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कोरोना के योद्धओं, नाज है हमें आप पर

कोरोना के योद्धओं नाज है हमें आप पर

By JagranEdited By: Published: Thu, 23 Apr 2020 10:55 PM (IST)Updated: Thu, 23 Apr 2020 10:55 PM (IST)
कोरोना के योद्धओं, नाज है हमें आप पर
कोरोना के योद्धओं, नाज है हमें आप पर

जागरण संवाददाता, रामपुर : आज पूरी दुनिया कोरोना की त्रासदी झेल रही है।पूरे देश में लॉक डाउन है। अपना रामपुर भी इस दौर से गुजर रहा है। कोरोना से इस लड़ाई में पुलिस और अधिकारी भी मुकाबला कर रहे हैं। लेकिन, जो सीधे तौर पर खतरे का सामना कर रहे हैं, वे हैं चिकित्सक, स्वाथ्यकर्मी और सफाई कर्मचारी। इन सबकी हौंसला अफजाई के लिए लोग इनका सम्मान भी कर रहे हैं। कोरोना से जंग में डीएम बने योद्धा

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जिलाधिकारी आन्जनेय कुमार सिंह इस जंग में अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभा रहे हैं। संक्रमण से जनपद को बचाने के उपाय हों या फिर इस दौरान घरों में बंद लोगों तक उनकी आवश्यकताओं का सामान उपलब्ध करवाना। वह पूरी निष्ठा के साथ इस कार्य में लगे हैं। यहां तक कि ऑफिस के साथ घर पर भी उनका समय इस सब को लेकर प्लानिग और व्यवस्था बनाने में ही बीतता है। लोगों की सुविधा के लिए कंट्रोल रूम की व्यवस्था उन्होंने करवाई है। यहां तक कि महिलाओं का भी ध्यान उन्होंने रखा है। उनके लिए अलग से कंट्रोल रूम बनवाया है। अल सुबह हो या फिर देर रात, एक छोटी सी कॉल पर भी उनका त्वरित रिस्पॉन्स रहता है। इस प्लानिग का ही परिणाम है जनपद में अब तक स्थिति नियंत्रण में है। कुछ पॉजिटिव मामले सामने भी आए तो हिम्मत नहीं हारी, बल्कि स्थिति बेकाबू न हो इस के लिए दिन-रात एक कर दिया। सजगता ऐसी कि रात में कभी बाइक से तो कभी पैदल ही ड्यूटी पर लगे पुलिस कर्मियों की चौकसी को परखने के लिए निकल पड़ते हैं। कंट्रोल रूम सही से काम कर रहे हैं या नहीं, इसके लिए भी स्वयं दुकानदारों से कॉल करवा कर उनकी कार्यप्रणाली पर नजर रखे हैं। इसके अलावा सोशल मीडिया पर भी वह सक्रिय हैं। लगातार घरों में रहने की अपील के साथ वह लोगों को टाइम पास के लिए रोज ही कोई न कोई चैलेंज देते हैं। इसके साथ ही कभी रामपुर का इतिहास तो कभी मिर्जा गालिब जैसी शख्सियतों से जनपद वासियों का परिचय वह इस प्लेटफॉर्म पर करवा रहे हैं।

एसपी ने भी संभाली कमान

अपने दायित्व का निर्वहन करने में लगे हैं। वह भी पहले दिन से ही एक्शन में रहे हैं। उन पर इसकी रोकथाम के साथ ही कानून एवं व्यवस्था की भी जिम्मेदारी है, जिसे वह बखूबी निभा रहे हैं। कोरोना से जंग के इस समय में वह दिन रात ड्यूटी पर रहते हैं। पुलिस कर्मियों को जनपद की सीमाओं पर कड़ी चौकसी के निर्देश दे रखे हैं। उनके कुशल निर्देशन में पुलिस कर्मी भी पूरी निष्ठा एवं सजगता से अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं। इस का ही परिणाम है कि जनपद में आने वाले कोरोना पॉजिटिव लोगों की पहचान तुरंत हो गई। किसी तरह की गड़बड़ी या उत्पात नहीं होने दिया गया। यह सब उनके कुशल नेतृत्व के बलबूते ही हो सका। वह प्रतिदिन जिले के अलग-अलग थाना क्षेत्रों में जाकर पुलिस कर्मचारियों का मनोबल बढ़ा रहे हैं। उनका कहना है कि पुलिस अधिकारी पर दोहरी जिम्मेदारी होती है। आपदा के समय में कानून का पालन करने के साथ नैतिक जिम्मेदारी भी बढ़ जाती है। आमजन और पुलिस के बीच की कड़ी को भी जोड़े रखना आवश्यक होता है। कोरोना संकट के इस समय में पुलिस की जिम्मेदारी और अधिक बढ़ गई है। बस जनता पुलिस का साथ देती रहे। लोगों को चाहिए कि अपने अधिकारों के साथ अपने कर्तव्यों को भी याद रखें और इस जंग में हमें सहयोग प्रदान करें। हम सबके सहयोग से निश्चित ही इस समस्या का अंत जल्द ही हो जाएगा।

दिन रात जूझ रहा युवा आईएएस

कोरोना के योद्धाओं की कड़ी में अगला नाम आता है टांडा के उप जिलाधिकारी आईएएस गौरव कुमार का। 2018 बैच के आईएएस गौरव जनपद के सबसे बड़े हॉटस्पॉट क्षेत्र टांडा में कोरोना संकट के समक्ष दीवार बन कर मोर्चा संभाले हुए हैं। जिले में अब तक मिले 17 मामलों में 14 इस क्षेत्र में ही निकले थे।

इस से पहले गौरव पर सैदनगर बीडीओ का चार्ज था। बेहतर कार्य कुशलता को देखते हुए उन्हें टांडा के उप जिलाधिकारी का दायित्व भी दिया गया है, जिसे इस मुश्किल घड़ी में वह बखूबी निभा रहे हैं। बताते हैं कि सुबह में सबसे पहले बाजारों में निकलते हैं। इस दौरान लॉक डाउन का उल्लंघन करने वालों पर उनकी कड़ी नजर रहती है। कहीं कोई उल्लंघन करता दिखता है तो उसे रोक कर पैनल्टी डालने के साथ ही बाहर न निकलने की चेतावनी देते हैं। उसके बाद उसे कंट्रोल रूम के नंबर दे कर घर भेज देते हैं। क्षेत्र पर नजर रखने के लिए ड्रोन कैमरा के साथ ही एक गाड़ी में वीडियो कैमरा रख कर गलियों में घुमाया जा रहा है। किसी दुकान पर भीड़ लगी मिलने पर दुकानदार पर पैनल्टी डाली जाती है। साथ ही जो लोग लॉक डाउन का उल्लंघन करते मिलते हैं उनसे भी जुर्माना वसूला जा रहा है। अब तक पांच लाख रुपये वह पैनल्टी के रूप में वसूल चुके हैं। 150 लोगों को क्वारंटाइन करवाया है।

खुद को खतरे में डाल कर रहे रोगियों का उपचार

कोरोना के कारण जब देशभर में लॉकडाउन है, कुछ लोग अपने स्वास्थ्य की चिता किए बगैर दूसरों को स्वस्थ रखने के लिए अपने-अपने कार्यों को अंजाम देने में जुटे हैं। इनमें सिर्फ चिकित्सक और मेडिकल स्टाफ ही नहीं, बल्कि वार्ड ब्वॉय और सफाई कर्मी भी शामिल हैं। वह अपना घर-परिवार भूलकर इस लड़ाई में अपना योगदान दे रहे हैं। जिला अस्पताल में डॉ. मुकुट लाल की ड्यूटी कोरोना वार्ड में लगाई गई है। यहां पर कई-कई घंटे काम करने के बाद भी उनके माथे पर शिकन नहीं है। बस उम्मीद है कि इस महामारी से हम जल्द ही पार पा लेंगे। वह बताते हैं कि वार्ड में वह पीपीई किट पहनकर दाखिल होते हैं। भीतर वार्ड में काम करते समय सुरक्षा का पूरा ख्याल रखा जाता है। इस किट की गुणवत्ता ठीक न होने के कारण उन्हें किसी भी समय संक्रमित होने का खतरा बना रहता है। वह बताते हैं कि घर पहुंचकर वह सीधा अंदर नहीं जाते। सबसे पहले वह घर के बाहर ही अपने सारे कपड़े डेटॉल युक्त गर्म पानी में डालते हैं। उसके बाद जूते भी ब्लीचिग पाउडर से साफ करते हैं। इसके बाद नहाकर ही परिवार से मिलते हैं। उनके अनुसार जब आइसोलेशन वार्ड में उनकी ड्यूटी लगाई गई तो उन्होंने इसे चुनौती के रूप में लिया। बाहर से आए लोगों की स्क्रीनिग

जिला अस्पताल में सीनियर टीबी लैब सुपरवाइजर के रूप में कार्यरत जसविदर सिंह का काम भी काफी जोखिम भरा है। उन्हें बाहर से जनपद में आए लोगों की स्क्रीनिग एवं काउंसलिग करने का कार्य सौंपा गया है। ऐसे में कौन कोरोना पॉजिटिव है, कौन नहीं इसका पहले से पता नहीं होता। वह बताते हैं कि इस ड्यूटी को निभाने के लिए कोई सुरक्षा किट भी उन्हें प्रदान नहीं की गई है। इससे हर समय उनका जीवन खतरे की जद में ही रहता है। जब कभी किसी के बाहर से आने का पता चलता है तो उन्हें उसकी स्क्रीनिग एवं काउंसलिग के लिए भेजा जाता है। वह अपने दायित्व की महत्ता को अच्छी तरह जानते हैं, अत: कभी उन्हें इसे निभाने में कोई संकोच सामने नहीं आता। घर वापसी पर सीधा परिवार के संपर्क में नहीं आते। घर के अंदर प्रवेश करने के बजाय सबसे पहले सीधा छत पर जाते हैं। वहां सारे कपड़े उतार कर उसे डेटॉल युक्त गर्म पानी में डालते हैं। उसके बाद अच्छी तरह नहा कर, साफ कपड़े पहन कर घर में घुसते हैं। इसके बाद भी परिजनों से एक निश्चित दूरी बनाए रहते हैं। अक्सर उन्हें दिन की ड्यूटी के बाद शाम को अचानक फिर बुला लिया जाता है। ऐसे में फिर से वह ही क्रम अपनाना पड़ता है। शुरुआत में कुछ घबराहट हुई थी, लेकिन फिर सोचा कि दूसरों की जान बचाना ही तो हमारा काम है फिर डरना कैसा। सफाई कर्मी ने किनारे किया कोरोना का डर

कहने को वह सफाई कर्मी है, लेकिन हौंसला सबसे बढ़ कर नजर आता है। जुगेश राज नाम के इस कोरोना के कर्मयोगी की ड्यूटी इस जंग में नगर की सफाई व्यवस्था दुरुस्त रखने के लिए लगाई गई है। जुगेश का कहना है कि देश पर इस समय कोरोना के रूप में बड़ा संकट आया है। बड़े-बड़े अधिकारी इस जंग में अपना योगदान दे रहे हैं। चिकित्सक अपनी जान को खतरे में डाल कर इस बीमारी से लड़ रहे हैं। ऐसे में हमारा जो काम है, उसे हमको पूरी जिम्मेदारी से निभाना है। यह मामला देश पर संकट का है। अपने देश को इससे बचाने में हम जी-जान से लगे हैं। देश सेवा के इस भाव ने हमारे दिल से कोरोना के डर को दूर कर दिया है। हमारे जवान सीमा पर देश के लिए जान न्योछावर कर देते हैं। ऐसे में देश सेवा में हम भी किसी काम आ जाएं तो यह हमारे लिए सौभाग्य की बात होगी। जुगेश नगरवासियों से अपील करते हैं कि आपको संकट से बचने को हम मोर्चा लिए खड़े हैं, आप बस इतना करिए कि इस दौरान अपने घरों में ही रहिए। प्रशासन आपकी हर जरूरत का सामान आपके घर पहुंचाने को तैयार है। प्रशासन का सहयोग करें और लॉक डाउन का पालन करें। खुद बचें और दूसरों को भी सुरक्षित रखें। हम सबके प्रयासों से ही हमारा देश इस संकट से मुक्ति सकेगा।


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