रामपुर, जागरण संवाददाता: कानूनी शिकंजे में फंसे समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव आजम खां अब सियासी जंग भी हार गए। उनके गढ़ में ही भाजपा का परचम लहरा गया। जहां एक ओर इस उपचुनाव में भाजपा को जीत मिली है तो वहीं, आजम के साथ ही उनके विधायक बेटे अब्दुल्ला के खिलाफ तीन मुकदमे भी दर्ज हो गए है।
चार दशक से आजम खां का गढ़ बने रामपुर में भाजपा की जीत की तीन मुख्य वजहें सामने आई हैं। पढ़िए पूरी रिपोर्ट-
रामपुर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव आजम खां का मजबूत गढ़ रहा है। पिछले 42 साल से रामपुर की राजनीति में उनका सिक्का चल रहा था। 1980 में पहली बार विधायक बने और 10 बार जीते। इसी साल हुए विधानसभा चुनाव में तो सीतापुर जेल में बंद रहते हुए रिकार्ड वोटों से जीते। एक बार उनकी पत्नी डा. तजीन फात्मा भी शहर विधायक बनीं।
पहली वजह- आजम का परिवार का प्रत्याशी न होना
इस उपचुनाव में न तो आजम खां प्रत्याशी थे और न ही उनके परिवार का कोई सदस्य। आजम खां के करीबी आसिम राजा सपा प्रत्याशी बने, लेकिन रामपुर की जनता ने उनका साथ नहीं दिया। उन्हें मात्र 47296 वोट ही मिल सके, जबकि भाजपा प्रत्याशी आकाश सक्सेना को 81432 वोट मिले। इसी साल हुए विधानसभा चुनाव में आजम खां को 1.31 लाख वोट मिले थे, लेकिन आसिम राजा उनसे आधे वोट भी नहीं पा सके। दरअसल, उन्हें प्रत्याशी बनाए जाने का शुरू से ही विरोध हो रहा था।
दूसरी वजह- अपने ही छोड़ गए साथ
जिला पंचायत के पूर्व अध्यक्ष मशहूर अहमद मुन्ना ने तो पार्टी में रहते हुए सपा प्रत्याशी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। आजम खां के करीबी लोग भी उनका साथ छोड़ गए। उनके मीडिया प्रभारी रहे फसाहत अली खां शानू भी भाजपा में चले गए। शानू के बूथ पर पहली बार भाजपा जीत गई।
साये की तरह आजम खां के साथ रहने वाले भूमि विकास बैंक चमरौआ के अध्यक्ष रहे शाहबेज खां ने भी उनका दामन छोड़ दिया। इनके अलावा आजम खां के और भी कई करीबी भाजपा में शामिल हो गए। उनके मोहल्ले के ही सभासद तनवीर गुड्डू भी भाजपा में चले गए।
तीसरी वजह- भाजपा के करीब आए मुसलमान
उपचुनाव के नतीजों से यह बात साफ हो गई है कि अब मुसलमान भाजपा के करीब आ रहे हैं। इसी साल हुए विधानसभा चुनाव में तमाम मुसलमान सपा के साथ रहे, लेकिन उपचुनाव में ऐसा नहीं रहा। वे भाजपा के साथ भी खुलकर नजर आए। भाजपा नेता भी उनके घरों तक पहुंचे। संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना मुसलमानों के घर-घर जाकर प्रचार करते रहे। प्रत्याशी आकाश सक्सेना ने भी मुसलमानों को गले लगाया।
भाजपा ने मजबूत की स्थिति
उपचुनाव में भाजपा के स्टार प्रचारक रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने गांव-गांव खिचड़ी पंचायतें आयोजित कर सभी वर्गों में भाजपा की स्थिति को मजबूत करने का काम किया। राज्यमंत्री दानिश आजाद अंसारी और भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष कुंवर बासित अली भी रामपुर में डेरा डाले रहे। पसमांदा मुसलमानों का सम्मेलन भी कराया। इस सबके चलते भाजपा जीत गई और समाजवादी पार्टी को आजम के गढ़ में हार का मुंह देखना पड़ा।
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हालांकि समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी आसिम राजा पुलिस पर मुसलमानों के वोट न डालने देने और बूथ कैप्चरिंग करने का आरोप लगा रहे हैं, जबकि भाजपा प्रत्याशी आकाश सक्सेना सभी वर्गों का समर्थन मिलने और चुनाव निष्पक्ष होने की बात कह रहे हैं।
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रामपुर शहर से अब तक चुने गए विधायक
विधायक चुनाव वर्ष
फजले हक खां 1952
असलम खां 1957
किश्वर आरा 1962
अख्तर अली खां 1967
मुर्तजा अली खां 1969
मंजूर अली खां 1974
मंजूर अली खां 1977
आजम खां 1980
आजम खां 1985
आजम खां 1989
आजम खां 1991
आजम खां 1993
अफरोज खां 1996
आजम खां 2002
आजम खां 2007
आजम खां 2012
आजम खां 2017
तजीन फात्मा 2019
आजम खां 2022
आकाश सक्सेना- उपचुनाव 2022।