ओडीएफ का कड़वा सच: घर में शौचालय, फिर भी खुले में कर रहे शौच
उपले रखने के काम आ रहे हैं गांवों में बने शौचालय
जागरण संवाददाता, रामपुर : गांधी जयंती के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को पूरी तरह खुले में शौचमुक्त घोषित कर दिया लेकिन, जमीनी हकीकत इससे जुदा है। आज भी कई गांवों में लोग खुले में शौच कर रहे हैं। कई गांव में बने शौचालय का प्रयोग ग्रामीण उपले रखने के काम में ले रहे हैं।
गांवों को खुले में शौच से मुक्त करने के लिए पंचायत राज विभाग द्वारा घर-घर शौचालय बनवाए। इसके लिए करोड़ों का बजट जारी हुआ। प्रचार-प्रसार पर भी लाखों रुपये खर्च किए। जिला ओडीएफ होने पर गांव-गांव स्वच्छता रैलियां निकाली गईं। प्रधानों और सचिवों को सम्मानित भी किया गया। ग्रामीण खुले में शौच न करें। इसके लिए भरकस प्रयास किए गए, लेकिन फिर भी लोगों की आदतों में सुधार न हो सका। आज भी कई लोग ऐसे हैं जो सवेरे लौटा लेकर जंगल की ओर जाते देखे जा सकते हैं। कई शौचालय आज भी अधूरे पड़े हैं। ऐसे में आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि ये लोग कहां शौच करते होंगे। गुरुवार को स्वार ब्लाक के लखीमपुर समेत कई गांवों में दैनिक जागरण टीम ने पड़ताल की तो हकीकत सामने आई। गांव में पाया कि आधा दर्जन शौचालय अधूरे पड़े हैं। उनमें कूड़ा भी पड़ा है। ग्रामीण शौचालय का प्रयोग ग्रामीण उपले रखने व कूड़ा आदि डालने के लिए कर रहे हैं। समोदिया में भी ऐसे कई परिवार मिले। इसके अलावा भी कई शौचालय ऐसे मिले, जिनका प्रयोग होता नहीं पाया गया। इसके अलावा भोट बक्काल गांव रास्तों पर पसरी गंदगी हकीकत बताने के लिए काफी है। ऐसे ही सैदनगर ब्लाक के करनपुर, धूलियागंज, दिलपुरा, खिमोतिया दोंकपुरी-टांडा समेत दर्जनों ऐसे हैं जहां लाखों की लागत से बने शौचालय शोपीस बनकर रह गए हैं। सवेरे-सवेरे यहां के कई वाशिदे जंगल की ओर दौड़ लगाते देखे जा सकते हैं। यह सभी लोग प्रधानमंत्री के स्वच्छ व निर्मल भारत कार्यक्रम के माथे पर टीका लगा रहे हैं। सैदनगर ब्लाक खिमोतिया के प्रधान प्रेम पाल लोधी का कहना है कि उन्होंने गांव में 130 शौचालय बनवाए हैं। ये सभी चालू हैं। ग्रामीण इनका प्रयोग भी कर रहे हैं। गांव निवासी बांके लाल का कहना है कि वह अक्सर शौचालय का प्रयोग करते हैं, विशेष परिस्थितियों में खुले में शौच को जाते हैं।
श्याम लाल का कहना है कि परिवार सहित शौचालय का प्रयोग करते हैं। अब कोई असुविधा नहीं होती। लीला नाथ का कहना है शौचालय के प्रयोग से बीमारियां गांव से दूर होने लगी हैं।
पात्रों के चयन में भी हुई मनमानी
जागरण संवाददाता, मिलक : क्षेत्र के कई गांवों में आज भी लोग खुले में शौच कर रहे हैं। इसकी कई वजह हैं। कई गांवों में चयन में मनमानी की गई है। प्रधानों ने अपने विरोधियों के शौचालय नहीं बनवाए। कई लोगों के शौचालय बने हैं, लेकिन खुले में शौच करने की आदत नहीं छोड़ पा रहे हैं। ग्रामीणों में जागरूकता की भी कमी है। गांव में ग्राम प्रधान द्वारा शौचालय का निर्माण बेहद कम लोगों का ही कराया गया। मैं और मेरे परिवार के सभी सदस्य घर में शौचालय न होने के कारण आज भी खुले में शौच के लिए जाते हैं। हमने कई बार ग्राम प्रधान से शौचालय निर्माण कराने की गुहार लगाई, लेकिन आज तक हमारा नाम लिस्ट में नहीं आया।
जयदेव, मोहम्मद नगर का मझरा भुतना गांव में भारत सरकार द्वारा शौचालय निर्माण कराने की योजना आई। हमने ग्राम प्रधान से अपने घर में शौचालय निर्माण कराने के लिए आवेदन किया, लेकिन साल-दो साल का समय बीत गया। मेरे घर में शौचालय का निर्माण नहीं कराया गया।
जोगा सिंह, नरखेड़ा। हमारे गांव को पूरी तरह शौचमुक्त घोषित कर दिया गया है। हकीकत यह है कि मेरे जैसे दर्जनों ग्रामीणों के घरों में शौचालय का निर्माण नहीं कराया गया। मेरे परिवार की महिलाएं, बच्चे और अन्य ग्रामीण जिनके शौचालय नहीं बनाए हैं। वे सब खुले में शौच कर रहे हैं।
गंगा शरण, क्रमचा का खेड़ा। गांव में सरकारी शौचालय बनाए गए। हमने भी कई बार प्रधान से कहा कि हमारे घर में भी शौचालय का निर्माण करा दे, लेकिन हमारा शौचालय नहीं बनाया गया। क्या करें आज भी पूरा परिवार खेतों पर शौच करने जाता है? गांव के लोगों के मुंह से सुना है कि हमारा गांव भी पूरी तरह खुले में शौच मुक्त घोषित हो गया है।
शोभाराम सागर,नदला उदई। हमारे गांव में सरकार द्वारा ग्रामीणों के घर पर शौचालय का निर्माण कराया गया है। ग्रामीणों की महिलाएं और बच्चे घर में बने शौचालय का प्रयोग कर रहे हैं, लेकिन जो ग्रामीण खुले में शौच करने के आदी हैं वे आज भी आदतन खुले में शौच करने जाते हैं।
प्रेम शंकर, रौरा कला। हमने 250 शौचालयों का निर्माण गांव में कराया है। अब भी लगभग गांव में डेढ़ सौ लोगों के शौचालय बनने रह गए हैं। गांव में कुल 40 प्रतिशत लोगों के ही शौचालय बन पाए हैं। गांव को पूरी तरह ओडीएफ घोषित कर दिया गया। हमने अधिकारियों से कई बार शेष बचे ग्रामीणों के शौचालय बनाने की मांग की, लेकिन नई लिस्ट जारी नहीं हुई और न ही शौचालय निर्माण के लिए रुपया आया। गांव में जिन लोगों के शौचालय का निर्माण कराया गया। उनमें आज भी कुछ ग्रामीण आदतन खुले में शौच को जाते हैं। हमने ग्रामीणों से कई बार खुले में शौच न जाने के लिए कहा। कुछ ग्रामीणों का कहना है कि सुबह-सवेरे खेतों पर जब तक वह टहल न लें, तब तक उन्हें लेटरीन नहीं आती है, इसलिए वे खेतों पर शौच को जाते हैं।
भूपराम सागर, ग्राम प्रधान खमरिया। मनकरा गांव में में लगे हैं चेतावनी बोर्ड रामपुर: चमरौआ ब्लाक की ग्राम पंचायत मनकरा अब पूरी तरह खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) है। इस गांव में न तो कहीं खुले में मल करते मिलेगा और न ही कोई व्यक्ति खुले में शौच करता पाया जाएगा। ग्राम पंचायत मनकरा जिले का सबसे पहले ओडीएफ घोषित होने वाला गांव है। ग्राम प्रधान सना काशिफ विज्ञान स्नातक महिला हैं। उनके पति काशिफ खां भी प्रधान रहे हैं। वह अब प्रधान संगठन के प्रवक्ता हैं। गांव को खुले से शौच मुक्त करने लिए सख्त रवैया अपनाया गया। साथ ही ग्रामीणों का सहयोग भी रहा, जिसके सबब आज गांव में कोई व्यक्ति खुले में शौच नहीं करता है। बताते हैं कि मनकरा को ओडीएफ करने के लिए सबसे पहले निगरानी समितियां बनाई गईं। घर घर जाकर खुले में शौच के दुष्परिणाम बताए गए। 72 शौचालय विहीन परिवारों के शौचालय बनवाए गए। जगह जगह चेतावनी बोर्ड लगाकर कार्यवाही का डर पैदा कर लोगों को खुले में शौच से रोका गया। ग्राम पंचायत मनकरा में खुले में शौच करने पर पांच सौ रुपये जुर्माना वसूले जाने, वैधानिक कार्रवाई की चेतावनी के बोर्ड आज भी लगे नजर आते हैं। हालांकि, अब गांव के लोग ही इस ग्राम पंचायत का ओडीएफ दर्जा बरकरार रखना चाहते हैं। ग्राम प्रधान संगठन के प्रवक्ता काशिफ खां ने बताया कि शुरुआती दिनों में लोगों को खुले में शौच से रोकने में दिक्कतों का सामना करना पड़ा था, लेकिन धीरे-धीरे लोगों को सही और गलत की समझ आ गई। खुले में शौच न करने से वातावरण स्वच्छ हुआ है और बीमारी भी कम हुई हैं। अब लोग इतने जागरूक हो गए हैं कि खुले में शौच करने के बारे में सोच भी नहीं सकते।