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रामपुर में एक मंच पर आए आजम विरोधी

मुस्लेमीन रामपुर लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा और रालोद ने प्रदेशभर में गठबंधन कर रखा है लेकिन रामपुर में इस गठबंधन के खिलाफ ही नया गठबंधन बन गया है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 16 Apr 2019 11:34 PM (IST)Updated: Wed, 17 Apr 2019 06:17 AM (IST)
रामपुर में एक मंच पर आए आजम विरोधी
रामपुर में एक मंच पर आए आजम विरोधी

रामपुर: लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा और रालोद ने प्रदेशभर में गठबंधन कर रखा है, लेकिन रामपुर में आजम के विरोधी एक अलग मंच पर आ गए हैं। गठबंधन में शामिल बसपा और रालोद के कई नेता उनका साथ छोड़कर कांग्रेस के समर्थन में उतर आए हैं। इनमें तीन नेता तो ऐसे हैं, जो विधानसभा चुनाव में बसपा और रालोद के प्रत्याशी भी रहे हैं, जबकि दो नेता बसपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं। अब ये सभी कांग्रेस के मंच पर नजर आ रहे हैं।

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समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव आजम खां रामपुर शहर से नौ बार से विधायक चुने जा चुके हैं और इस समय प्रदेश के सबसे वरिष्ठ विधायक हैं। राज्यसभा सदस्य भी रह चुके हैं। रामपुर में उनके विरोधी भी कम नहीं हैं। अब सभी विरोधी एकजुट होकर उनकी घेराबंदी करने में लगे हैं। वे आजम को रोकने के लिए अपनी पार्टियां तक छोड़ रहे हैं। पूर्व मंत्री नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां विधानसभा चुनाव बसपा के टिकट पर आजम के बेटे अब्दुल्ला के मुकाबले लड़े थे, जो अब बसपा छोड़ कांग्रेस के साथ आ गए हैं। उनके बेटे युवा नेता हमजा मियां भी कांग्रेस में आ गए हैं। नवेद मियां लगातार पांच बार विधायक चुने गए हैं।

वैसे नवाब खानदान और आजम में पहले से ही 36 का आंकड़ा है। दोनों एक-दूसरे के सियासी दुश्मन हैं। नवाब खानदान इस चुनाव में आजम से अपनी हार का बदला लेना चाहता है। इसी तरह आजम के मुकाबले बसपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़े डा. तनवीर अहमद भी कांग्रेस में आ गए हैं। वह भी अपनी हार का बदला लेना चाहते हैं। आजम के खिलाफ कई बार चुनाव लड़ चुके पूर्व विधायक अफरोज खां मंगलवार को कांग्रेस में आ गए। उनके साथ उनकी पत्नी पूर्व पालिकाध्यक्ष रेशमा बी भी कांग्रेस में शामिल हो गईं। अफरोज खां बसपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं।

जिला पंचायत के पूर्व अध्यक्ष हाफिज अब्दुल सलाम भी आजम के विरोधी माने जात हैं। आजकल कांग्रेस के मंच पर नजर आ रहे हैं। सलाम और उनकी पत्नी जाहिदा सलाम दस साल चेयरमैन रहे हैं। वह बसपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं। स्वार के पूर्व चेयरमैन शफीक अंसारी, उनकी पत्नी पालिकाध्यक्ष रेशमा परवीन और उनकी मामी ब्लाक प्रमुख कुबरा बेगम भी कांग्रेस के समर्थन में उतर आए हैं। रामपुर शहर के पूर्व चेयरमैन सरदार जावेद खां और शाहबाद के पूर्व चेयरमैन पप्पू खां भी कांग्रेस के मंच पर नजर आ रहे हैं।

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पहले बहुत करीबी थे और अब विरोधी

राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश महासचिव रहे आसिम खां ने भी रालोद से नाता तोड़ लिया है। उनके साथ ही है रालोद के जिलाध्यक्ष मिर्जा आलम बेग ने भी पार्टी को अलविदा कह दिया है। दरअसल आसिम का आजम से 36 का आंकड़ा है। आसिम भी शहर से आजम के मुकाबले विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं। किसी जमाने में आसिम भी आजम के बहुत करीबी हुआ करते थे। अब उनकी सियासी अदावत इतनी बढ़ गई है कि वह आजम को चुनाव लड़ाने के लिए तैयार नहीं हैं।


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