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मुकेश के काव्य में प्रकृति का श्रंगार

सहारनपुरवासी प्रसिद्ध हास्य कवि और टी वी कलाकार डॉ. मुकेश गौतम कवि सम्मेलनों और कॉमेडी शो का एक जाना-पहचाना नाम है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 23 Feb 2020 11:44 PM (IST)Updated: Mon, 24 Feb 2020 06:07 AM (IST)
मुकेश के काव्य में प्रकृति का श्रंगार
मुकेश के काव्य में प्रकृति का श्रंगार

सहारनपुर जेएनएन। कविता और शायरी। ये दो शब्द सुनते ही जहन में इश्क-मुश्क और प्यार-मोहब्बत का अक्स जहन में उकर जाता है, लेकिन मुकेश गौतम की अदबी तासीर एकदम जुदा है। उनके काव्य में प्रेमिका नहीं, बल्कि प्रकृति का सौंदर्य नजर आता है। सहारनपुर निवासी गौतम पर्यावरण संरक्षण को लेकर वृक्ष बचाओ-विश्व बचाओ आंदोलन चला रहे हैं। दुनियाभर में उनके इस आंदोलन की प्रशंसा हो रही है।

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मुंबई रेलवे में नौकरी कर रहे डा. मुकेश गौतम पिछले दिनों सहारनपुर आए तो उन्होंने सहारनपुर सहित पूरे पश्चिमी यूपी में प्रदूषण के बढ़ते स्तर पर चिता जताते हुए कहा कि यह दुखद है कि सहारनपुर परिक्षेत्र को दो-तीन दशक पूर्व हरा-भरा और प्रदूषणमुक्त समझा जाता था, लेकिन अब वहां प्रदूषण की समस्या विकराल रूप ले चुकी है। मुकेश गौतम पिछले 25 वर्षों से वृक्ष एवं पर्यावरण संरक्षण को लेकर काम कर रहे हैं। वृक्ष संरक्षण का संदेश देने के लिए वह एक कविता प्रतिदिन लिखते हैं।

मुकेश गौतम द्वारा स्थापित गौतम प्रतिष्ठान (रजिस्टर्ड) के द्वारा वृक्ष बचाओ-विश्व बचाओ अभियान चलाया जा रहा है। वह और उनका परिवार खुद कभी पटाखे नही चलाते। प्लास्टिक का प्रयोग अनावश्यक रूप से नही करते। समाज में जागरूकता लाने के लिए सेमिनार भी आयोजित करते हैँ। गौतम ने कहा कि नदियों का अविरल बहना देश की खुशहाली के लिए बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि यदि सरकार वास्तव में गंगा नदी को स्वच्छ और अविरल बहते देखना चाहती है तो उसके लिए जरूरी है कि गंगा की सहायक छोटी नदियां अतिक्रमण मुक्त हो, उनमें गंदगी न डाली जाए क्योंकि ये छोटी नदियां ही गंगा के वास्तविक स्वरूप को बनाए रख सकती है।

दो दशक पूर्व उनकी लिखी पुस्तक वृक्षों के हक में काफी चर्चित रही इस पुस्तक को वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, भारत सरकार ने राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया था। अन्य भाषाओं में इसका अनुवाद भी प्रकाशित हुआ। वर्ष 2016 में उनकी पुस्तक प्रेम समर्थक हैं पेड़ भी बहुत लोकप्रिय हुई। इस पुस्तक का अन्य भाषाओं में अनुवाद भी हुआ और इसे महाराष्ट्र राज्य साहित्य अकादमी पुरस्कार भी प्राप्त हुआ। मुकेश गौतम ने बताया कि यदि सहारनपुर प्रशासन और सरकार चाहे तो उनके पास ऐसी योजनाएं है जो खोई हरियाली को वापस ला सकती है और प्रदूषण की समस्या को खत्म कर सकती है।


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