नवरात्र के पांचवें दिन भक्तों ने किया स्कंदमाता का पूजन
नवरात्र के पांचवें दिन भक्तों ने किया स्कंदमाता का पूजन
जागरण संवाददाता, रामपुर : नवरात्र के पांचवें दिन मां दुर्गा के पांचवे स्वरूप स्कंदमाता का विधि-विधान के साथ पूजन किया गया। भक्तों ने बृहस्पतिवार को उपवास रखा और मंदिरों में जाकर विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की, जिससे पूरे दिन मंदिरों में भीड़ रही। भक्तों ने माता के जमकर जयकारे लगाए। इस दौरान माता के जयकारों और घंटों की ध्वनि से मंदिर परिसर गूंजते रहे। मंदिरों में यज्ञ हुए, जिसमें विश्व कल्याण की भावना के साथ लोगों ने आहुतियां दीं। दुर्गा चालीसा और दुर्गा सप्तशती का पाठ हुआ।
महिलाओं ने दोपहर में भजन-कीर्तन कर माता का गुणगान किया। सुबह-शाम मंदिरों में आरती हुई, जिसमें भक्तों की भीड़ रही।
मिस्टन गंज अग्रवाल धर्मशाला स्थित मंदिर में दुर्गा देवी ज्वाला जी शक्ति दरबार के महंत पंडित विश्वनाथ प्रसाद मिश्रा ने कहा नवरात्र के पांचवें दिन दुर्गा माता के पांचवें स्वरूप स्कंदमाता की पूजा-अर्चना की जाती है। कहा कि यह भगवान स्कंद की माता हैं, जिसके कारण इन्हें स्कंदमाता के नाम से भी जाना जाता है। इनको सूर्य मंडल की अधिष्ठात्री देवी कहते हैं। मंदिर में सुबह हवन, दुर्गा चालीसा और सप्तशती का पाठ हुआ। दोपहर में महिलाओं ने छंद गाकर माता का गुणगान किया। शाम को आरती के बाद सभी को प्रसाद वितरित किया गया।
पुराना गंज स्थित माई का थान मंदिर में भक्तों ने माता के दर्शन किए, उनके समक्ष माथा टेका और सुख-शांति की कामना की। माता का नारियल, लौंग, धूप, दीप, फल, फूल आदि से विधि-विधान के साथ पूजन किया। मंदिर में यज्ञ और सप्तशती का पाठ किया गया। दोपहर में महिलाओं ने भजन-कीर्तन कर माता का गुणगान किया।
इसके अलावा रामनाथ कालोनी स्थित श्री आदि शक्ति मां भवानी माता का मंदिर, पुराना गंज स्थित हरिहर मंदिर, मिस्टन गंज, मुहल्ला छिपियान स्थित दुर्गा मंदिर, श्री त्रिपुरेश्वरी शक्ति पीठ, कृष्णा विहार स्थित कृष्णा मंदिर, नर्मदेश्वर महादेव मंदिर, श्री हरि मंदिर, आवास विकास के मंदिर, ज्वालानगर में वैद्य जी की धर्मशाला स्थित श्याम मंदिर, गर्वमेंट प्रेस के सामने शिव मंदिर, जिला पंचायत रोड स्थित शिव मंदिर, पीडब्ल्यूडी कालोनी आदि के मंदिरों में भी पूजा-अर्चना को श्रद्धालुओं की भीड़ रही। महिलाओं ने घरों में ढोलक-बाजे के साथ छंद गाकर माता का गुणगान किया। नवरात्र के पांचवें दिन लोगों ने उपवास रखा और स्कंदमाता का विधि-विधान के साथ पूजन किया।