पुलिस कर्मियों के बच्चों में छिपी प्रतिभा को उभार रहीं सीमा मोदी Rampur news
रंगमंच कलाकार सीमा मोदी पुलिस कर्मियों के बच्चों में छिपी प्रतिभाओं को उभारने में लगी हैं।
रामपुर : रंगमंच कलाकार सीमा मोदी पुलिस कर्मियों के बच्चों में छिपी प्रतिभाओं को उभारने में लगी हैं। अब तक हजारों बच्चों को सांस्कृतिक कार्यक्रमों से जोड़ चुकी हैं। उनके निर्देशन में सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश करने वाले कई युवा टीवी सीरियल और फिल्मों में भी अपनी प्रतिभा का शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं।
पुलिस कर्मियों को सांस्कृतिक कार्यक्रमों से जोड़ रहीं
सीमा मोदी मंगलवार को रामपुर महोत्सव में कार्यक्रम पेश करने के लिए अपनी टीम के साथ पहुंचीं। इस दौरान उन्होंने मीडिया से भी बात की। कहा कि वह बचपन से ही थियेटर से जुड़ी रही हैं। स्कूल, कालेज में भी सांस्कृतिक कार्यक्रमों में शामिल होती रही हैं। उनके पति पुलिस महानिदेशक हैं। पति के पुलिस अफसर होने के कारण उनके मन में पुलिस कर्मियों के बच्चों को सांस्कृतिक कार्यक्रमों से जोडऩे की इच्छा पैदा हुई। इसके बाद उन्होंने कई बार माडर्न पुलिस स्कूल में बच्चों के संग कार्यक्रम किए।
बच्चों के व्यक्तित्व को लेकर करती हैं काउंसलिंग
पुलिस र्किमयों के साथ ही मलिन बस्तियों में भी बच्चों के साथ कार्यशालाएं कर चुकी हैं, जिसमें बच्चों के व्यक्तित्व व कैरियर को लेकर काउंसङ्क्षलग भी करती हैं। उन्होंने बताया कि अब तक हजारों बच्चों को सांस्कृतिक कार्यक्रमों से जोड़ चुकी हैं। कई बच्चे तो टीवी सीरियल और फिल्मों तक पहुंच चुके हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने अपनी मेहनत से रंग मंच के क्षेत्र में काफी नाम कमाया है। सौ से ज्यादा प्ले में काम कर चुकी हैं।
अनेक स्थानों पर हुए महोत्सव में पेश किए कार्यक्रम
नौचंदी महोत्सव, देवा महोत्सव, मुरादाबाद, पीलीभीत, बरेली, कुरुक्षेत्र, धनबाद आदि अनेक स्थानों पर हुए महोत्सव में कार्यक्रम पेश किए। इसके साथ ही उन्हें कई अवार्ड भी मिले हैं। राज्यपाल पुरस्कार, नारी शक्ति अवार्ड, अटल रत्न सम्मान, आल इंडिया थियेटर फेस्ट में बेस्ट एक्टर्स का अवार्ड भी पा चुकी हैं। सोशल नेटवर्क में बच्चों, महिलाओं के लिए एनीमिया के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाती हैं, जो बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश में चल रहा है। साथ ही जागरूकता अभियान भी चलाया है। टीवी सीरियल, दूरदर्शन व ङ्क्षहदी फिल्मों में भी काम किया है। आ भी जा ओ पिया और मैडम जी में भी काम किया है।
कार्यक्रमों में प्रतिभाग से बच्चों के अंदर छिपी प्रतिभा आती है बाहर
उनका कहना है कि बच्चों को सांस्कृतिक कार्यक्रमों से जोडऩे पर उनकी अंदर की छुपी प्रतिभा बाहर आती है और उनकी झिझक भी दूर होती है। बच्चों का दिमाग इस ओर लगता है को वे गलत संगत में पडऩे से भी बचते हैं।