घर लौटे साढ़े तीन हजार प्रवासी, नहीं मिला किसी को रोजगार
कोविड-19 की मार पड़ी तो वे सब घर लौटने को विवश हो गए। ऐसे 3400 लोग अपने जनपद में भी बाहर से वापस आए हैं।
रामपुर, जेएनएन। कोरोना महामारी ने देश भर में तबाही का मंजर खड़ा कर दिया। इसकी सबसे बड़ी मार उन लोगों पर पड़ी जो रोजी-रोटी की तलाश में अपने घर से हजारों किलोमीटर दूर परदेश की खाक छान रहे थे। कोविड-19 की मार पड़ी तो वे सब घर लौटने को विवश हो गए। ऐसे 3400 लोग अपने जनपद में भी बाहर से वापस आए हैं। उन लोगों को रोजगार देने की दिशा में प्रशासन द्वारा पहल शुरू कर दी गई है। इसको लेकर सर्वे करवाया जा रहा है जिसके बाद उनकी योग्यता के अनुसार उन्हें काम दिया जाएगा।
प्रशासन के आंकड़ों के अनुसार 3400 श्रमिक वापस आ चुके हैं। बाकी के लौटने की उम्मीद अभी बाकी है। सरकार की मंशा के तहत ऐसे सभी श्रमिकों को उनकी योग्यता के आधार पर रोजगार की व्यवस्था प्रशासन को करनी है। इस कवायद में अधिकारी लग चुके हैं। जिला उद्योग केंद्र, श्रम विभाग, आइटीआइ विद्यालय के प्रिसिपल व मनरेगा विभाग को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई है। प्रशासन को इन सबका डेटा कलेक्ट करवा कर ट्रेडवार उनका चयन करके उन्हें रोजगार उपलब्ध करवाना है। अधिकारी इस कवायद में पूरी तरह जुटे हुए हैं। लेकिन, अब तक कहीं पर पंजीकरण की प्रक्रिया पूरी न हो पाने के कारण किसी को भी रोजगार नहीं मिल सका है। अभी किसी का भी पंजीकरण नहीं हो सका है। अभी तो ऐसे श्रमिकों का डेटा कलेक्ट किया जा रहा है। अब तक हमारे पास 750 मजदूरों का डेटा आ चुका है। यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद जैसे भी आदेश मिलेंगे, उसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
दिनेश कुमार, श्रम प्रवर्तन अधिकारी बाहर से 3400 श्रमिक अब तक जिले में आ चुके हैं। अभी और मजदूरों के आने की संभावनाएं हैं। हमारे पास योजनाएं भी हैं और व्यवस्थाएं भी। उनका पूरा लाभ इन्हें दिया जाएगा। श्रमिकों के सर्वे का दायित्व आइटीआइ विद्यालय के प्रिसिपल को सौंपा गया है। वह उन का ट्रेडवार ब्योरा इकट्ठा करके उन्हें प्रशिक्षण की व्यवस्था करेंगे। हमारे यहां की फैक्ट्रियों से भी श्रमिक बाहर गए हैं। उनकी कमी पूरी करने की आवश्यकता पड़ेगी। ऐसे में हम उनको पूरा लाभ देने का प्रयास करेंगे।
सुशील कुमार शर्मा, उपायुक्त जिला उद्योग केंद्र दिल्ली से लगभग 25 दिन पहले आया था। वहां पर फैक्ट्री में मजदूरी करता था। अब कोई काम न होने पर परेशानी हो रही है। हमें अब तक कोई कार्ड नहीं मिला है। न ही कहीं पंजीकरण किया गया है।
संजीव, खमरिया दिल्ली में काम करते थे। लॉकडाउन में काम न होने पर वहां से 22 दिन पहले घर आना पड़ गया। हमारा मनरेगा कार्ड पहले का बना हुआ है। काम न मिलने के कारण ही दिल्ली गए थे। अभी भी अब तक कोई काम नहीं मिला है।
किशन लाल, खमरिया राजस्थान के भिवाड़ी में फैक्ट्री में काम करते थे। अब वहां से यहां आना पड़ा तो कोई पंजीकरण अब तक नहीं किया गया है। काम न होने से घर की स्थिति खराब चल रही है। कोई काम मिले तो परेशानी दूर हो।
सलीम अहमद, केमरी देहरादून में फैक्ट्री में काम करते थे। अब वहां से वापस आना पड़ा तो यहां पर काम की परेशानी है। अब तो बाहर जाने का मन नहीं है। यहां पर ही कोई काम मिल जाए तो ठीक रहेगा।
सतीश, मिश्री नगर जनूवी