CAA Protest : सियासत के पत्थरों से घायल हुआ गंगा-जमुनी तहजीब का शहर Rampur News
नगर के बाहर सिविल लाइंस ज्वाला नगर आदि में बाजार तो खुले लेकिन भीड़भाड़ रोज की तरह नहीं थी। लोग अब भी घर से बाहर निकलने में डरते रहे।
रामपुर (क्रान्ति शेखर सारंग)। शनिवार को हुए बवाल के दूसरे दिन भी नगर के अंदरूनी हिस्से में सन्नाटा छाया रहा। रात भर गलियों में जवानों के बूटों की आवाजें गूंजती रहीं। सुबह में जब सूरज निकला तो सब कुछ रोज के जैसा नहीं था। सियासत के पत्थरों की चोट से गंगा जमुनी तहजीब का शहर बुरी तरह घायल हो चुका था। सड़कों पर हथियारों से लैस जवान अब भी चहलकदमी कर रहे थे। दिन काफी चढ़ आया था, लेकिन रोज की तरह बाजार नहीं खुले थे। घरों की खिड़कियों से झांकते बच्चों की आंखों में दहशत के साथ ही जैसे बहुत सारे अनबूझे सवाल भी उतरा रहे थे। उधर बवाल की भेंट चढ़ चुके फैज के घर में अब भी मातम पसरा हुआ था। शनिवार की रात में ही उसका दफन हो गया। लेकिन, परिजनों का अब भी रो-रोकर बुरा हाल है।
सियासी चाल पड़ गई भारी
नागरिकता कानून को लेकर चली गई सियासी चाल प्रदेश के लिए बहुत भारी पड़ गई। इसकी लपटों में बहुत से जनपदों में बहुत कुछ स्वाहा हो गया। इन लपटों की झपट से अपना रामपुर भी बच न सका। वह रामपुर, जिसके अमन चैन की मिसालें देश भर में दी जाती रही हैं। शनिवार को यहां पर जो तांडव हुआ, उसको देख नगरवसियों की रूह कांप उठी। इसकी भेंट एक युवा भी चढ़ गया, जिसका दो माह बाद निकाह भी होना था। यह वह रामपुर है गंगा जमुनी तहजीब के साथ ही कला और साहित्य के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। विश्व प्रसिद्ध रजा लाइब्रेरी अनूठे साहित्य को अपने आंचल में समाए है। यहां की धरती ने कई कलाकारों को जन्म देकर फर्श से अर्श तक पहुंचाया। मिर्जा गालिब जैसी शख्सियत भी इस सरजमीं से काफी समय तक जुड़ी रही।
शनिवार को पत्थरों की बारिश
कला और साहित्य के रंग में रंगी यहां की जमीन पर जब शनिवार को ओछी राजनीति के रंगों में सराबोर पत्थरों की बरसात हुई तब जैसे रामपुर की यह सरजमीं जार-जार रो रही थी। कानून को लेकर जनता के बीच गलत संदेश पहुंचाने वालों के मंसूबे कामयाब हो चुके थे। रविवार को दिन निकला तो वैसे तो सबकुछ शांत था, लेकिन तनाव की स्थिति बनी हुई थी। शाहबाद गेट, नगर पालिका रोड, हाथीखाना चौराहा, कोतवाली क्षेत्र, बाजार नसरुल्लाह खां, चाकू बाजार, शादाब मार्केट, जामा मस्जिद व सर्राफा मार्केट पूरी तरह बंद रहा। हाथों में शस्त्र लिए जवान मुस्तैदी के साथ दिन भर चहलकदमी करते रहे। उधर प्रशासन की ओर से दिन भर नगर में रिक्शा पर लाउडस्पीकर के माध्यम से शांति बनाए रखने की अपील की जाती रही।