शारीरिक श्रम न करने वालों में ज्यादा होता है मधुमेह का खतरा
रामपुर : शारीरिक श्रम न करने वालों में मधुमेह का खतरा ज्यादा होता है। मधुमेह से बचने के
रामपुर : शारीरिक श्रम न करने वालों में मधुमेह का खतरा ज्यादा होता है। मधुमेह से बचने के लिए नियमित खान-पान और रोजाना टहलना जरूरी है। आजकल की भागदौड़ भरी ¨जदगी में जो बीमारी सबसे अधिक लोगों को अपनी गिरफ्त में ले रही है, वह मधुमेह है। यह ऐसी बीमारी है जो एक बार किसी के शरीर को पकड़ ले तो उसे फिर जीवन भर छोड़ती नहीं। इस बीमारी का सबसे खराब पहलू यह है कि इसके बाद शरीर में अन्य कई रोग होने लगते हैं। मधुमेह रोगियों को आंखों में दिक्कत, किडनी और लीवर की बीमारी और पैरों में दिक्कत होना आम है। पहले यह बीमारी 40 की उम्र के बाद ही होती थी, लेकिन आजकल यह बीमारी बच्चों में भी होने लगी है, जो ¨चता की बात है। पुरुषों में अधिक होता मधुमेह
यह रोग महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में अधिक होता है। मधुमेह ज्यादातर वंशानुगत और जीवनशैली बिगड़ी होने के कारण होता है। इसमें वंशानुगत को टाइप-1 और अनियमित जीवनशैली की वजह से होने वाले मधुमेह को टाइप-2 श्रेणी में रखा जाता है। पहली श्रेणी के अंतर्गत वे लोग आते हैं जिनके परिवार में माता-पिता, दादा-दादी में से किसी को मधुमेह हो तो परिवार के अन्य सदस्यों को इस बीमारी होने की संभावना अधिक रहती है। इसके अलावा यदि आप शारीरिक श्रम कम करते हैं। नींद पूरी नहीं लेते। अनियमित खानपान है। ज्यादातर फास्ट फूड और मीठे खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं तो मधुमेह होने की संभावना बढ़ जाती है। क्या होता है मधुमेह
कृष्णा केयर सेंटर के संचालक डॉ. राजीव अग्रवाल बताते हैं कि जब हमारे शरीर के पैंक्रियाज में इन्सुलिन का पहुंचना कम हो जाता है तो खून में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है। इस स्थिति को डायबिटिज या मधुमेह कहते हैं। इन्सुलिन एक प्रकार का हार्मोन है जो पाचक ग्रंथि द्वारा बनता है। इसका कार्य शरीर के अंदर भोजन को एनर्जी में बदलने का होता है। यही हार्मोन हमारे शरीर में शुगर की मात्रा को कंट्रोल करता है। मधुमेह हो जाने पर शरीर को भोजन से एनर्जी बनाने में कठिनाई होती है। इस स्थिति में ग्लूकोज का बढ़ा हुआ स्तर शरीर के विभिन्न अंगों को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है। मधुमेह से पीड़ित व्यक्ति में हार्ट अटैक का खतरा आम व्यक्ति से 50 गुणा ज्यादा बढ़ जाता है। कैसे पहचाने मधुमेह के लक्षण
. सामान्य से अधिक प्यास लगना
. बार-बार पेशाब आना
. आंखों की रोशनी का कम होना
. शरीर के किसी हिस्से में चोट लगने पर जख्म का देरी से भरना
. हाथ-पैर और शरीर के ढके हिस्सों में खुजली जैसे जख्म होना
. बार-बार फोड़े-फुंसियां निकलना
. चक्कर आना और चिड़चिड़ापन होना
कैसे करें बचाव
. कम कैलोरी वाला भोजन खाएं।
. भोजन में मीठा खाना बंद कर दें।
. शरीर में ग्लूकोज स्तर की समय-समय पर जांच कराएं।
. जीवनशैली में बदलाव करते हुए रोजाना शारीरिक श्रम जरूर करें।
. जिम जाएं या फिर रोजाना तीन से चार किलोमीटर पैदल जरूर चलें।
. सब्जियां, ताजे फल, साबुत अनाज, डेयरी उत्पाद को भोजन में शामिल करें।
. दिन में तीन टाइम खाने के बजाय उतने ही खाने को छह या सात बार में खाएं।
. धूमपान और शराब का सेवन कम करें। संभव हो तो बिल्कुल बंद कर दें।
. रोजाना आठ घंटे की नींद लें।
. तनाव कम करने के लिए ध्यान लगाएं या संगीत सुनें।