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Fake Hallmarking in Saharanpur: छह घंटे में होती है असली हालमार्क टेस्टिंग, यहां छह सेकेंड में कर रहे थे

Fake Hallmarking भारतीय मानक ब्यूरो की टीम ने सोने के आभूषणों पर जब से नकली हालमार्किंग पकड़ी है तभी से सर्राफा बाजार में हलचल है। इस राजफाश से ग्राहक भी परेशान हैं। उन्हें लग रहा है कि कम कैरेट के सोने पर 22 कैरेट का नकली हालमार्क लगाकर बेचा गया

By Jagran NewsEdited By: Taruna TayalPublished: Fri, 25 Nov 2022 10:43 PM (IST)Updated: Fri, 25 Nov 2022 10:43 PM (IST)
Fake Hallmarking in Saharanpur: छह घंटे में होती है असली हालमार्क टेस्टिंग, यहां छह सेकेंड में कर रहे थे
सहारनपुर में भारतीय मानक ब्यूरो की टीम ने पकड़ी थी नकली हालमार्किंग।

सहारनपुर, जागरण संवाददाता। भारतीय मानक ब्यूरो की टीम ने सोने के आभूषणों पर जब से नकली हालमार्किंग पकड़ी है, तभी से सर्राफा बाजार में हलचल है। इस राजफाश से ग्राहक भी परेशान है। उन्हें लग रहा है कि कम कैरेट के सोने पर 22 कैरेट का नकली हालमार्क लगाकर बेचा गया है, इसलिए दुकानों पर ग्राहकों की भीड़ है। असली हालमार्क टेस्टिंग में छह घंटे लगते हैं, जबकि सहारनपुर में मात्र छह सेकेंड में हालमार्क की टेस्टिंग की जा रही थी।

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400 से 500 तरह के पेपर लाइसेंस के होते हैं तैयार, दी जाती है ट्रेनिंग

भारतीय मानक ब्यूरो के सहायक निदेशक मोहित कुमार ने बताया, हालमार्क सेंटर का लाइसेंस लेने के लिए ब्यूरो को 400 से 500 तरह के पेपर तैयार करके देने होते हैं। इसके बाद टीम आडिट करने जाती है और लैब की पूरी जांच करती है। इसके बाद ही हालमार्क लगाने का लाइसेंस दिया जाता है। ब्यूरो से ट्रेनर ट्रेनिंग देने के लिए भी आता है।

दो से ढाई करोड़ का आता खर्च, बनती है पूरी लैब

मोहित कुमार ने बताया कि हालमार्क सेंटर चलाने के लिए दो से ढाई करोड़ रुपये में लैब तैयार होती है। जिसमें सात से आठ लोगों का स्टाफ रखा जाता है। लैब में सोने की केमिकल से टेस्टिंग होती है। यदि 22 कैरेट सोना है तो तभी हालमार्किंग होती है। जिसमें छह घंटे का समय लगता है लेकिन यहां छह सेकेंड में हो रही थी।

ऐसे फंसा मोनू वर्मा

भारतीय मानक ब्यूरो की टीम ने मोनू वर्मा की लैब पर छापा मारा था। टीम का एक सदस्य ग्राहक बनकर गया था। हालमार्क लगवाते समय टीम ने मोनू वर्मा को रंगेहाथ पकड़ा था।

बिना लाइसेंस के अभी चल रहे हैं दो अन्य सेंटर

शहर में अभी भी दो अन्य सेंटर अवैध रूप से चल रहे हैं। एक सेंटर सर्राफा बाजार में है तो दूसरा हरसरनदास बाजार में। यहां केवल रजत हालमार्क के नाम से प्रदीप जैन का ही सेंटर सही रूप में चल रहा है। प्रदीप जैन के पास हालमार्क करने का लाइसेंस भी है। हालांकि जांच उनके यहां भी हुई थी लेकिन यहां पर केवल एक मशीन का बोल्ट टूटा मिला। लाइसेंस रद नहीं किया गया।


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