सजा के सवाल पर दो घंटे तक हुई जमकर बहस
सजा के सवाल पर दो घंटे तक हुई जमकर बहस
रामपुर : सीआरपीएफ पर हमले में आतंकियों को सजा के सवाल पर अदालत में लगातार दो घंटे बहस चलती रही। बहस पूरी होने के 25 मिनट बाद अदालत ने फैसला सुनाया। फांसी की सजा सुनते ही आतंकी रो पड़े। शनिवार दोपहर दो बजे बाद अदालत में सजा के सवाल पर सुनवाई शुरू हुई। बचाव पक्ष के अधिवक्ता मोहम्मद जमीर रिजवी ने कहा कि इनका पुराना कोई अपराधिक रिकार्ड नहीं है। जंग बहादुर तो करीब 70 साल के हैं और उनके फेफड़े खराब हैं। उनकी उम्र और बीमारी को देखते हुए कम से कम सजा दी जाए। जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी दलविदर सिंह डम्पी ने तर्क दिया कि इनका गुनाह माफ करने लायक नहीं है। देश के साथ युद्ध करने जैसा जघन्य अपराध किया है। इनकी गोलीबारी में सात जवान शहीद हुए हैं। सीआरपीएफ ग्रुप सेंटर पर बम बरसाए हैं। इनके कब्जे से हथियार बरामद हुए हैं और इन हथियारों का घटना में प्रयुक्त होना साबित हुआ है। तमाम गवाहों और साक्ष्यों के मद्देनजर इन्हें कड़ी से कड़ी सजा दी जानी चाहिए। ऐसे खतरनाक अपराधियों को फांसी पर लटकाया जाना चाहिए। अदालत ने दोनों पक्षों की बहस सुनी। बहस दो बजे से शाम चार बजे तक चली। 4.25 बजे अदालत ने सजा सुनाई। फांसी की सजा सुनते ही सबाउद्दीन और मोहम्मद शरीफ रोने लगे और माफी की दरख्वास्त करने लगे। इसके बाद पुलिस उन्हें जेल ले गई। इनमें दोनों पाकिस्तानी आतंकी मोहम्मद फारूख व इमरान शहजाद और बिहार के सबाउद्दीन को लखनऊ की जेल ले जाया गया, जबकि जंग बहादुर, मोहम्मद शरीफ और फहीम अंसारी को बरेली सेंट्रल जेल ले जाया गया। पूरे दिन फैसले पर लगी रहीं नजरें
रामपुर : कचहरी में पूरे दिन वकीलों की नजरें भी इसी फैसले पर लगी रहीं। उनमें यही चर्चा रही कि किसे कितनी सजा होगी। वकीलों के साथ ही मीडिया कर्मी और अधिकारी भी अदालत के फैसले पर नजरें लगाए रहे। इस फैसले को लेकर पुलिस और प्रशासन भी चौकन्ना रहा। कचहरी में चप्पे-चप्पे पर फोर्स तैनात रही। कोर्ट की छतों पर भी पुलिस के सशस्त्र जवान तैनात थे। तमाम आने-जाने वालों की तलाशी ली गई। पुलिस अधीक्षक डॉ. अजयपाल शर्मा भी अदालत में पहुंच गए। उन्होंने सुरक्षा व्यवस्था का भी जायजा लिया।