचिका में यह भी कहा गया था कि सीएए में गैरकानूनी शरणार्थियों की परिभाषा धर्म के आधार पर भेदभाव वाली है। इसमें अल्पसंख्यकों में सिर्फ मुसलमानों को ही बाहर रखा गया है और देश में एनआरसी लागू होने पर सीएए मुस्लिम समाज के साथ भेदभाव करने वाला साबित होगा। जमीयत की याचिका पर ही अदालत ने केंद्र सरकार को चार सप्ताह में जवाब तलब करने को निर्देशित किया है। आवश्यकता पड़ने पर ही संवैधानिक पीठ भी चार सप्ताह में गठित होगी। मदनी ने एससी द्वारा इस मामले में उच्च न्यायालयों पर सुनवाई के लिए रोक लगाने को अच्छा कदम बताया।