मानसिक रोगियों को भी मिल सकेगा जिला अस्पताल में उपचार
राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत बनेगा मन कक्ष मनो चिकित्सक की होगी तैनाती
जागरण संवाददाता, रामपुर : अभी तक मानसिक रोगियों के उपचार की जिले में कोई सुविधा नहीं है। इसके लिए मुरादाबाद या बरेली जाना पड़ता है, लेकिन जल्द ही जिला अस्पताल में ही मानसिक रोगियों के उपचार की सुविधा उपलब्ध होगी। इसके लिए यहां अलग से मन कक्ष बनेगा और वहां मनो चिकित्सक की नियुक्ति की जाएगी। राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के अन्तर्गत सरकार सभी जिला अस्पतालों में मानसिक रोगों के उपचार की सुविधा शुरू करने जा रही है। जनपद में भी जिला अस्पताल में मन कक्ष की स्थापना हो गई है, जिसमें मानसिक तनाव एवं आंशिक रूप से मानसिक रोगों के लक्षणों वाले रोगियों का निदान किया जाएगा। वहीं मानसिक रोगों के सामान्य लक्षणों की जानकारी देकर बचाव की भी जानकारी दी जाएगी, जबकि गंभीर मानसिक रोगियों को चिन्हित कर उचित इलाज के लिए बाहर भेजा जाएगा। जिले में कही भी मानसिक रोगी को जिला अस्पताल में इलाज के लिए निश्शुल्क एम्बुलेंस 108 या अवश्यकता पड़ने पर एम्बुलेंस 102 का प्रयोग भी किया जा सकेगा। जिला अस्पताल में इसके लिए तैयारियां शुरू कर दी गई हैं।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. सुबोध कुमार शर्मा ने बताया कि जिला अस्पताल की ओपीडी में ही अलग मन कक्ष की स्थापना कर दी गई है। जल्द ही यहां मनो चिकित्सक, समाज सेवी एवं अन्य स्टाफ की नियुक्ति की जाएगी। एसीएमओ डॉ. राजेश गंगवार को जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम का नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है।
नोडल अधिकारी ने बताया कि जिला अस्पताल में मानसिक रोग के इलाज के लिए मन कक्ष की स्थापना की जा चुकी है। अभी आत्महत्या रोकथाम के साथ एक नई मानसिक समस्या मोबाइल एडिक्शन के रूप में बच्चों और बड़ों में फैल चुकी है। इसके लिए चिकित्सकों द्वारा कॉउन्सलिग की जा रही है। कॉउन्सिलिग के लिए स्वयं सेवी संगठन आयुर्जीवनम सेवा समिति के स्प्रिचुअल थेरेपिस्ट डॉ. कुलदीप सिंह चौहान का सहयोग लिया जा रहा है।
मोबाइल फोन का अधिक प्रयोग भी बना रहा मनोरोगी
डॉ. कुलदीप चौहान बताते हैं कि मोबाइल का अत्यधिक प्रयोग युवाओं को मनोरोगी बना रहा है। मोबाइल के अत्यधिक प्रयोग के कारण आंखों की नमी कम होने लगती है और इयरफोन के प्रयोग से बहरेपन की समस्या आ रही है। मोबाइल के ज्यादा इस्तेमाल से मानसिक तौर पर विकलांगता भी हो रही है, जिस कारण याददाश्त में कमी, चिड़चिड़ापन, अनावश्यक क्रोध, व्याग्रता, स्वभाव में अक्रामकता आदि समस्याएं हो रही है तो सेल्फीमेनिया भी हो रहा है। परीक्षा में कम अंक आने, अनुत्तीर्ण होने, मोबाइल गेम खेलने, एवं अन्य कारणों से आत्महत्या की प्रवृत्ति उत्पन्न हो रही है। अभी तक मन कक्ष में इस तरह के कई मामले सामने आ रहे हैं। इन सभी की कॉउन्सिलिग की जा रही है।