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Sanskarshala 2022 : इंटरनेट से दूरी आपको बनए रखेगी स्वस्थ, दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ समय बिताएं

Rampur Sanskarshala 2022 रामपुर के साईं सीनियर सेकेंड्री स्कूल के अर्जित सक्सेना ने बताया कि इंटरनेट मीडिया की दुनिया वास्तविक नहीं है। इस आभासी दुनिया की चमक-दमक में आजकल का युवा खोता जा रहा है। वह अपनों को छोड़कर गैरों से लाइक और कमेंट में खुशी ढूंढ रहा है।

By Jagran NewsEdited By: Samanvay PandeyPublished: Thu, 06 Oct 2022 05:53 PM (IST)Updated: Thu, 06 Oct 2022 05:53 PM (IST)
Sanskarshala 2022 : इंटरनेट से दूरी आपको बनए रखेगी स्वस्थ, दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ समय बिताएं
Rampur Sanskarshala 2022 : रामपुर के साईं सीनियर सेकेंड्री स्कूल के अर्जित सक्सेना।

Rampur Sanskarshala 2022 : रामपुर के साईं सीनियर सेकेंड्री स्कूल के अर्जित सक्सेना ने बताया कि इंटरनेट मीडिया की दुनिया वास्तविक नहीं है। इस आभासी दुनिया की चमक-दमक में आजकल का युवा खोता जा रहा है। वह अपनों को छोड़कर गैरों से लाइक और कमेंट में खुशी ढूंढ रहा है।

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आभासी दुनिया से दूरी ही सही

यदि आप या आपके किसी करीबी की सोच भी यही है तो सावधान रहने की जरूरत है। जल्द से जल्द इस आभासी दुनिया से दूरी बनाएं और दोस्तों-रिश्तेदारों के साथ समय बिताएं। सोशल मीडिया दोधारी तलवार की तरह है। एक तरफ जहां यह अपनों से जुड़े रहने का मौका देकर अकेलेपन और बेचैनी का अहसास दूर रखता है।

वहीं दूसरी ओर हमें वास्तविक दुनिया से दूर कर देता है। शोधकर्ताओं ने इस आभासी दुनिया से दूरी बनाने के कुछ ऐसे उपाय सुझाए हैं, जो मानसिक सेहत पर इंटरनेट मीडिया के इस्तेमाल का सिर्फ सकारात्मक प्रभाव सुनिश्चित करने में कारगर साबित होंगे। इनमें फेसबुक, वाट्सएप से ब्रेक लेना और दिमाग को अन्य कार्यों में उलझाना प्रमुख है।

इंटरनेट मीडिया भावनात्मक जुड़ाव नहीं देता

इंटरनेट मीडिया भले ही दोस्तों-रिश्तेदारों से जुड़ने का मौका देता है, लेकिन दोनों पक्षों में आमने-सामने का संवाद नहीं होता, जो भावनात्मक जुड़ाव के लिए जरूरी है। इंटरनेट मीडिया का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल करने से होने वाली दिक्कत को पहचानने के लिए कुछ लक्षण पर गौर करना जरूरी है।

असंतोष की भावना पनप रही

जैसे दोस्तों-रिश्तेदारों के पोस्ट देखते समय खुद के रंग-रूप, कद-काठी और खुशियों,उपलब्धियों को लेकर असंतोष की भावना पनप रही है तो यह खतरे के संकेत हैं। अगर इंटरनेट मीडिया के इस्तेमाल के बाद आपके मन में नकारात्मक भाव आते हैं तो आपको ब्रेक लेने की जरूरत है।

डिप्रेशन का शिकार होने का खतरा

कई बार लोग दिन-रात बेवजह अपनी न्यूजफीड खंगालते रहते हैं। उन्हें देश-दुनिया की हलचल जानने के साथ ही दोस्तों-रिश्तेदारों के जीवन में घट रही घटनाओं से रूबरू रहने की इच्छा होती है। यह प्रवृत्ति शारीरिक सक्रियता में कमी का सबब बनती है। दूसरों के जीवनस्तर और खुशहाली से तुलना के चलते आत्मविश्वास में कमी मुमकिन भी इंटरनेट यूजर के तनाव, बेचैनी व डिप्रेशन का शिकार होने का खतरा भी बढ़ जाता है।

डायबिटीज के रोगी होने का खतरा

विभिन्न अध्ययनों में फेसबुक, वाट्सएप, इंस्टाग्राम जैसी साइट्स से घंटों चिपके रहने वाले लोगों में शारीरिक सक्रियता की कमी के चलते डायबिटीज का जोखिम ज्यादा रहता है। फेसबुक, वाट्सएप या इंस्टाग्राम अकाउंट पर नजर दौड़ाए बिना नींद नहीं आना भी इंटरनेट मीडिया से परहेज करने की जरूरत दर्शाता है।

ज्यादा स्क्रीन पर रहने से लोग हो रहे अनिंद्रा के शिकार

विशेषज्ञ भी मानते हैं कि स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी के संपर्क में रहने से स्लीप हार्मोन मेलाटोनिन का उत्पादन बाधित होने लगता है, जिससे अनिंद्रा की शिकायत होने लगती है। कई बार लोग इंटरनेट मीडिया से एक पल की भी दूरी बर्दाश्त नहीं कर पाते। उन्हें हर पल फोन की नोटिफिकेशन रिंग बजने का भ्रम होता रहता है।

मेडिकली जानें कैसे लगती है इंटरनेट मीडिया की लत

अगर आप भी इस स्थिति से गुजरते हैं तो यह आपके लिए खतरे की घंटी है। जल्द से जल्द इंटरनेट साइट से दूरी बना लें। ऐसे लक्षणों को पहचानने के बाद जरूरी है कि कुछ दिन के लिए इंटरनेट साइट्स से दूरी बना लें। ऐसा नहीं कर सकते तो जरूरी उपाय अपना लें। सबसे पहले अपने मोबाइल का नोटिफिकेशन अलर्ट बंदकर दें।

चिकित्सकों का मानना है कि जब किसी पोस्ट पर लाइक या कमेंट मिलने से जुड़े नोटिफिकेशन हासिल होते हैं तो यूजर के शरीर में डोपामाइन का स्राव बढ़ जाता है। यह हार्मोन फील गुड का अहसास कराता है। यह प्रक्रिया बार-बार होने से इंटरनेट मीडिया की लत लगने लगती है।

कैसे लत से बच सकते हैं

इंटरनेट के इस्तेमाल की लत से बचने के लिए जरूरी है कि आप इसके इस्तेमाल का समय निर्धारित करें। ऐसे पोस्ट के बीच अंतर पहचाने जो फील गुड के अहसास और नकारात्मक भावनाओं को जन्म देते हैं। नकारात्मक पोस्ट पर नजर पड़ते ही उसे तुरंत आगे बढ़ा देने में भलाई है। रात में फोन को बेड से दूर रखकर सोएं, ताकि इंटरनेट मीडिया के इस्तेमाल की तलब जगने पर यह फौरन हासिल न हो जाए। हो सके तो फोन को साइलेंट मोड पर डाल दें।

इससे नोटिफिकेशन आने का अलर्ट नहीं मिलेगा और उसे जांचने की इच्छा भी नहीं पनपेगी। इसके अलावा सोशल फीवर, आफटाइम मूमेंट, स्टे फोकस्ड, फ्रीडम आदि एप का इस्तेमाल करके भी फेसबुक और वाट्सएप जैसी साइट्स के इस्तेमाल की अवधि पर नजर रखी जा सकती है।

ये एप ज्यादा प्रयोग करने पर इनसे दूरी बनाने का अलर्ट भी जारी करते हैं। फेसबुक, इंस्टाग्राम अकाउंट खंगालने की तलब जगे तो फोन उठाने के बजाय दिल को भाने वाली किसी गतिविधि में मन उलझाने की कोशिश करें। परिवार के साथ घूमने-फिरने के लिए बाहर निकल जाएं। पसंदीदा पकवान पकाएं या फिर पार्क में चहलकदमी करें।


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