परम सुखी होने के लिए त्याग जरूरी
परम सुखी होने के लिए त्याग जरूरी
जागरण संवाददाता, रामपुर : फूटा महल स्थित पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में मंगलवार को पर्यूषण पर्व का आठवां दिन उत्तम त्याग धर्म दिवस के रूप में मनाया गया। इसमें सर्वप्रथम वासु पूज्य भगवान का अभिषेक किया गया। रितेश जैन एवं प्रगम जैन खंडेलवाल द्वारा शांतिधारा की गई।
पंडित लोकेश जैन शास्त्री द्वारा विधि-विधान के साथ सामूहिक रूप से देवशास्त्र गुरु पूजा, णमोकार महामंत्र की पूजा, पार्श्वनाथ पूजा, सोलहकरण पूजा, दसलक्षण धर्म पूजा एवं सरस्वती पूजा कराई गई। इसके बाद तत्वार्थ सूत्र का वाचन हुआ। इस दौरान पंडित जी ने उत्तम त्याग धर्म के बारे में विस्तार से बताया। कहा कि संसार में कोई भी व्यक्ति तब तक सुखी नहीं हो सकता जब तक उसको किसी भी चीज की आकुलता है, और आकुलता तब तक नष्ट नहीं हो सकती जब तक उसके पास कुछ भी परिग्रह है। इसलिए परम सुखी होने के लिए त्याग की आवश्यकता होती है। दान के बारे में कहा कि यह चार प्रकार का होता है। उसके पात्र भी चार तरह के होते हैं। मनुष्य को दान करते रहना चाहिए। चार प्रकार के दान में औषधि दान, शास्त्र दान अथवा ज्ञान दान, अभय दान और आहार दान हैं। इसलिए हमें त्याग धर्म का पालन कर समय-समय पर दान देते रहना चाहिए। शाम को श्रद्धालुओं ने भाव-विभोर होकर संगीतमय सामूहिक आरती की। रचना जैन ने भजन सुनाए। विचार बिदू में चिराग जैन ने मेरी भावना विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किए।
सांस्कृतिक कार्यक्रमों का शुभारंभ वीरेंद्र कुमार जैन ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। इसके बाद छोटे-छोटे बच्चों की नृत्य प्रतियोगिता हुई, जिसमें बच्चों ने अपने नृत्य से सभी का मन मोह लिया। कार्यक्रम का समापन लक्की ड्रा के साथ हुआ।
इस मौके पर दिनेश जैन खंडेलवाल, कस्तूर चंद जैन, डॉ.प्रदीप जैन, संजय जैन, दिनेश, जुगल किशोर जैन, पंकज जैन, डॉ.शीनू जैन, सुधा जैन, नीता जैन, अंजू, सीमा, अमिता, सीमा जैन, नरेंद्र जैन, शशि, राज विहारी जैन, डॉ.सुमेर चंद्र जैन, सुभाष जैन, जितेंद्र, विशाल, देवेंद्र कुमार, सर्वेश जैन, ऋषभ जैन, समीर, अनिल जैन, रमेश, अजय जैन, राकेश जैन, सुमन, विनीता जैन, अनीता जैन, नरेश जैन, नवीन, शिखर, राजरानी, रुकमणि आदि रहे।