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दोनों आलम के लिए रहमत बनकर आए हुजूर

रामपुर: शहर काजी सैयद खुशनूद मियां ने कहा कि बिना रसूल की मुहब्बत के अल्लाह की रजा ह

By JagranEdited By: Published: Sat, 02 Dec 2017 10:02 PM (IST)Updated: Sat, 02 Dec 2017 10:02 PM (IST)
दोनों आलम के लिए रहमत बनकर आए हुजूर
दोनों आलम के लिए रहमत बनकर आए हुजूर

रामपुर: शहर काजी सैयद खुशनूद मियां ने कहा कि बिना रसूल की मुहब्बत के अल्लाह की रजा हासिल नहीं हो सकती। हुजूर दोनों आलम के लिए रहमत बनकर आए। पैगंबर ए इंसानियत से सच्ची पक्की मुहब्बत उनकी सुन्नतों पर अमल करना है। वह जश्न ए ईद मिलादुन्नबी के मौके पर जामा मस्जिद में हुए जलसे में खिताब कर रहे थे।

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इससे पहले कुल शरीफ हुआ, जिसमें शहर इमाम मुफ्ती महबूब अली ने दुआ कराई। जलसे का आगाज तिलावत ए कलामे पाक से किया गया। इसके बाद हुजूर की शान में नात ए पाक पेश की गईं। शहर काजी ने कहा कि मुसलमान हुजूर की सीरत पर चलकर अपनी ¨जदगी गुजारें। पैगंबर ए इस्लाम की यौमे पैदाइश मुसलमानों के लिए सबसे बड़ा खुशी का दिन है। अल्लाह ने हुजूर को रहमतुल्लिल आलामीन बनाकर भेजा। हुजूर के दुनिया में तशरीफ लाने के बाद दुनिया से कुफ्र की तारीकी खत्म हुई। मुसलमानों को दोनों आलम की कामयाबी हासिल करनी है तो कुरआन और हदीस पर पूरी तरह अमल करें। आखिरत की तैयारी करें। नमाजों को उनके वक्तों पर अदा करने की पाबंदी करें। नमाज के बिना काई भी अमल कुबूल नहीं होता है। शरीअत के खिलाफ कोई काम न करें। झूठ और गीबत से परहेज करें। अपने बच्चों को दीनी तालीम जरूर दिलाएं। बाद में लड्डूख्वानी की गई। इस मौके पर मौलाना नासिर खां, डॉ. शायरउल्लाह खां, नजाकत अली खां, गुड्डू मसूद, ताहिर मियां, शुऐब मियां, गुड्डू बिशारत, फहीम कुरैशी, फहीम हसन आदि मौजूद रहे।


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