रामपुर का शहर नामा : खामोश हैं रामपुरी खां साहब
रामपुर का शहर नामा खामोश हैं रामपुरी खां साहब
रामपुर, जासं: रामपुरी खां साहब की यूनिवर्सिटी पर आखिरकार बुलडोजर चल ही गया। इसे बचाने के लिए उन्होंने वकीलों के जरिए खूब पैरवी करवाई लेकिन, चकरोड की जमीन पर बनी दीवारें टूटने से नहीं बच पाईं। हालांकि इन दीवारों पर पहले भी बुलडोजर चला था लेकिन, उस वक्त खां साहब और उनके समर्थकों ने डटकर विरोध भी किया था। कितु इस बार न तो खां साहब कहीं विरोध करते नजर आए और न ही उनके किसी समर्थक ने विरोध करने की हिम्मत जुटाई। इतना सब होने के बावजूद खां साहब ने इस मामले में कोई बयान तक जारी करने की जहमत नहीं उठाई। दरअसल, खां साहब शहर में ही नजर नहीं आ रहे हैं। पुलिस को भी उनकी तलाश है। अदालत उन्हें बार-बार बुला रही है। वह नहीं कोर्ट भी जा रहे हैं। उनके खिलाफ कई मामलों में वारंट भी जारी हो चुके हैं। उनके घर मुनादी भी कराई जा चुकी है।
हाथ धोकर पीछे पड़े
दुनिया भर में मशहूर लाइब्रेरी के एक बड़े अधिकारी का कार्यकाल पूरा हो गया। वह यहां से जा चुके हैं लेकिन, जाने के बाद भी परेशानी उनका पीछा नहीं छोड़ रही है। शिकायत करने वाले हाथ धोकर उनके पीछे पड़े हैं। पीएमओ तक उनकी शिकायत की जा चुकी है। दरअसल, साहब जाते-जाते कई लोगों को नौकरी दे गए हैं। इस नौकरी को पाने वालों की लंबी लाइन लगी थी, पर साहब ने चंद लोगों को ही बुलाया और नौकरी दे दी, जबकि कई लोग ऐसे थे, जिन्हें उम्मीद थी कि वे इस के योग्य हैं। उन लोगों को जब इंटरव्यू के लिए कॉल लेटर ही नहीं मिला तो नौकरी कहां से मिलती। अब वे इसी बात से खफा हैं और तमाम बड़े बड़े अफसरों से लेकर पीएमओ तक शिकायत कर रहे हैं। पीएमओ ने जांच के आदेश भी कर दिए हैं। इससे साहब के चहेते कर्मचारियों में भी खलबली मची है।
चर्चा में फूल वाले नेताजी
फूल वाली पार्टी में जिले की नई यूनिट बनी है। इसमें कई योग्य नेताओं को पद मिले हैं लेकिन, एक ऐसे नेता जी भी पद पा गए हैं, जिन्हें कई साल पहले वर्दी वालों ने रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया था। अदालत ने भी सजा सुना दी थी। इन नेताजी के बारे में पिछले दिनों हाईकमान से शिकायत भी हुई थी। दरअसल, चार माह पहले नवाबों के शहर में बाई इलेक्शन हुए थे। इलेक्शन लड़ने वाले प्रत्याशी ने शिकायत दर्ज कराई थी कि कुछ लोगों ने चुनाव में गद्दारी की है। इनमें उन नेताजी का भी नाम शामिल है, जिन्हें वर्दी वालों ने गिरफ्तार किया था। वह शिकायत के बाद भी कार्रवाई के बजाय पद पा गए हैं। अब उनकी शिकायत करने वाले प्रत्याशी और उनके चेले परेशान हैं। कह रहे हैं कि गद्दारों को भी सजा के बजाय इनाम मिल गया। अब तो ऐसा नहीं होना चाहिए था।
सपने दिखा रहे हैं चेले
शाही खानदान में आजकल बंटवारे की प्रक्रिया चल रही है। इसे लेकर शाही खानदान के सदस्यों के साथ ही उनके चेले भी सक्रिय हो गए हैं। दरअसल, खानदान के ज्यादातर सदस्य बाहर रहते हैं। अब इनके भी लोकल चेले बन गए हैं, जो इनके रामपुर आगमन पर इनके आसपास मंडराते रहते हैं। तरह-तरह के राय मशविरे भी दे रहे हैं। संपत्ति के साथ-साथ राजनीति में आने की भी सलाह दे रहे हैं, जो सालों से यहां नहीं रह रहे हैं। उन्हें एमएलए एमपी बनने के सपने दिखा रहे हैं। अब ये लोग चेलों के सुझाव मानते हैं या नहीं यह तो वक्त ही बताएगा। इसके पीछे चेलों की चाल है। शाही खानदान की अरबों रुपये की दौलत है, जिस का बंटवारा इसी साल में होना है। इसके बाद कुछ सदस्य संपत्ति को बेच भी सकते हैं, ऐसे में चेलों की भी बल्ले-बल्ले होती रहेगी। क्योंकि खरीदार चेलों के जरिए आएंगे।