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मनरेगा की बदौलत 31 हजार घरों में जले चूल्हे

रामपुर : युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने एवं बेराजगारों की दशा सुधारने के क्रम में सरकार द्वारा नित नए कार्य किए जा रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 09 Jan 2019 10:23 PM (IST)Updated: Wed, 09 Jan 2019 10:23 PM (IST)
मनरेगा की बदौलत 31 हजार घरों में जले चूल्हे
मनरेगा की बदौलत 31 हजार घरों में जले चूल्हे

रामपुर : युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने एवं बेरोजगारों की दशा सुधारने के क्रम में सरकार द्वारा नित नए कार्य किए जा रहे हैं। इस दिशा में कई योजनाएं भी सरकार द्वारा संचालित हैं। जिनके माध्यम से आज कई घरों से लाचारी और बेचारगी विदा हो चुकी है। आज उन घरों के लोग दो जून की रोटी आसानी से जुटा पा रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्र में जिन घरों में कई-कई दिनों तक चूल्हा नहीं जलता था, अब उन घरों में फाके नहीं होते।

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ऐसी ही कुछ योजनाओं में से एक है मनरेगा योजना। विकसित एवं विकासशील देशों की स्थिति की समीक्षा के बाद सरकार ने तय किया कि वह देश के हर नागरिक को रोजगार उपलब्ध कराएगी। महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारण्टी योजना के अंतर्गत जिले के 41 हजार मजदूरों में से अब तक 31 हजार मजदूरों को रोजगार मिल चुका है। इस योजना को लेकर दो अक्टूबर 2005 को अधिनियम बनाया गया।

इस योजना के अंतर्गत प्रत्येक वित्तीय वर्ष में ग्रामीण परिवार के बेरोजगार नवयुवकों को 100 दिन का रोजगार दिया जाता है। इसके लिए उन्हें 175 रुपये प्रतिदिन की मजदूरी दी जाती है। इस अधिनियम के रचनाकारों ने सोचा भी न होगा कि यह एक दिन सामाजिक वर्ग क्रान्ति का सूत्रधार बनेगा। आज का सच यह है कि इस कानून के सामाजिक एवं आर्थिक प्रभाव दिखाई देना प्रारंभ हो गए हैं। इसके चलते गांव में बेरोजगार होने की हताशा मन में पाले इधर उधर भटकते युवा अपने पैरों पर खड़े हो गए हैं। गांवों से ग्रामीणों का पलायन रोकने और उन्हें उनके ही गांव में रोजगार उपलब्ध कराने के लिए चलाई जा रही यह योजना कारगर सिद्ध हुई है। यह योजना लागू होने के बाद पंचायती राज व्यवस्था काफी सु²ढ़ हुई है। सबसे अधिक लाभ यह हुआ है कि गांवों से ग्रामीणों का पलायन रुका है। लोगों को घर बैठे काम मिल रहा है और निर्धारित मजदूरी भी। लोगों को विश्वास है कि मनरेगा के जरिए वे कम से कम दो वक्त की रोटी का इन्तजाम तो अवश्य कर सकते हैं। चमरौआ के राकेश बताते हैं कि इससे पहले उन्हें दो जून की रोटी के लिए शहर में आना पड़ता था। कभी काम मिल जाता तो कभी दिन भर खड़े रहने के बाद शाम को खाली हाथ ही वापस लौटना पड़ता था। इस योजना के बाद रोजगार मिला तो सबकुछ ठीक होता चला गया।

सुनारखेड़ा के सुनील का कहना है पहले अक्सर घर में चूल्हा भी नहीं जला करता था। अब इस योजना से घर में सुकून आया है।

मंडैयान उदय राज के असगर का भी कुछ यही कहना है। बताते हैं कि पहले रोजगार न मिलने के कारण बहुत परेशान रहता था। घर वाले भी नकारा कहते थे। इससे कई बार तो जान दे देने का मन करता था। अब जबसे यह योजना आई तो इसमें काम मिला। मन से काम करता हूं और दुखी भी नहीं रहता। रामपुर जिला लक्ष्य से भी आगे

रामपुर में लक्ष्य से आगे निकला कार्य पीडी लक्ष्मण प्रसाद ने बताया कि जनपद में 41 हजार मजदूर हैं। उनमें से 31 हजार मजदूरों को अब तक रोजगार दिया जा चुका है। इस योजना में अपना जनपद बहुत ही सराहनीय कार्य कर रहा है। जिले को 42.89 करोड़ का लक्ष्य मिला था। लक्ष्य का 115 प्रतिशत कार्य अब तक किया जा चुका है। योजना में 3.65 करोड़ रुपये का काम अधिक हो चुका है।


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