ईश्वरीय विधान से कोई भी वस्तु व्यर्थ नहीं : विमलेश
संवाद सूत्र, मिलक : रठौंडा गांव में चल रही संगीतमय श्रीराम कथा के दूसरे दिन कथावाचक पंडित
संवाद सूत्र, मिलक : रठौंडा गांव में चल रही संगीतमय श्रीराम कथा के दूसरे दिन कथावाचक पंडित श्री विमलेश त्रिवेदी जी महाराज ने कथा सुनाते हुए कहा कि प्रत्येक जीव के योगक्षेम का सकल निर्वहन करने में तत्पर परमात्मा का विधान सर्वथा-सर्वदा निर्दोष एवं कल्याणकारी है। यह अनुभव स्थिर होते ही अन्त:करण शान्त, सहज और आनन्द-आपूरित हो जाएगा।
मंगलवार को रठौंडा मेला परिसर में स्थित जिला पंचायत परिसर के पंडाल में कथा सुनने सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। कथा वाचन करते हुए उन्होंने कहा कि शरणागति का प्रथम लक्षण है।ईश्वरीय विधान की स्वकृति। जब कोई जीव शरणागत होता है तो धीरे धीरे उसके अहम की विस्मृति आरम्भ होती है। फिर यह प्रश्न, यह क्यों हुआ, यह कैसे हुआ, इसको ऐसा नहीं वैसा होना चाहिए था, यह विषय जीवन से धीरे-धीरे लुप्त होने लगते हैं। जब जीव शरणागति के मार्ग पर होता है तब स्वामी का सुख ही उसका जीवन होने लगता है। प्रश्नों की उत्पत्ति तब तक है जब तक स्वयं की इच्छाएं शेष हैं। प्रभु की इच्छा में स्वयं को समर्पित कर दिया गया तब ईश्वरीय विधान की स्वीकृति हो गई। ईश्वरीय विधान से कोई भी वस्तु व्यर्थ नहीं है। व्यर्थता तभी तक ²ष्टिगोचर होती है जब तक उस वस्तु का अस्तित्व ईश्वर की इच्छा को नहीं समझता। हम अभी इतने समझदार नहीं हुए कि संसार की प्रत्येक वस्तु के अस्तित्व को समझ सकें। इसलिए इस बात को मूल में रख लिया जाए कि इस जगत में प्रत्येक वस्तु का अस्तित्व ईश्वरीय विधान के अनुसार है। जब तक हर वस्तु, हर कार्य, हर व्यक्ति के लिए हम कारण की खोज में हैं। तब तक हम स्वयं को जी रहे होते हैं। जितना हम अपने अहंकार की पुष्टि करते हैं उतना ही हम भीतरी निर्मलता से दूर खड़े हैं। अत: एक आश्रय से जुड़ जाना ही वास्तविक सुख है। इससे सभी प्रकार के कलह, क्लेश, ¨चताएं आदि सब लुप्त होने लगती हैं । इस अवसर पर कथा पंडाल में पूर्व प्रधान टेकचंद गंगवार, मुकेश शर्मा, सोनू शर्मा, अनिल गंगवार, विश्वनाथ शर्मा, शिवओम शर्मा, प्रदीप शर्मा, हेमलता शर्मा, रजनी शर्मा, किशन लाता शर्मा, वीणा शर्मा, माया देवी आदि मौजूद रहे।