योग भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग: प्रो. एपी गर्ग
नानौता नगर के राजकीय महाविद्यालय में सोमवार को उच शिक्षा निदेशालय प्रयागराज द्वारा आयोजित समपोषित राष्ट्रीय सेमिनार हुआ जहां योगा का महत्व बताया गया।
सहारनपुर, जेएनएन। नानौता नगर के राजकीय महाविद्यालय में सोमवार को उच्च शिक्षा निदेशालय प्रयागराज द्वारा आयोजित समपोषित राष्ट्रीय सेमिनार हुआ, जहां योगा का महत्व बताया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि शोभित विश्वविद्यालय मेरठ के प्रोफेसर एपी गर्ग ने योगा की महत्ता पर कहा कि योग आदिकाल से ही भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग रहा है। योग से शरीर, मन चेतना और आत्मा को एकजुट करके संतुलन में रखा जाता है। विशिष्ट अतिथि प्रदेश के पूर्व संयुक्त सचिव प्रोफेसर अश्वनी गोयल ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में योग के बढ़ते प्रचलन का मुख्य कारण इनका नैतिक जीवन पर सकारात्मक प्रभाव है।
चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के स्पोर्ट्स ऑफिसर प्रोफेसर गुलाब सिंह रुहल ने योग को भिन्न-भिन्न शैलिया जैसे भक्तियोग, कर्मयोग, ज्ञानयोग, ध्यान रोग, पंतजलि योग, हठयोग व वृद्ध पर विस्तार से प्रकाश डाला। समापन सत्र में मुख्य अतिथि देवबंद क्षेत्र के गोविदपुरम कर्पूरी राजकीय माडल कालेज के पूर्व प्राचार्य प्रोफेसर योगेश कुमार ने कहा कि योग किसी खास धर्म, आस्था पद्धति पर नहीं चलता इससे सदैव अंतरकम की सेहत के लिए कला के रूप में देखा गया है। भाजपा के जिला उपाध्यक्ष एवं पूर्व छात्र अध्यक्ष यशवंत सिंह राणा ने शिक्षा में योग की जरूरत के बारे में बताया। इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राचार्य डा. प्रविन्द्र कुमार ने भी विचार रखे। इस अवसर पर डा. मनीष कुमार, डा. गरिमा चौधरी, डा. रवि प्रकाश, डा. योगेंद्र कुमार, डा. राजेश कुमार, डा. प्रमोद सिंह चौहान, डा. अजय कुमार बिद, डा. इंदु, डा. कुलदीप सिंह, रीनाराय आर्य, विवेक कुमार, गोविदा, ओमपाल, सुनील उपाध्याय आदि उपस्थित रहे।