एक फसल में तीन गुना कमाई
प्रवासी कामगार अपने घरों को लौट रहे हैं। परिवार बडे़ और जमीन कम होने से गुजर-बसर की समस्या उनके सामने आ रही है। वहीं फसलों का उत्पादन बढ़ाकर कमाई अधिक करने की चुनौती है। ऐसे में सहफसली खेती बेहतर आमदनी बढ़ाने में विकल्प है। उम्मेगढ़ के प्रगतिशील किसान संजय कुमार सहफसली खेती कर तीन गुना आमदनी कमाकर कामगारों को प्रेरित कर रहे हैं।
सहारनपुर, जेएनएन। प्रवासी कामगार अपने घरों को लौट रहे हैं। परिवार बडे़ और जमीन कम होने से गुजर-बसर की समस्या उनके सामने आ रही है। वहीं, फसलों का उत्पादन बढ़ाकर कमाई अधिक करने की चुनौती है। ऐसे में सहफसली खेती बेहतर आमदनी बढ़ाने में विकल्प है। उम्मेगढ़ के प्रगतिशील किसान संजय कुमार सहफसली खेती कर तीन गुना आमदनी कमाकर कामगारों को प्रेरित कर रहे हैं।
संजय के पास 15 बीघा जमीन है। उन्होंने बताया कि अक्टूबर में ढाई बीघा आलू की फसल लगाई थी। आलू की नाली में ही गन्ने की कांची डाली। जिससे जनवरी में आलू तैयार होने पर उसकी खुदाई के बाद गन्ने में ही प्याज की पौध रोपण की। अब प्याज की फसल तैयार होने पर उसे बाजार में बेच दिया। इस तरह गन्ने की लागत में ही इस साल तीन फसल पैदा हो जाएंगी। उन्होंने बताया कि इस बार आलू का अच्छा भाव होने से ढाई बीघा जमीन में 55 हजार रुपये का आलू पैदा हुआ। प्याज की ब्रिकी भी बेहतर दाम पर हुई। अब नवंबर में गन्ना भी तैयार हो जाएगा। इस तरह एक साथ तीन गुना कमाई हो जाएगी। क्षति कम होने की संभावना
मुख्य फसलों के साथ सहफसलों को लेने से किसानों को उनकी भूमि में न केवल कुल उत्पादन बढ़ाने में सहायता मिलती है, बल्कि प्रतिकूल परिस्थितियों में क्षति कम होने की भी संभावना बढ़ जाती हैं। इससे विभिन्न कृषि निवेशों की लागत में कमी लाई जा सकती है। भूमि में उपलब्ध तत्वों और सूर्य की रोशनी का प्रभावी उपयोग किया जा सकता है। अत: सहफसली खेती का अधिक से अधिक उपयोग किया जाना चाहिए।