आखिरी कुल के साथ सालाना उर्स का समापन
झूले व मेले का लुत्फ नहीं ले सके लोग
झूले व मेले का लुत्फ नहीं ले सके लोग
जागरण संवाददाता, बिलासपुर : मुहल्ला शीरी मियां स्थित प्रसिद्ध हजरत शीरी मियां की दरगाह पर चल रहे सालाना उर्स के आखिरी दिन बाहर से आए कव्वालों की टीम ने जहां मह़िफल-ए-समां बांध दिया। वहीं उर्स के आखिरी दिन दरगाह पर अकीदतमंदों की भीड़ उमड़ पड़ी। आखिरी कुल शरीफ के साथ शुक्रवार की शाम तीन दिवसीय सालाना उर्स का समापन कर दिया।
मुहल्ला स्थित ऐतिहासिक हजरत शीरी मियां की दरगाह पर चल रहे तीन दिवसीय सलाना उर्स के आखिरी दिन कुरआन ख्वानी और नात ख्वानी की गई। नगरवासियों समेत बाहर से आए अकीदतमंदों ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। बीते गुरुवार की रात दरगाह पर कव्वाली के प्रोग्राम का आयोजन किया। बाहर से आई कव्वालों की टीम ने सूफियाना और अरिफाना कलाम पेश किए। कव्वालों ने कलाम सुनाकर मौजूद अकीदतमंदों को झूमने और दाद देने पर मजबूर कर दिया। उत्साहित लोगों ने कव्वालों पर फूलों की बारिश करनी शुरू कर दी। वहीं दरगाह पर सुबह से लेकर देर रात तक चादरपोशी का सिलसिला चलता रहा। उर्स के आखिरी दिन क्षेत्रीय ग्रामीणों समेत दूरदराज से बड़ी संख्या में आए अकीदतमंदों ने चादरपोशी कर मगफिरत की दुआएं मांगी। दरगाह के सज्जादानशीन सज्जन मियां ने बताया कि दरगाह पर आने वाले अकीदतमंदों के लिए सभी जरूरी इंतजामात किए थे। हजरत शिरी मियां की दरगाह पर सभी धर्मों को मानने वाले लोग आते हैं। यहां गंगा-जमुनी तहजीब देखने को मिलती है। कोरोना वायरस की वजह से उर्स में लगे मेले को स्थगित कर दिया गया, जिसकी वजह से लोग इस बार झूले आदि का लुत़्फ नहीं उठा पाए।