Move to Jagran APP

गुरु की प्रेरणा से पाई मंजिल

गुरु की प्रेरणा से पाई मंजिल

By JagranEdited By: Published: Sat, 04 Jul 2020 11:25 PM (IST)Updated: Sun, 05 Jul 2020 06:08 AM (IST)
गुरु की प्रेरणा से पाई मंजिल
गुरु की प्रेरणा से पाई मंजिल

जागरण संवाददाता, रामपुर: भारतीय संस्कृति में गुरु पूर्णिमा का विशेष महत्व है। यहां की माटी में गुरु को ईश्वरतुल्य माना गया है। गुरु ही अपने शिष्य का मार्गदर्शन करते हैं और उनके जीवन को ऊर्जामय बनाते हैं। प्राचीन काल में गुरु ही शिष्य को सांसारिक और आध्यात्मिक दोनों तरह का ज्ञान देते थे। लेकिन, आज वक्त बदल गया है। आजकल विद्यार्थियों को व्यावहारिक शिक्षा देने वाले शिक्षक को और लोगों को आध्यात्मिक ज्ञान देने वाले को गुरु कहा जाता है। शिक्षक कई हो सकते है लेकिन गुरु एक ही होते है। यहां शिक्षा एवं खेलजगत से जुड़े कुछ लोगों गुरुओं से जुड़े संस्मरण प्रस्तुत हैं। मेरी तो मां ही हैं सबसे बड़ी गुरू

loksabha election banner

बचपन की पढ़ाई से लेकर बड़े होने तक उनके जीवन में कई गुरुओं का प्रवेश हुआ। इस दौरान बहुतों ने बहुत कुछ सिखाया। बचपन में गाजियाबाद के सुशीला माडल स्कूल में अच्छे गुरू मिले। लेकिन, मां से बड़ा गुरू उन्हें कोई नजर नहीं आता। बताती हैं कि आज उनके कारण ही मैं पीसीएस अधिकारी बन सकी हूं। जब कक्षा 10 में थी, तब पिता का साया सिर से उठ गया था। मां ने हम चार बहनों को बहुत ही संघर्ष के साथ पाला। पिता सरकार नौकर थे तो मां को उनकी जगह मृतकाश्रित में नौकरी मिल गई। हम सब बहनें छोटी थीं। मैं उनमें सबसे छोटी थी। मां नौकरी करतीं, उसके साथ ही हम बच्चों की भी देखभाल करतीं। उन्होंने कभी भी हमारी पढ़ाई में बाधा नहीं आने दी। हमेशा उत्साह बढ़ाया। जब भी कभी मन उदास होता तो वह पास आकर बैठ जातीं। परेशानी का कारण जानने का प्रयास करतीं। बताने पर उसका सटीक समाधान भी निकालतीं। जब मैं आइएएस में असफलता मिलने पर हताश हो गई थी तो उन्होंने दोबारा प्रयास करने को कहा। परिणाम यह रहा कि अगली बार 2009 में मैं पीसीएस में सेलेक्ट हो गई। आज भी कदम-कदम पर उनकी बातें याद आती हैं।

ऐश्वर्या लक्ष्मी, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी अरुण सर की वजह से बन सकी क्रिकेट कोच गुरु की भूमिका सबके जीवन में सर्वोपरि होती है। मेरे जीवन में भी ऐसे ही एक गुरु का प्रवेश हुआ। जिन्होंने मेरा बहुत साथ दिया। आज उनके कारण ही मैं क्रिकेट कोच बन सकी हूं। जब पढ़ाई के दौरान मेरा रुझान इस खेल की ओर हुआ तो अरुण मोदीनगर में बीबीसीए एकेडमी में कोच के पद पर तैनात अरुण भारद्वाज से भेंट की। उन्होंने अपनी एकेडमी में हमें सिखाना शुरू किया। हम लोगों के प्रति वह इतना समर्पित थे कि सिखाते समय अपने अन्य सारे काम भूल जाया करते थे। हम मंहगी किट नहीं खरीद पाए तो उन्होंने बहुत साथ दिया। इसके अलावा सारे खिलाड़ी अपने-अपने कुछ न कुछ आइटम खरीद लाते और पूरी किट तैयार हो जाती। एकेडमी के पास अपना मैदान नहीं था। नगर पालिका के मैदान में हमें प्रशिक्षण दिया जाता था। वहां पर बाहर के लड़के दिन भर खेला करते थे। जिससे हम लोगों को परेशानी होती थी। ऐसे में उन्होंने हमारी व्यवस्था एक कोने में कर दी थी। वहां बड़े ही संयम के साथ सिखाते रहते थे। इसके साथ ही कभी भी फीस को लेकर कुछ नहीं कहा। जब भी जितनी भी फीस दी, उन्होंने रख ली। आज भी बच्चों को सिखाते समय उनके दिए टिप्स बहुत काम आती हैं।

प्रिय, क्रिकेट कोच

मेरे गुरु ने दूर किया अंग्रेजी का डर

मेरी अंग्रेजी कोई खास अच्छी नहीं रही। जब अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में मास्टर ऑफ फिजिकल एजुकेशन में प्रवेश लिया तब अंग्रेजी ने बहुत परेशान किया। सारे पेपर अंग्रेजी में जब सामने आते तो मेरा हौंसला टूट जाता। एक समय तो ऐसा आया कि मैंने सब कुछ छोड़ कर वहां से घर लौटने का मन बना लिया था। मैंने यह बात वहां के जमीर उल्लाह सर से शेयर की। क्योंकि वह मेरे सबसे अधिक निकट थे। मैं बहुत हतोत्साहित हो चुका था। मेरी हालत देख उन्होंने मेरी पीठ सहलाते हुए बड़ प्यार से मुझे समझाया। उनका कहना था कि रास्ते के पत्थरों को देख कर रास्ता बदल लेना सबसे बड़ी मूर्खता है। बस वह ही बात मेरे दिल में घर कर गई। उन्होंने कहा था कि मन से डर निकाल कर आगे बढ़ो। जितना समय खेल को देते हैं उतना अब से अंग्रेजी को दिया करो। जितनी मदद हो सकेगी, मैं करूंगा। उन्होंने ऐसा किया भी। उन्होंने उत्साह बढ़ाया तो मेरे अंदर सोई हुई हिम्मत जाग उठी। अब वह अपने विषय के साथ-साथ मुझे अलग से अंग्रेजी की क्लास भी देने लगे थे। बस वहीं से सब कछ बदलता चला गया। आज भी उनकी बहुत याद आती है।

नागेंद्र ठाकुर, हॉकी कोच


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.