Move to Jagran APP

रामपुर के एक गांव में चंद रुपयों के खर्च में होती हैं दर्जनों शादी

समाज में इन दिनों शानो-शौकत ने इसे काफी खर्चीला बना दिया है। जितना भी खर्च कर दो कम ही माना जाता है। ऐसे में गरीब परिवार के लोग कर्जदार हो जाते हैं।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Sat, 28 Oct 2017 01:35 PM (IST)Updated: Sat, 28 Oct 2017 02:40 PM (IST)
रामपुर के एक गांव में चंद रुपयों के खर्च में होती हैं दर्जनों शादी
रामपुर के एक गांव में चंद रुपयों के खर्च में होती हैं दर्जनों शादी

रामपुर [मुस्लेमीन]। रजा लाइब्रेरी के साथ ही मौलाना जौहर यूनिवर्सिटी से विख्यात रामपुर का एक गांव भी इसको ख्याति दिला रहा है। बिरयानी के लिए मशहूर है दोंकपुरी टांडा गांव में मामूली खर्च में शादियां होती है। एक ही पंडाल में दर्जनों विवाह होते हैं, जहां पर हर व्यक्ति दिलखोल कर शिरकत करता है। 

prime article banner

शादी दो दिलों और दो परिवारों के मिलन का संस्कार है, समाज में इन दिनों शानो-शौकत ने इसे काफी खर्चीला बना दिया है। जितना भी खर्च कर दो कम ही माना जाता है। ऐसे में गरीब परिवार के लोग कर्जदार हो जाते हैं। ऐसे दौर में भी रामपुर जिले में एक गांव ऐसा है, जहां शादी में शाहखर्ची नहीं की जाती। वहां बिना दहेज और तामझाम के शादियां संपन्न होती हैं, जिसमें वर-वधू पक्ष के रुपये खर्च नहीं होते।

बिना अतिरिक्त खर्च के शादी की परंपरा शुरू करने वाला यह गांव है दोंकपुरी टांडा। अमीर हो गरीब, सबकी शादी एक ही समारोह में होती है। दहेज में कार नहीं, सिर्फ जरूरत का सामान दिया जाता है। वह भी वधू पक्ष चाहे तो। यहां पर शादियां सादगी से होती हैं। 

दरअसल यह पूरा गांव आपस में रिश्तेदार है। नाना, नानी, मामा, खाला, फूफा आदि सभी गांव में रहते हैं। इसकी वजह यह है कि यहां के लोग बेटे-बेटियों की शादी गांव में ही करते हैं। अजीमनगर थाने के मुस्लिम बहुल दोंकपुरी टांडा गांव को एकता में पिरोने का काम कर रही है फलाहे मुस्लिम बंजारान तंजीम (समिति)। यहां पर मुस्लिम बंजारा बिरादरी के लोग ज्यादा हैं। तंजीम ने कुछ उसूल बनाए हैं।

गांव में विवाह सिर्फ दिन में होते हैं। शादी के मौसम में यहां एक दिन में दस-दस शादियां भी होती हैं। तंजीम के सदर मुहम्मद अहमद उर्फ बाबर और सरपस्त मौलाना मनसब अली हैं। इन्होंने पड़ोस के गांव खेड़ा टांडा में भी तंजीम के नियमों को लागू कराया है। दोंकपुरी टांडा के प्रधान मुहम्मद फारूख कहते हैं कि हमारे गांव की शादी में फिजूल खर्ची नहीं होती। दूल्हे को सिर्फ इस्तेमाल का सामान दिया जाता है। इसमें घरेलू बर्तन, बेड, मेज कुर्सी, कपड़े शामिल होते हैं। 

बिरयानी के लिए मशहूर है दोंकपुरी टांडा गांव की सामाजिक और आर्थिक स्थिति भी अच्छी है। जिले में इस गांव की अलग पहचान है। यहां के लोग बिरयानी बनाने के अच्छे जानकार हैं। बड़े-बड़े शहरों में बिरयानी के छोटे होटल चलाते हैं। लोग खेतीबाड़ी भी करते हैं।

इसी माह हुई ताहिर की दो बेटियों की शादी

गांव के ताहिर की दो बेटियों की शादी इसी माह 24 तारीख को हुई है। ताहिर बीमार हैं। उनकी पत्नी नईमा कहती हैं कि पति के इलाज में हम कर्जदार हो गए। पांच बेटी और एक बेटा है। बेटियां सिलाई और कढ़ाई कर घर का खर्च चलाती हैं। दो बड़ी बेटियों की शादी गांव के लोगों ने ही कराई है। इसी तरह जमील अहमद ने भी इसी माह अपनी बेटी राशिदा की शादी गांव के ही रिजवान से की है।

यह भी पढ़ें: सरकार के गन्ना मूल्य में बढोतरी के बाद भी किसान नाराज, जलाया गन्ना

यहां शादी में ज्यादा रकम खर्च करने पर प्रतिबंध है. निगरानी के लिये एक कमेटी भी बनाई गई है। इतना ही नहीं, शादी के बाद पति-पत्नी के बीच होने वाले किसी भी तरह के विवाद का निपटारा भी तंजीम की पंचायत में होता है जिसे सभी मानते हैं। ऐसे में दंपति कोर्ट-कचहरी के चक्कर से बच जाते हैं।

यह भी पढ़ें: यूपी बोर्ड की हाई स्कूल तथा इंटर की परीक्षाएं छह फरवरी से, 67 लाख छात्र होंगे शामिल

तेरह साल पहले बनी तंजीम

तंजीम के सरपरस्त मौलाना मनसब अली ने बताया कि इस गांव में उलेमा भी बहुत हैं। इन्होंने ही तंजीम बनाने की पहल की। 13 वर्ष पहले बनी तंजीम में 11 पदाधिकारी और 50 सदस्य हैं, जो शादी में खर्च पर नजर रखते हैं। एक दिन में एक ही स्थान पर कई शादी करने का फायदा यह होता है कि खाने का खर्च बंट जाता है। यहां शादियां भी मार्च और अक्टूबर-नवंबर में होती हैं। तंजीम आपसी झगड़ों को भी पंचायत के जरिये निपटा देती है। गांव में उलेमा भी बहुत हैं। इन्होंने ही तंजीम बनाने की पहल की। 13 वर्ष पहले बनी तंजीम में 11 पदाधिकारी और 50 सदस्य हैं, जो शादी में खर्च पर नजर रखते हैं।

यह भी पढ़ें: यूपी में 22 नवंबर से 3 चरण में होंगे निकाय चुनाव, 1 दिसंबर को आएंगे नतीजे

तंजीम के सदर मोहम्मद अहमद उर्फ बाबर व सरपस्त मौलाना मनसब अली हैं। शादियों में फिजूलखर्ची रोकने को इन्होंने पड़ोस के गांव खेड़ा टांडा में भी इन्हीं नियमों को लागू कराया है। मौलाना मनसब अली ने बताया कि शादी में दूल्हे को लड़की वालों की तरफ से सिर्फ घरेलू बर्तन, बेड, मेज, कुर्सी और कपड़े दिये जाते हैं। ज्वैलरी के नाम पर लड़की को सिर्फ मामूली ज्वैलरी देने की छूट है।

यह भी पढ़ें: वृंदावन व बरसाना पवित्र तीर्थ स्थल घोषित, दोनों बनेंगे नो क्राइम जोन

योगी सरकार ने गन्ना की समर्थन मूल्य को 10 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ा दिया है। प्रति किलो 10 पैसे की कीमत की बढ़ोत्तरी की गई है। अब योगी सरकार गन्ना किसानों से गन्ना 305 रुपए प्रति क्विंतल की जगह 315 रुपए प्रति क्विंटल तय किया गया है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.