अफसरों का कोष बेमिसाल, जलाएगा शिक्षा की मशाल
मुस्लेमीन रामपुर गरीब एवं जरूरतमंद बच्चों की मदद के लिए जिलाधिकारी आन्जनेय कुमार सिंह की पहल पर बाल कोष बना है।
मुस्लेमीन, रामपुर : गरीब एवं जरूरतमंद बच्चों की मदद के लिए जिलाधिकारी आन्जनेय कुमार सिंह की पहल पर बाल कोष बना है। इसमें अफसरों के सहयोग से दस लाख रुपये जमा भी हो गए हैं। इसमें एक करोड़ से ज्यादा जमा करने का इरादा है। कोष से ऐसे बच्चों की मदद की जाएगी जो मजबूर और लाचार हैं। इसमें सहभागिता करने वाले प्रशासनिक अफसरों को प्रमाण पत्र मिलेगा।
कोरोना काल में अफसरों ने अपनी जिम्मेदारी निभाने के साथ ही गरीब और लाचार बच्चों की मदद करने के लिए बाल कोष का गठन किया। प्रशासनिक अधिकारी इस कोष में बढ़चढ़कर आíथक सहयोग कर रहे हैं। अपने परिचितों से भी इसमें रुपये जमा करवा रहे हैं। जिलाधिकारी ने बताया कि इस कोष से उन गरीब बच्चों की मदद की जाएगी, जिनके मा बाप कमाने की स्थिति में नहीं हैं। बच्चे खुद काम करने को मजबूर हैं।
ऐसे मिली प्रेरणा
अगस्त माह में जिलाधिकारी को निरीक्षण के दौरान शाहबाद गेट पर तीन बच्चे सड़क पर खिलौने बेचते मिले। उन्होंने इनसे बात की तो पता चला कि किसी बच्चे के पिता नहीं है तो किसी के पिता बीमार हैं। परिवार में कोई कमाने लायक नहीं है। स्वार क्षेत्र में खनन में काम करता बच्चा मिला। उससे पूछा तो बताया कि उसके पिता बहुत बीमार हैं। बच्चों की परेशानी जानने के बाद उनकी मदद करने का फैसला लिया। इसके बाद अफसरों के साथ बैठक की।
बैंक आफ बड़ौदा विकास भवन में खुलवाया खाता
बाल कोष के लिए डीएम ने जिला स्तरीय समिति बनाई, जिसमें डीएम अध्यक्ष और जिला कार्यक्रम अधिकारी सचिव हैं। अपर जिलाधिकारी और सभी उप जिलाधिकारी सदस्य हैं। समिति का डिस्ट्रिक्ट चाइल्ड केयर एंड प्रोटेक्शन फंड के नाम से बैंक आफ बड़ौदा विकास भवन में खाता खोला गया है। इसमें तीस से ज्यादा अफसर पैसा जमा कर चुके हैं। खुद जिलाधिकारी ने दस हजार जमा करके शुरुआत की। उनकी पत्नी गरिमा सिंह ने भी उतनी ही रकम जमा की है।
सर्वे कराकर जरूरतमंद बच्चों की हो रही खोज
जिलाधिकारी का कहना है कि 30 से ज्यादा अधिकारी सहयोग कर चुके हैं। 10 लाख जमा हो चुके हैं। एक करोड़ जमा कराने का इरादा है। इस फंड में जो धनराशि जमा करेगा उसे थैंक्यू लेटर दिया जाएगा। नगर पालिकाओं और उपजिलाधिकारियों से सर्वे कराकर ऐसे बच्चों का पता लगाने को कहा गया है। उनका कहना है कि बच्चों की पढ़ाई के साथ ही अगर उनके माता-पिता बीमार हैं तो उनका इलाज कराने की व्यवस्था भी समिति करेगी। उन्हें रोजगार के लिए भी पैसा देने का विचार है। जिन बच्चों के मा-बाप नहीं हैं, उनका किसी स्वयंसेवी संस्था के जरिये सहयोग किया जाएगा।