9657 लोगों को लगाया कोरोनारोधी टीका
जिले में कोरोना के खिलाफ हर स्तर पर काम हो रहा है। एक तरफ लोगों को सावधानियां बरतने के बारे में जागरूक किया जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ टीकाकरण अभियान चल रहा है।
सहारनपुर, जेएनएन। जिले में कोरोना के खिलाफ हर स्तर पर काम हो रहा है। एक तरफ लोगों को सावधानियां बरतने के बारे में जागरूक किया जा रहा है। वहीं, दूसरी तरफ टीकाकरण अभियान चल रहा है। रोजाना हजारों लोगों को टीका लगाया जा रहा है। अब तक 22 लाख से अधिक लोगों को टीका लगाया जा चुका है। गुरुवार को भी नौ हजार 657 लोगों को टीका लगाया गया।
डीएम अखिलेश सिंह ने बताया कि कोरोना को जड़ से खत्म करने के लिए रोजाना चार हजार के लगभग लोगों के सैंपल लिए जा रहे हैं, जिनमें से पाजिटिव केस नहीं मिल रहे हैं। बिना मास्क के अपने घर से नहीं निकलना है। लोगों को भीड़ वाले स्थान पर जाने से बचना चाहिए। उन्होंने बताया कि दूसरी लहर में कुछ लोगों ने लापरवाही की थी। जिस कारण जिले के 441 लोगों की कोरोना संक्रमण के कारण मौत हो गई थी। 32 हजार 901 लोग कोरोना संक्रमित मिले थे। हालांकि इनमें से 32 हजार 459 लोग ठीक भी हो गए थे। 349 केंद्रों पर चला टीककारण अभियान
सहारनपुर : जिला टीकाकरण अधिकारी सुनील वर्मा ने बताया कि गुरुवार को जिले में 349 केंद्र टीकाकरण के लिए बनाए गए थे। इन केंद्रों पर 68 हजार 500 लोगों को टीका लगाने का लक्ष्य रखा गया था। हालांकि यहां पर केवल नौ हजार 657 लोग ही टीका लगवाने के लिए पहुंचे। लोगों से अपील है कि अधिक से अधिक संख्या में टीका लगवाए।
काठा नदी में पानी छोड़े जाने की मांग
गंगोह: डेढ़ दशक से ज्यादा समय से सूखी पड़ी काठा नदी में पानी छोड़े जाने की मांग की गई है। कहा गया कि नदी अतिक्रमण का शिकार हो गई है, जिस पर प्रशासन का ध्यान नहीं है।
क्षेत्र के गांव सांगाठेड़ा को होकर जा रही काठा नदी में पानी न आने से किसानों को इसका कोई फायदा नहीं हो रहा था। भाजयुमो के पूर्व जिला उपाध्यक्ष योगेश रोहिला ने इस विषय को लेकर जिलाधिकारी को पत्र लिखा था लेकिन कोई कार्रवाई न होने पर केंद्रीय जल संसाधन मंत्री से भी इसकी शिकायत की थी। शिकायत में कहा गया था कि दस वर्ष पूर्व सिचाई विभाग ने इसकी सफाई कराकर अतिक्रमण को हटवा दिया था लेकिन पानी न छोड़े जाने के कारण स्थिति फिर पहले जैसी हो गई थी। इस समय इसमें केवल गंदे नालों का पानी ही आ रहा है जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो रहा है। नदी में पानी न आने से जहां नजदीक के क्षेत्रों का जल स्तर घट रहा है। वहीं बीमारियां भी पैदा हो सकती हैं।