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जौहर यूनिवर्सिटी का लेबर सेस घटाने पर शासन ने बैठाई जांच

सांसद आजम खां की जौहर यूनिवर्सिटी पर लगाया लेबर सेस घटाने पर शासन ने जांच के आदेश दिए हैं। श्रम विभाग के प्रमुख सचिव से एक सप्ताह के अंदर आख्या मांगी गई है। भाजपा नेता आकाश सक्सेना हनी ने मुख्यमंत्री से शिकायत की थी कि अधिकारियों ने साठगांठ कर जौहर यूनिवर्सिटी पर लगाया गया लेबर सेस घटा दिया है। उन्होंने कहा कि 23 जनवरी 2015 को नोटिस जारी कर जौहर यूनिवर्सिटी से 20 करोड़ रुपये सेस जमा करने को कहा गया था। इस पर दंड लगाकर 40 करोड़ रुपये वसूली होनी चाहिए लेकिन अधिकारियों ने धनराशि बढ़ाने के बजाय घटा दी है। मात्र एक करोड़ 37 लाख रुपये लेबर सेस लगाया है इससे सरकार को राजस्व हानि हुई है। इसलिए इस प्रकरण की जांच कराई जाए। मुख्यमंत्री के विशेष सचिव ने इस मामले में प्रमुख सचिव श्रम को जांच कराने के लिए लिखा है। उनसे एक सप्ताह के अंदर परीक्षण कर आख्या मां

By JagranEdited By: Published: Mon, 03 Feb 2020 10:49 PM (IST)Updated: Mon, 03 Feb 2020 10:49 PM (IST)
जौहर यूनिवर्सिटी का लेबर सेस घटाने पर शासन ने बैठाई जांच
जौहर यूनिवर्सिटी का लेबर सेस घटाने पर शासन ने बैठाई जांच

जागरण संवाददाता, रामपुर : सांसद आजम खां की जौहर यूनिवर्सिटी पर लगाया लेबर सेस घटाने पर शासन ने जांच के आदेश दिए हैं। श्रम विभाग के प्रमुख सचिव से एक सप्ताह के अंदर आख्या मांगी गई है। भाजपा नेता आकाश सक्सेना ने मुख्यमंत्री से शिकायत की थी कि अधिकारियों ने साठगांठ कर जौहर यूनिवर्सिटी पर लगाया गया लेबर सेस घटा दिया है। उन्होंने कहा कि 23 जनवरी 2015 को नोटिस जारी कर जौहर यूनिवर्सिटी के कुलपति से 20 करोड़ रुपये लेबर सेस जमा करने को कहा गया था। इस पर दंड लगाकर 40 करोड़ रुपये वसूली होनी चाहिए, लेकिन अधिकारियों ने धनराशि बढ़ाने के बजाय घटा दी है। मात्र एक करोड़ 37 लाख रुपये लेबर सेस लगाया है, इससे सरकार को राजस्व हानि हुई है। इसलिए इस प्रकरण की जांच कराई जाए। मुख्यमंत्री के विशेष सचिव ने इस मामले में प्रमुख सचिव श्रम को जांच कराने के लिए लिखा है। उनसे एक सप्ताह के अंदर परीक्षण कर आख्या मांगी है।

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गौरतलब है कि सपा शासनकाल में 2015 में श्रम विभाग ने जो नोटिस जारी किया गया था, उसमें जौहर यूनिवर्सिटी में इमारतों की लागत दो हजार करोड़ आंकी गई थी और लेबर सेस 20 करोड़ दर्शाया गया था। इसकी वसूली के लिए यूनिवर्सिटी के कुलपति को श्रम विभाग की ओर से पत्र लिखा गया था, लेकिन वसूली नहीं हो सकी। भाजपा शासनकाल में इसे 20 करोड़ से घटाकर 1.37 करोड़ कर दिया गया। इसे भी जमा न करने पर श्रम विभाग ने आरसी जारी कर दी। इसके बाद भी जमा नहीं किया गया तो एक सप्ताह पहले दो इमारतें कुर्क कर दी गईं।


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