धान खरीद का दस फीसद लक्ष्य पूरा नहीं, फिर भी मंडल में टॉप पर
जागरण संवाददाता रामपुर बाजार में दाम अधिक मिलने और केंद्रों पर हो रही दिक्कतों के कारण किसान अपना धान मंडियों में बेच रहे हैं। ऐसे में सरकार का धान खरीद का दस फीसदी लक्ष्य भी पूरा नहीं हो सका है। जिले में अब तक 21500 मैट्रिट टन धान खरीद हो सकी है जबकि लक्ष्य 2.34 लाख मैट्रिक टन धान खरीदने का है।
जागरण संवाददाता, रामपुर: बाजार में दाम अधिक मिलने और केंद्रों पर हो रही दिक्कतों के कारण किसान अपना धान मंडियों में बेच रहे हैं। ऐसे में सरकार का धान खरीद का दस फीसदी लक्ष्य भी पूरा नहीं हो सका है। जिले में अब तक 21500 मैट्रिक टन धान खरीद हो सकी है, जबकि लक्ष्य 2.34 लाख मैट्रिक टन धान खरीदने का है।
सरकार ने किसानों को उनकी फसल के उचित दाम दिलाने के लिए खरीद केंद्र खोले हैं। धान की खरीद के लिए जिले में एक अक्टूबर से केंद्र खुल गए हैं, लेकिन इनपर खरीद अभी तक तेजी नहीं पकड़ पाई है। महीने भर में दस फीसदी लक्ष्य भी पूरा नहीं हो सका है। बुधवार को जागरण टीम ने केंद्रों पर जाकर जायजा लिया तो कई केंद्र सूने पड़े मिले।
स्वार: नकद भुगतान के चलते किसान अपनी फसल उत्तराखंड की मंडियों में बेच रहे हैं, जहां उन्हे अच्छे दाम मिल रहे हैं। दूसरा कारण यह भी है कि धन रिलीज न होने के कारण किसानों के केंद्र पर बेचे गए दान का मूल्य हाथोंहाथ नहीं मिल पा रहा है। क्षेत्र में 14 क्रय केंद्र हैं, जिसमें स्वार, भोट वक्काल, दूंदा वाला, पीपलसाना, धनौरी, खेमपुर, हरदासपुर कोठरा, समोदिया, लखीमपुर, रहमतगंज, मीरापुर रजानगर, बिहारीनगर, महूनागर, पिपलिया जट, महाराजपुर, मानपुर गांव धान खरीद केंद्र खुले हैं। खरीदारी न होने के कारण क्रय केंद्रों पर सन्नाटा छाया है। केंद्रों पर बैनर तो लगा दिए हैं, लेकिन एक माह का समय बीतने के बाद भी धान तौल का कार्य तेजी नहीं पकड़ पा रहा है। केंद्र प्रभारी जाहिद खां ने बताया कि धन रिलीज न होने के कारण किसान केंद्रों पर अपना धान न लाकर मंडी में नकद भुगतान पर बेच रहे हैं। केंद्र पर धान का मूल्य 1815 व 1835 रुपये प्रति क्विटल है, जबकि दलालों द्वारा मंडियों में 2000 प्रति क्विटल मूल्य मिल रहा है। धान क्रय केंद्रों पर किसानों को परेशान किया जाता है, जिसके कारण किसान अपना धान क्रय केंद्रों पर ले जाने से कतरा रहे हैं। किसान धान बिचौलियों को बेचने को मजबूर हैं।
जमील अहमद। क्रय केंद्रों पर असुविधाओं का बोल वाला है।नकद भुगतान न होने के कारण किसान अपना धान बिचौलियों एवं दलालों के हाथों बेचने को मजबूर हैं।
ओमप्रकाश राणा। सरकारी मूल्य से बाजार में अधिक मूल्य मिल रहा है, जिसके कारण किसान केंद्रों पर न जाकर उत्तराखंड की मंडियों में धान बेचने को मजबूर हैं।
शावेज खां।
शासन से धन रिलीज न होने के कारण क्रय केंद्र सूने पड़े हैं, इसलिए किसान नकद भुगतान पर औने-पौने दामों पर बेच रहे हैं।
रिजवान अली
धान क्रय केंद्रों पर कम हुई खरीद
शाहबाद : धान क्रय केंद्रों पर बिचौलियों का बोलवाला चल रहा है। ऐसी स्थिति में किसान अपनी मेहनत की फसल को औने-पौने दामों पर बेचने को मजबूर हैं। पिछले दिनों उपजिलाधिकारी ने नवीन मंडी स्थल परिसर में स्थित केंद्रों पर छापा मारकर कार्रवाई की जिलाधिकारी को रिपोर्ट दी थी।
तहसील परिसर में 24 धान क्रय केंद्र हैं, जिसमें नगर की नवीन मंडी स्थल में पांच सेंटर लगे हैं। जागरण की टीम ने सुबह साढ़े दस बजे इन सेंटरों का हाल जाना तो पांच में चार सेंटर बंद थे। सिर्फ खाद एवं रसद विभाग का सेंटर खुला था। यहां पर अब तक मात्र 44 क्विटल धान की खरीद हुई है, जबकि शासन ने सुबह नौ बजे से शाम पांच बजे तक खरीद के सख्त निर्देश दिए हैं। ऐसी स्थिति में सरकार की मंशा को कर्मचारी पलीता लगाने पर अमादा हैं। पिछले दिनों उपजिलाधिकारी प्रवीण वर्मा ने मंडी परिसर स्थित सेंटरों पर छापा मारा था। इस दौरान उन्हें मौके पर काफी गड़बड़ी मिली थी। दलालों का धान तुलता हुआ मिला था। उपजिलाधिकारी ने मामले को गंभीरता से लेते हुए मामले की रिपोर्ट जिलाधिकारी को भेजी थी। कुछ सेंटर इंचार्ज धान न आने की बात कह पल्ला झाड़ने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि मंडी व्यापारियों के यहां धान बेचने वाले व्यापारियों की सुबह से ही भीड़ लग रही है।
फिर भी मंडल में नंबर वन खाद्य विपणन अधिकारी डॉ.अनुपम निगम कहते हैं कि रामपुर जिले में मंडल में सबसे ज्यादा धान खरीद हुई है और इस कारण हम मंडल में नंबर वन पर हैं। जिले का धान खरीद का लक्ष्य 2.34 लाख मैट्रिक टन है, जिसमें 21500 मैट्रिक टन खरीद हो चुकी है। किसानों को हरसंभव बेहतर सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं।