खुशहाल समाज के लिए फैलाएं आध्यात्मिक जागरण का प्रकाश
खुशहाल समाज के लिए फैलाएं आध्यात्मिक जागरण का प्रकाश
जागरण संवाददाता, रामपुर : अखिल भारतीय राधा माधव संकीर्तन मंडल के वार्षिकोत्सव में देश के कई मशहूर राष्ट्रीय संकीर्तनकार शहर में आए हैं। इन सभी का उद्देश्य समाज में सकारात्मक चेतना का प्रचार-प्रसार करना है। मीडिया से हुई बातचीत में सभी ने खुशहाल और शांतिप्रिय समाज के लिए लोगों में आध्यात्मिक जागरण के उत्थान की बात कही।
आध्यात्म से आती है समाज में एकरूपता
जब मानव के मन में आध्यात्मिक जागरण का प्रकाश होता है तो उसके जीवन में सकारात्मक बदलाव होते है। यह बदलाव लोगों को एक दूसरे के साथ मिलकर जीना सिखाता है। इसलिए आध्यात्मक को जीवन में शामिल करना नितांत आवश्यक है। इससे समाज में एकरूपता आती है और लोगों का जीवन खुशहाल बनता है।
मुरलीधर मल्होत्रा, राष्ट्रीय संकीर्तनकार
मानसिक तनाव मिटाता है राधा नाम
राधा नाम में दिव्य चेतनाएं समाहित है। इसके प्रभाव से मनुष्य जीवन के सभी विकार स्वत: ही मिट जाते हैं। भौतिकता के प्रभाव में आकर लोग मानसिक तनाव से ग्रसित हो रहे हैं, ऐसे में राधा नाम उनके लिए संजीवनी के समान है। इसके सुमिरन से सत्य की समझ आती है, ईश्वरीय कृपा मिलती है और मानसित तनाव दूर होता है।
युधिष्ठिर मलिक, राष्ट्रीय संकीर्तनकार
आध्यात्मिक शक्ति का केंद्र हैं संकीर्तन संकीर्तन में जो अष्टछाप कवियों और सूफी संतों की वाणी का गायन होता है, उससे समाज में आध्यात्मिक शक्ति की चेतना प्रवाहित होती है। इसलिए ब्रज शैली के संकीर्तन आध्यात्मिक शक्ति का केंद्र हैं। इस दिव्य शक्ति से ही मानव का कल्याण होता है। सभी को हर हाल में प्रतिदिन कुछ पल संकीर्तन करके शक्ति अर्जित करनी चाहिए। चंद्रशेखर, राष्ट्रीय संकीर्तनकार।
आचार व्यवहार में लाएं भारतीय संस्कृति
प्राचीन काल से ही भारत ने विश्वभर में अपनी अलग पहचान संजोकर रखी है। यह विशिष्टता भारत की संस्कृति में है। हमारे सांस्कृतिक मूल्य सभी के कल्याण और उत्थान की प्रेरणा देते है। इसलिए हम सभी को चाहिए कि हमारे रोजमर्रा के आचार व्यवहार में भारतीय संस्कृति की झलक प्रस्तुत हो। इससे देश की प्रगति होगी।
अश्वनी ग्रोवर, राष्ट्रीय संकीर्तनकार